सत्संग से पूर्व रक्तदान शिविर में 200 यूनिट रक्त का संग्रह किया गया

इंसान के जीवन में गुरु का बड़ा महत्व है : परम सन्त सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज
गुरु का दर्जा परमात्मा से भी ऊंचा है और सतगुरु का दर्जा तो और भी ऊंचा है :  कंवर साहेब जी महाराज 
गुरु पूर्णिमा पर साध संगत को प्रवचन सुना किया निहाल

चरखी दादरी/भिवानी जयवीर सिंह फौगाट,

03 जुलाई, गुरु पूर्णिमा सतगुरु का पर्व है क्योंकि पूर्णिमा पूर्णता की पर्याय है और सतगुरु से पूर्ण कोई नहीं है। गुरु का दर्जा इंसान के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सतगुरु का दर्जा तो और भी ऊंचा है। गुरु की आवश्यकता हमे रहबर के तौर पर, पथ परदर्शक के तौर पर जीवन के हर क्षेत्र में पड़ती है। माँ बाप से लेकर हमें ज्ञान देने वाला हर इंसान गुरु है लेकिन सतगुरु इन सब से अलग है क्योंकि सतगुरु हमें वो कौशल वो साधना बताता है जिस से हमें परमात्मा मिलता है। हुजूर ने वेद व्यास जी को समर्पित गुरु पूर्णिमा के महत्व का बखान करते हुए फरमाया कि संतमत सतनाम सतगुर और सत्संग पर बल देता है। ये उस सुगम मार्ग की और लेकर जाता है जिसे आठ साल का बच्चा भी अपना सकता है और साठ साल का बुजुर्ग भी। उन्होंने कहा कि ब्रह्मा विष्णु महेश हमारे मुख्य देव है और सतगुरु इन सब से भी ऊपर है क्योंकि सतगुरु में सब शक्तियों के गुण है। संतमत तो टिका ही गुरु महिमा पर है। हुजूर ने कहा कि इंसान पांच तत्व का पुतला है जब तक पांच तत्व हैं तब तक इंसान को अपना हर पल गुरू को खोजने में लगाना चाहिए और गुरु धारण करने पर सांस सांस गुरु वचन पर धरना चाहिए। उन्हने कहा कि गुरु नाम प्रकाश का है जो हमें अज्ञान के अंधेरे से छुटकारा दिलाता है। गुरु के बिना इंसान उस अंधे के समान है जिसको कोई मार्ग नहीं सूझता। गुरु जी ने कहा कि प्रकृति आसानी से किसी को भटकने नहीं देती। 

गुरु धारो तो तत्ववेत्ता करनी के धनी को धारो जो आपको पल भर में भरमों से मुक्त कर दे। जो खुद भरमों में घिरा पड़ा है वो दुसरो को कैसे भर्म मुक्त कर सकता है। उन्होंने फरमाया कि सौ चन्द्रमा उग जाए, हजारो सूर्य भी क्यों ना चढ़ जाए लेकिन बिना गुरु के अंधेरे में पड़े इंसान को रास्ता नहीं सूझा सकते। यही बानी अमरदास जी के कान पड़ी थी जिसने गुरु घर की राह दिखा दी थी। हुजूर ने कहा कि इंसान की आंखों पर माया की पट्टी चढ़ी है। कदम कदम पर विक्षेप के पर्दे पड़े हैं ऐसे में इंसान बिना गुरु के कैसे संभले। हुजूर महाराज जी ने कहा कि गुरु से मिली नाम की दौलत है जो आपको हर विध माला माल कर देती है। गुरु के हो जाओ सारी कायनात आपकी हो जाएगी। हुजूर ने कहा कि गुरु को ब्रह्मा विष्णु महेश से बड़ा क्यों बताया। इसलिए कि गुरु में इन तीनो की शक्तियां हैं। गुरु के चार रूप हैं। पारस, दीपक, मलय और भृंगी। पारस गुरु पारस की भांति खोटे को सोने जैसा बना देता है। दीपक गुरु दीपक की भांति आपके जीवन को प्रकाशित कर देगा। मलय गुरु आपके जीवन को सद्गुणों से भर देता है। भृंगी गुरु भृंग कीट की तरह दूसरे जीव को बिल्कुल अपने जैसा बना लेता है। लेकिन सतगुरु में तो ये चारों के चार गुण होते हैं।

हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने कहा कि भक्ति का भवन भाव की नींव पर टिका है इसलिए गुरु धारो तो अपना सर्वस्व गुरु को हार जाओ। गुरु पर शक संशय मत करना। तप त्याग दान परोपकार सब गुरु के हुक्म से करो। गुरु के हुक्म से हानि भी होती दिखे तो भी उसको मानो क्योंकि ये गुरु ही जानता है कि आपका कल्याण किस विध करना है। गुरु उस मां की तरह है जो बच्चे का भविष्य बनाने के लिए उसके लिए कठोर निर्णय लेती है। गुरु आपके सिर पर शाह की भांति है जिनकी सिफरीश से आपको परमात्मा के दरबार मे उचित मान मिलेगा। गुरु जी ने कहा कि सतनाम के व्यापारी बनो क्योंकि ये सत का सौदा है जिसमें कभी हानि नहीं हो सकती। नानक साहब ने यही सौदा किया था। मीरा बाई की तरह वर वरो तो ऐसा वरो जो स्वयं भी अमर हो और आपका चूड़ा भी अमर कर जाए। उन्होंने कहा कि इस से बढ़कर सौभाग्य क्या होगा कि हमें ये मानव शरीर मिला, उसपर इतने अच्छे मां बाप मिले, ये अवसर मिला और सबसे बढ़ कर सतगुरु मिला तो इंतज़ार किस बात का, अपने अनमोल समय को प्रभु भक्ति में लगाओ। घरों में प्यार प्रेम शांति बनाओ। बच्चों को संस्कार दो, मां बाप बड़े बुजुर्गों का आदर सत्कार करो, हर जीव के प्रति दया और परोपकार की भावना रखो। कभी मत भूलो की ये जीवन चार दिन का इसको सतकर्ता से जीवो ना कि गाफिल हो कर। गुरु पूर्णिमा का यही संदेश है कि अपने आप को किसी पूर्ण की शरण मे ले जाकर स्वयम को पूर्ण करो।

You May Have Missed