कमलेश भारतीय

यह कैसा स्वागत् ?

अस्पताल में एक उच्च पद पर कार्यरत महिला ने बच्ची को जन्म दिया । अस्पताल की सबसे सीनियर महिला डाॅक्टर आई और उस अधिकारी को बुरा सा मुंह बना कर कहने लगी-हमने सोचा था कि आप पढ़ी लिखीं हैं और आपने अल्ट्रासाउंड करवा रखा होगा । पर हमें क्या मालूम था कि आपने भगवान् भरोसे सब कुछ छोड़ रखा है ।

महिला अधिकारी चौंकी । फिर पूछा -यदि मैंने पहले से सब कुछ करवा रखा होता तो फिर क्या फर्क पड़ता?

-कम से कम हमारे स्टाफ को तो इनाम मिल जाता । महिला डाॅक्टर ने बड़ी बेशर्मी से कहा ।

-बस । इसी कारण आपने मेरी नवजात बच्ची का स्वागत् नहीं किया ?

-हां । हमारे स्टाफ को कुछ ऐसी ही उम्मीद थी आपसे ।

-कोई बात नहीं । आप स्टाफ को बुलाइए ।

सारा स्टाफ आ गया और महिला अधिकारी ने सबको इनाम दिया लेकिन उसके बाद अपने पति को बुलाकर सारा सामान समेट लिया । पति ने पूछा -ऐसा क्यों कर रही हो ?महिला अधिकारी ने पति के गले लगकर रोते कहा -इस अस्पताल में मैं एक पल और नहीं रहूंगी क्योंकि इन लोगों ने मेरी बच्ची का स्वागत् नहीं किया ।

बचपन

मेरे छोटे भाई के बेटे का जन्मदिन था । इसलिए ऑफिस से जल्दी छुट्टी लेकर आया । घर के अंदर खूब रौनक और खुशी के माहौल । बाहर क्या देखता हूं हमारी कामवाली का छोटा सा बेटा बर्तन मांज रहा है और रोते रोते मां से कह रहा है -मुझे भी केक दिलवाओ, मुझे भी जन्मदिन मनाना है ।

मां बेबस । झांक रही अपने अंदर । मैं सोच रहा हूं कि जन्मदिन किसका मनाऊं ?

कार्यवाही

हमारा जानने वाले परिवार पर आफत आ गयी । कोई ट्रक उनके घर के पास से निकलता हुआ उनकी चारदीवारी तोड़ गया । चारों ओर समाचार । हाहाकार । पुलिस ने कार्यवाही शुरू की । कुछ दिन बाद हम उनके गर गये । पूछा क्या बना पुलिस कार्यवाही का ?

-हमने अपनी अर्जी वापस ले ली ।

-क्यों ?

-पुलिस कार्यवाही के नाम पर आती और चार पानी पीकर चली जाती । हम काम काज करें कि इनकी आवभगत ? बस । इसीलिए हमने अर्जी वापस ले ली । अर्जी वापस लेने में ही हमारी भलाई थी ।

हम उनकी समझ व अनुभव पर मुस्कुरा दिए ।

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