-कमलेश भारतीय हरियाणा के विधानसभा चुनाव अगले साल तय हैं । सभी दल चुनाव की तैयारियों में जुट गये हैं यानी चुनावी मोड में आ चुके हैं । भाजपा-जजपा गठबंधन फिलहाल चल रहा है लेकिन आगे भी चलेगा या नहीं इस पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं । यह संशय तब शुरू हुआ जब भाजपा प्रभारी विपल्ब देब ने बयान दिया कि उचाना से तो हमारी दीदी प्रेमलता ही विधायक बनेंगीं ! सब जानते हैं कि उचाना से उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला इस समय विधायक हैं और प्रेमलता को चाली हजार मतों से हराकर विधानसभा पहुंचे थे । असल में उचाना हरियाणा के दिग्गज नेता चौ बीरेन्द्र सिंह का क्षेत्र माना जाता है लेकिन एक बार पहले भी इनेलो के छात्तर सिंह ने चौ बीरेन्द्र सिंह को उचाना में उनके गढ़ में ही हरा दिया था तो पिछली बार जजपा के प्रत्याशी के रूप में दुष्यंत चौटाला ने उनकी धर्मपत्नी प्रेमलता को हराने में सफलता पाई । हालांकि इसी विधानसभा क्षेत्र से प्रेमलता भाजपा की ओर से विधायक भी रही थीं । इस तरह उचाना एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जो विधानसभा चुनाव के लिये एक साल पहले से ही हाॅट सीट माना जाने लगा है । विप्लब देब के बयान पर जजपा के संस्थापक व पूर्व सांसद अजय चौटाला ने कहा कि भाजपा -जजपा के गठबंधन की बात अलग है लेकिन दुष्यंत चौटाला उचाना से ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे ! फिर किसी के पेट में मरोड़ हो या न हो ! इस पर भी विप्लब देब ने जवाब दिया था कि जजपा ने गठबंधन कर कोई अहसान नहीं किया ! इसी तरह हिसार के सांसद और प्रेमलता के बेटे बृजेंद्र सिंह भी यहीं से प्रेमलता के चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं । इन दोनों तरफ के दावों से यह बात तो साफ होने लगी है कि इस समय हरियाणा में सब तरफ उचाना का ही गाना बज रहा है और उचाना का ही डंका बज रहा है ! हर तरफ उचाना ही उचाना गूंज रहा है ! यह भी संकेत समझ सकते हैं कि उचाना ही भाजपा-जजपा के नये गठबंधन का आधार होगा । यदि यहां कुछ भी तय न हुआ तो गठबंधन पर आंच आ सकती है ! इतना तो बच्चा बच्चा भी समझ जायेगा ! उचाना ही या तो गठबंधन बरकरार रखेगा या फिर गठबंधन टूटने का जिम्मेदार होगा ! यह तो बिल्कुल स्पष्ट है ! चौ बीरेन्द्र सिंह इसीलिये लगातार भाजपा हाईकमान पर दबाब बनाये हुए हैं कि भाजपा अकेले ही चुनाव मैदान में जाये और भाजपा सक्षम है । यदि गठबंधन नहीं रहेगा तभी तो प्रेमलता की टिकट पक्की होगी ! नहीं तो गठबंधन के बिना भी और गठबंधन में भी दुष्यंत चौटाला यहां से चुनाव लड़ने का दावा करते रहेंगे और इस तरह गठबंधन की गांठ धीरे धीरे ढीली पड़ती जायेगी ! एक कविता का अंश याद आता है और इसमें सब समझ सकते हैं : यह तो मन मिले का सौदा है दोस्तसात भंवरों से ब्याह नहीं होता ! यानी गठबंधन हो या न हो लेकिन मन तो मिलने चाहियें जोकि नहीं मिल रहे ! ऐसे में उचाना में क्या होगा यह जानना बहुत दिलचस्प रहेगा । फिलहाल तो उचाना उचाना हो रही है पूरे हरियाणा में ! -पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075 Post navigation भाजपा की “गौरवशाली भारत” रैली सांसद बृजेन्द्र सिंह के नेतृत्व मे ऐतिहासिक होगी थियेटर किया है, थियेटर ही करूंगा : युवराज शर्मा