गीता जन्मस्थली ज्योतिसर तीर्थ में सरस्वती नदी के किनारे बनाया जाएगा भव्य और सुंदर घाट, बोर्ड के उपाध्यक्ष मन सिंह किरमच ने किया मौके का निरीक्षण। सरस्वती नदी से ज्योतिसर तीर्थ तक पानी लाने की योजना पर किया जाएगा काम। अधिकारियों को दिए प्रपोजल बनाने के निर्देश। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अनुमति के बाद योजना पर किया जाएगा काम। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र 26 जून : हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि गीता जन्मस्थली ज्योतिसर तीर्थ और पवित्र सरस्वती नदी का संगम होगा। इस तीर्थ स्थल और पवित्र नदी को आपस में जोड़ने के लिए जहां सरस्वती नदी के तट पर भव्य और सुंदर घाट का निर्माण किया जाएगा, वहीं इस घाट से ज्योतिसर तीर्थ तक पानी लाने की योजना को तैयार किया जाएगा। अहम पहलू यह है कि ग्रंथों में वर्णित है कि सरस्वती नदी के किनारे ही भगवान श्रीकृष्ण ने मोह ग्रस्त अर्जुन को गीता के उपदेश दिए थे। बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने सोमवार को ज्योतिसर के निकट बहने वाली सरस्वती नदी के किनारे बनने वाले घाट के स्थल का अवलोकन किया। इससे पहले उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने बोर्ड के अधीक्षण अभियंता अरविंद कौशिक, कार्यकारी अभियंता मुनीश बब्बर सहित अन्य तकनीकी टीम के अधिकारियों से सरस्वती नदी और ज्योतिसर के बीच रेवेन्यू रिकॉर्ड के अनुसार होने वाले संगम पर विस्तार से चर्चा की और बकायदा रेवेन्यू रिकॉर्ड को भी मौके पर तलब करके सारे दस्तावेजों को चैक किया। इन दस्तावेजों के अनुसार ज्योतिसर तीर्थ के पास से सरस्वती नदी के बहने की जगह को दर्शाया गया है। यहां पर अधिकारियों से चर्चा करने के बाद सरस्वती नदी पर भव्य और सुंदर सरस्वती घाट का निर्माण करने के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। इसके साथ ही अधिकारियों को सरस्वती घाट से ज्योतिसर तीर्थ तक पाइप लाइन या अन्य सोर्स के जरिए पानी पहुंचाने की योजना को भी तैयार करने के निर्देश दिए गए। उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि रेवेन्यू रिकॉर्ड में ज्योतिसर के निकट से सरस्वती नदी के बहने की जगह को अंकित किया गया है और पुराणों और ग्रंथों में भी उल्लेख किया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण से मोह ग्रस्त अर्जुन को सरस्वती नदी के किनारे गीता के उपदेश दिए और महाभारत भी सरस्वती नदी के आसपास के क्षेत्र में हुई। इसलिए लगभग 5 हजार वर्ष पुराने इस संगम को दुनिया के कोने-कोने से आने वाले पर्यटकों के लिए फिर से धरातल पर लाया जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का सपना है कि सरस्वती नदी के तट पर स्थित तीर्थों और पर्यटन स्थलों को विकसित किया जाए और सभी तीर्थों को पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जाए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सपने को पूरा करने के लिए सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि इस योजना को तैयार करने के लिए बोर्ड के तकनीकी अधिकारियों को आवश्यक दिशा- निर्देश दिए गए है। इस योजना का खाका तैयार कर लिया गया है, लेकिन तकनीकी अधिकारियों के माध्यम से पूरी योजना तैयार करके अंतिम अनुमति के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने सरस्वती नदी के किनारे तीर्थों और पर्यटन स्थलों को विकसित करने के साथ-साथ सरस्वती नदी को फिर से धरा पर लाने के लिए ही हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड का गठन किया और मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस बोर्ड के चेयरमैन भी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मार्गदर्शन में ही सरस्वती नदी को धरातल पर लाने के लिए काम किया जा रहा है। इस योजना के तहत सरस्वती नदी के किनारे स्थित तीर्थों को पर्यटन हब के रुप में विकसित करके पौराणिक स्थलों पर घाटों का निर्माण किया जा रहा है। इतना ही नहीं कुरुक्षेत्र में पिपली सरस्वती स्थल को सरस्वती रिवर फ्रंट पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की योजना को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। अब ज्योतिसर तीर्थ और सरस्वती नदी के पौराणिक महत्व को एक साथ जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। इससे ज्योतिसर तीर्थ पर पर्यटकों की संख्या में धार्मिक दृष्टि से भी ओर अधिक इजाफा होगा। Post navigation कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की यूथ रेड क्रॉस वॉलंटियर साहिबा को मिला सर्वश्रेष्ठ यूथ कोर्डिनेशन पुरस्कार सनातन धर्म और जन कल्याण हेतु विशेष सन्त समागम का आयोजन ओशोधारा मुरथल में होगा : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया