सीआरएस-एचआईपीईसी: पेट के कैंसर के लिए आशा की किरण……

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 22 जून : चौथी स्टेज पर पहुंचे किसी भी तरह के कैंसर के गंभीर मरीजों को अब चिकित्सा जगत में आई तकनीकी क्रांति से बचाना संभव हो पाया है या कहा जा सकता है कि कैंसर अब नामुराद बीमारी नहीं रही। यह बात जाने माने कैंसर रोग माहिर डा. जितेन्द्र रोहिला ने कुरुक्षेत्र में आयोजित एक पत्रकारवार्ता में कही, जिनकी टीम द्वारा हाल ही स्यूडोमाइक्सोमा पेरिटोनी (पीएमपी) पेट के अत्यंत दुर्लभ कैंसर से पीडि़त 70 वर्षीय एक मरीज का सीआरएस व एचआईपीईसी सर्जरी कर मरीज को कैंसर से निजात दिलाई है।

फोर्टिस अस्पताल में कैंसर विभाग के कंस्लटेंट एवं रोबोटिक सर्जन डा. जितेन्द्र रोहिला ने कहा कि पेट से संबंधित स्यूडोमाइक्सोमा पेरिटोनी (पीएमपी) कैंसर का एक दुर्लभ स्वरूप हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ता है। उन्होंने बताया कि यह पेट और पेल्विस में म्यूसिन (जैली जैसे दिखने वाला) बनाता है तथा इसके अकसर अपेंडिक्स में ही बनने के ज्यादा आसार होते हैं, लेकिन पेट की बड़ी आंत व अंडाशय में भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि उपरोक्त 70 वर्षीय महिला मरीज के मामले में भी जो कि पेट में गंभीर सूजन, मल त्यागने की आदतों में परिवर्तन तथा भूख न लगने से चुनौतीपूर्ण जिंदगी व्यतीत कर रही थी, जिसके अंपेडिक्स में पीएमपी कैंसर (टयूमर) पाया गया, जो कि महिला की पेट की गुहा की तरफ फैला हुआ था। उन्होंने बताया कि फोर्टिस में टयूमर बोर्ड के साथ चर्चा उपरांत उपरोक्त मरीज का साइटोरेडक्टिव सर्जरी (सीआरएस) एवं एचआईपीईसी सर्जरी (हाईपरथर्मिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथैरेपी) से इलाज किया गया। उन्होंने बताया कि सीआरएस सर्जरी से कैंसर की सभी प्रभावित कोशिकाओं को हटाया गया, जबकि एचआईपीईसी सर्जरी में पूर्ण सीआरएस करने के बाद आप्रेशन थिएटर के अंदर पेट में कीमोथैरेपी से इलाज चला। इस उपरांत महिला मरीज पूरी तरह कैंसर से निदान पा चुकी हैं तथा वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
डा. रोहिला ने बताया कि दुनियाभर में मौत के लिए दूसरा कारण कैंसर बन रहा है, जिसमें पीएमपी कैंसर अंत्यत दुर्लभ है। उन्होंने बताया कि हर वर्ष 1-2 प्रति मिलियन मरीज सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि कैंसर के लक्ष्ण उसके प्रकार व स्थान के अनुसार अलग-अलग होते हैं, परंतु ज्यादातर मामलों में शरीर का वजन अचानक कम ज्यादा होना, ज्यादा थकान व कमजोरी, त्वचा में गांठ/मस्सा आदि बनना, जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द व कम भूख लगना आदि लक्ष्ण अहम हैं।

उन्होंने बताया कि सीआरएस एचआईपीईसी का उपयोग कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है, जो कि अपेंडिक्स से बड़ी आंत, पेट, अंडाशय की तरफ बढ़ा रहा हो। उन्होंने बताया कि पीएमपी कैंसर के किसी भी स्टेज पर पहुंचे मरीज को सीआरएस- एचआईपीईसी की सर्जिकल प्रक्रिया में शामिल कैंसर रोग माहिर, एनेस्थीसिया- कीमोथैरेपी के लिए अनुभवी मेडीकल ऑनकोलाजी व इंटरवेंशन रेडियोलिस्ट के साथ आईसीयू क्रिटिकल केयर टीम के पूर्णता सहयोग से बचाया जा सकता है।

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