नवीन जयहिंद ने मोटे नेताओं को लिया आड़े हाथ रौनक शर्मा रोहतक – हरियाणा के रोहतक से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर नवीन जयहिंद ने फेसबुक पर लाइव आकर एक दिन के लिए योग कर रहे मोटे व भारी पेट वाले नेताओं पर निशाना साधा। नवीन जयहिंद ने कहा कि ढोंगी व भोगी नेता अब योगी बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि ढोलक जैसे नेता एक दिन योग करके लोगों को गुमराह कर रहे हैं। उन्हें योग की जानकारी तक पूरी नहीं हैं। भेड़ चाल चल रही हैं। असली ज्ञान की बातों को दबा दिया जाता है। से योग में पीजी करने वाले नवीन जयहिंद ने योग व भोग में अंतर बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज के समय मे योग का प्रचार-प्रसार चल रहा है। खासकर जो हमारे ढोंगी नेता है, जिनके 50-50 किलो के पेट निकले हुए है, ये लोगो को गुमराह कर रहे है। उन्होंने कहा कि सिर्फ हाथों को ऊपर-नीचे करके फोटो उतरवाने से योग नहीं होता। योग करने के लिए सबसे पहले यम, नियम को अपने जीवन के लागू करना होता है। आसन व प्राणायाम योग का सिर्फ हिस्सा योग नहींउन्होंने कहा कि आसन और प्राणायाम योग का सिर्फ एक हिस्सा है, लेकिन योग नहीं। यह तो शरीर का संतुलन बनाने के लिए है। योग की शुरुआत यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्यार, धारणा, ध्यान, समाधि से होती है। यम के पांच हिस्से होते हैं, जो सत्य, अहिंसा, स्ते, ब्रह्मचार्य, अपिग्रह होते है। नियम के पांच पार्ट होते हैं, जो सोच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्राणिता। यम के पांच पार्ट सत्य- यम के पार्ट सत्य में बताया गया है कि सत्य बोलिए लेकिन आज जो नेता ढोलक जैसे बड़े-बड़े पेट लेकर घूमते है ये कौनसा सत्य बोलते है? ये सिर्फ सुबह से शाम सिर्फ झूठ बोलते है। अहिंसा – यम के पार्ट अहिंसा में बताया गया है कि अहिंसा मन, कर्म, वचन तीनो तरह की होती है, मार-पीट वाली नही। आप किसी का भी मन से , कर्म से, वचनो से नुकसान न करें। स्ते – स्ते का मतलब है कि आप किसी भी तरह से किसी के हक को मत छीनो, किसी की चोरी मत करो। ब्रह्मचार्य – ब्रह्मचार्य का नियम जो भी योग करते है पुरुष व महिला दोनों के लिए लागू होता है और यह बेहद महत्वपूर्ण नियम है। आप देखिए जो आज ढोंगी योगी बनते है वे लंगोटी के कितने कच्चे होते है और इससे वे लोग ब्रह्मचार्य का कितना पालन करते है। अपिग्रह – अपिग्रह का मतलब यह होता है कि आपके पास उतनी है धन-संपत्ति होनी चाहिए जितनी आपको जरूरत है।मतलब इतना होना चाहिए कि अपनी भी रोटी हो जाये और घर आया मेहमान भी भूखा न जाए। लेकिन आप देखिए कि आज लोग कबीर के ज्ञान को छोड़कर कुबेर के धन के पीछे भाग रहे है। नियम के पांच पार्ट – सोच – सोच का मलतब है कि अपने शरीर का शोधन करना। यानी अपने शरीर व आस -पास के वातावरण को साफ रखना। सन्तोष – इसका मतलब है कि आपके पास जो भी है आप उसमे सन्तुष्ट रहे, न कि दूसरों की चीजों पर अपनी नित खराब रखे। तप – इसका मतलब कर्म व मेहनत करने है कि आप ऐसे कर्म व मेहनत करो जिससे आपको व दुसरो को उस कर्म से संतुष्टि मिले न कि उस कर्म से कोई दूसरा परेशान हो। स्वाध्याय – इसका मतलब होता है कि इर्शा, द्वेष छोड़ कर खुद का अध्ययन करना। लेकिन आज लोग खुद के इलावा दूसरों के बारे में ज्यादा अध्ययन करते है कि ये ऐसा है वो वैसा है। ईश्वर प्राणिता – इसका मतलब है कि अपने ईश्वर, इष्ट देवता, धर्म में ध्यान लगाना व उनके प्रति समर्पित होना। Post navigation रेलवे एलेवेटिड पुल व सरकार की नीतियों की वजह से परेशान लोगों के समर्थन में आए भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व गुरु बनने को अग्रसर – डॉ. कमल गुप्ता