विभिन्न शिक्षक संगठनो ने सरकार को पत्र भेज की मांग
चंडीगढ़, 13-06-2023 – प्रदेश के राजकीय एवं राजकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्रतिनिधि संगठनों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अगले वर्ष से लागु करने हेतु सरकार से पत्र लिखकर आग्रह किया हैI हरियाणा राजकीय महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉ. रवि शंकर ने बताया कि हाल ही में सरकार द्वारा स्नातक स्तर की दाखिला प्रक्रिया राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत करने के आदेश जारी किए गए हैं जिस पर प्रदेशभर के राजकीय एवं राजकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्रतिनिधि संगठनों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है I सरकार के इस निर्णय से महाविद्यालयों के शिक्षक, अभिभावक व विद्यार्थी हैरान-परेशान हैं एवं इसके बहुत से ठोस, अकाट्य और न्यायोचित कारण भी हैं जिनसे हरियाणा राजकीय महाविद्यालय शिक्षक संघ एवं हरियाणा कालेज शिक्षक संगठन द्वारा संयुक्त रूप से सरकार को आज एक पत्र भेज कर अवगत करवाया गया है ।
हरियाणा राजकीय महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अमित चौधरी एवं हरियाणा कालेज शिक्षक संगठन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. दयानन्द मलिक ने आज संयुक्त रूप से अतिरिक्त मुख्य सचिव उच्चतर शिक्षा विभाग, हरियाणा को एक पत्र भेज कर इसे अगले वर्ष लागु करने को कहा है I सरकार को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जिस समय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार प्रवेश और पाठयक्रम आदि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में निर्धारित भी नहीं किये गए थे उस समय अकस्मात ही पूर्व घोषित सेन्ट्रलाइज ऑनलाइन एडमिशन कार्यक्रम को रोककर अकेले कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एडमिशन करने के कारण राज्य के उच्चतर शिक्षा परिस्थतिकी तंत्र में और ज्यादा विखंडन/ भिन्नता उत्पन हो जाएंगी जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्पष्ट कहा गया है कि पहले से विखंडित तंत्र को समाप्त करना और समग्र और एक नई लचीली एकेडमिक बैंक क्रेडिट व्यवस्था स्थापित करना इसके महत्त्वपूर्ण आधारभूत लक्ष्यों में से हैं। ऐसा करना राज्य के अन्य आठ विश्विद्यालयों जो कि दो तिहाई भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं के साथ अन्याय होगा।
पत्र में यह भी कहा गया है कि यदि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सन्दर्भ में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की तैयारी को देखें तो यह स्पष्ट होता है कि स्वयं कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की अकादमिक परिषद, कोर्ट , कार्यकारिणी परिषद से इस बड़े बदलाव के लिए आवश्यक प्रस्ताव पास नहीं कराए गए हैं। और न ही कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने कैंपस कालेज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के अपने अनुभव बारे स्टेकहोल्डर्स (शिक्षक-विद्यार्थी-अभिभावक आदि) के साथ विस्तृत विमर्श /चर्चा ही की है। जबकि यह ऐतिहासिक महत्व का दूरगामी प्रभावों वाला बहुत ही बड़ा निर्णय है, जिसमें पूरी शिक्षा व्यवस्था का शरीर व आत्मा दोनों आमूलचूल बदल जायेंगे। हैरान परेशान करने वाली बात तो यह भी है कि अभी तक भी इस नीति के समस्त आयामों/पक्षों जैसे पाठ्यक्रम/पाठविधि, कार्य-योजना, कार्यान्वयन के विविध पक्षों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। ऐसे में एडमिशन के लिए 10+2 पास विद्यार्थियों की क्या समझ बनेगी और शिक्षक क्या उसे सही मार्गदर्शन दे पाएंगे, यह प्रश्न उठता है।
इसी के साथ यह चिंता भी व्यक्त की गई है कि अगर यह नीति इसी सत्र से लागू होती है तो इससे बहुत सारे नए पाठ्यक्रम/विषयों के लिए बहुत सारे नए शिक्षक भर्ती करने पड़ेंगे। वर्तमान शिक्षकों का वर्कलोड प्रभावित होगा। इसमें बहुत सारा बजट/वित्त, राज्य में HEI और समाजिक – आर्थिक वंचित क्षेत्रों की संकल्पना के अनुसार उसकी पहचान भी शामिल रहेगा। सरकार को और एडिड कॉलेजों की प्रबन्ध-समितियों को विभिन्न स्तरों पर इसके लिए पहले से प्रबन्ध करने पड़ते हैं, निर्णय लेने होते हैं। टाईम-टेबल बनाने का अपना एक संवेदनशील मसला है। इतने कम समय में बल्कि सच कहें तो अकस्मात ऐसा संभव नहीं है।
डॉ. अमित चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है परन्तु इसे सोच समझ कर सबके हितों को ध्यान में रखकर लागु किया जाना चाहिए I हमने सरकार से निवेदन किया है कि है कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों से संबद्ध राज्य के सभी राजकीय व राजकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों तथा अन्य में पढ़ने वाले कई लाख विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति अगले वर्ष लागु की जाए I इस सन्दर्भ में इस वर्ष सरकार द्वारा आवश्यक प्रबंध करने का निर्देश दिए जाएँ जिससे राज्य की उच्चतर शिक्षा व्यवस्था के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया जा सके I