पूछा, यदि भर्तियों मे पारदर्शिता है तो अभ्यर्थियों को आरटीआई से भी सूचना क्यों नही सरकार का पूरा ज़ोर एचपीएससी के घोटाले छिपाने पर साधा निशाना, बोले एचसीएस की मुख्य परीक्षा में अंकों में हेराफेरी सामने आने के बाद एचपीएससी ने आंसर शीट दिखानी क्यों बंद की चंडीगढ़, 6जून। कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने प्रदेश की सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता को लेकर खट्टर सरकार पर तीखा हमला बोला है। सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार इस प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं और उनके अच्छे भविष्य की उम्मीद लगाए बैठे उनके परिजनों की आंखों में पारदर्शिता के झूठे नारे लगाकर धूल झोंक रही है। उन्होंने दो टूक कहा कि ये पारदर्शिता ना एचपीएससी की भर्तियों में है, ना एचएसएससी में। खट्टर राज मे विश्वविद्यालयों में तो पारदर्शिता की उम्मीद करना ही बेमानी है। रणदीप ने यहाँ जारी बयान में मुख्यमंत्री से पूछा कि अगर भर्तियों में पारदर्शिता के मनोहरलाल खट्टर के दावे सही हैं तो युवाओं को आरटीआई के माध्यम से भी उनकी जायज़ सूचनाएं तक भी क्यों नही दी जा रही? रणदीप ने आरोप लगाया कि दरअसल ये लोग पहले घोटाले पर घोटाले करते चले जाते हैं और फिर उन्हें दबाने के लिए नियम-कानूनों की सरेआम धज्जियां उड़ाते हैं। उन्होंने कहा कि खट्टर साहब की सरकार की एक भी भर्ती ऐसी नही है जो प्रथम दृष्टया कोर्ट में ना अटकी हो। कुछ भर्तियां तो ऐसी भी हैं जिनको पूरा हुए भी 7-8 साल हो गए लेकिन, उनके खिलाफ मामले आज भी न्यायालयों में विचाराधीन हैं। रणदीप ने कहा कि एचसीएस की भर्ती तो हर बार इनके लिए एक नया कलंक लेकर आती है। एचसीएस की 2019 की भर्ती में प्रारंभिक परीक्षा में 20 से अधिक प्रश्न ऐसे थे जिनका हिंदी अनुवाद दिया ही नही गया था। वह मामला भी कोर्ट में फंसा। एचसीएस की पिछली भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा में आयोग का डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर कैंडिडेट्स की ओएमआर शीट्स और करोड़ों रुपयों की अटैची के साथ पकड़ा गया। बड़ी-बड़ी मछलियां इस कीचड़ में धंसी थी लेकिन,खट्टर सरकार की विजिलेंस ने अनिल नागर को बलि का बकरा बनाकर बाकी सभी घोटालेबाजों को साफ बचा लिया। लोगों को दिखाने के लिए दुबारा परीक्षा करवा ली गई लेकिन, ढाक के वही तीन पात। एक साल गुजर जाने के बाद भी अभ्यर्थियों को ना तो अभ्यर्थियों को इनके पिछली एचसीएस(प्री) परीक्षा के पेपर-I और पेपर-II के अंक बताए जा रहे और ना ही कट ऑफ। सुरजेवाला ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा विकास शर्मा बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा मामले में दिए गए निर्णय के अनुसार भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो जाने के पश्चात सभी भर्ती एजेंसीज को सभी अभ्यर्थियों के अंक अपनी वेबसाइट पर डाल देने चाहिएं। एचसीएस की परीक्षा तो क्वालीफाइंग होती है। इस परीक्षा में अभ्यर्थियों के अंक, फाइनल आंसर की और कट-ऑफ तो साथ-साथ ही दिखाए जाने चाहिए लेकिन, खट्टर साहब की पारदर्शी एचपीएससी एक साल बीत जाने के बाद भी आरटीआई के माध्यम से भी ये सूचनाएं देने को तैयार नही। फिर से कोई घोटाला है क्या जो छिपाया जा रहा है? सुरजेवाला ने खट्टर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अभ्यर्थियों को उनकी आंसर शीट्स दिखाने के राज्य सूचना आयोग के निर्णय के खिलाफ एचपीएससी अपील लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चली गई थी। इनकी इस अपील को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 2016 में खारिज़ कर दिया था। उसके बाद एचपीएससी ने केवल कुछ महीने कैंडिडेट्स को उनकी आंसर शीट्स की फ़ोटोकॉपी उपलब्ध करवाई जिससे लोगों को ये पता चला कि एचसीएस की मुख्य परीक्षा में किस प्रकार काट-काटकर अंक बदले जाते हैं। जब इनकी झूठी पारदर्शिता और हेराफेरी का भंडा जनता के सामने फूटने लगा तो पहले तो इन्होंने अंक ढक कर कॉपी दिखानी शुरू की ताकि अभ्यर्थी ये जान ही नही पाए कि उसके अंकों में कटिंग की गई है या नही। अब तो तानाशाही की हद ही हो गई। किसी और मामले का हवाला देकर एचपीएससी ने अभ्यर्थियों को एक बार फिर से उनकी उत्तर पुस्तिकाओं की कॉपी देनी बन्द कर दी। खट्टर साहब जवाब दें ये कहां की पारदर्शिता है? सुरजेवाला ने कहा कि यदि खट्टर साहब को पारदर्शिता के नारे लगाने का इतना ही शौक है तो अभ्यर्थियों को ये छूट होनी चाहिए कि वो अपनी उत्तर पुस्तिका जब चाहे देख सकें। इसके साथ ही सभी चयनित उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं की स्कैन की हुई कॉपी भी वेबसाइट पर उपलब्ध होनी चाहिए ताकि जो अभ्यर्थी सफल नहीं हो पाए वो भी तुलना करके देख सकें कि उनसे कहां चूक हुई है। उन्होंने कहा कि इन भर्ती एजेंसीज की तानाशाही खट्टर साहब के पारदर्शिता के दावों की खुद ही पोल खोल देती है। भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार के लिए यदि खट्टर साहब गम्भीर होते तो एक मामले में उच्च न्यायालय के माननीय जज के माथे में गड़बड़ बताने की बजाय अपने एचपीएससी और एचएसएससी के सदस्यों तथा अधिकारियों के माथे की दिक्कत ठीक करने के प्रयास करते। उन्होंने कहा कि खट्टर साहब को खुद के सौभाग्य तथा प्रदेश के दुर्भाग्य से ये राजयोग मिला था जिसकी अब उल्टी गिनती आरम्भ हो चुकी है। अब पानी सिर से ऊपर गुज़र चुका है। उन्हें कुछ काम अपने वायदों और दावों पर भी कर लेना चाहिए अन्यथा बाद में पछताएंगे। रणदीप ने मांग की है कि खट्टर साहब इन भर्ती एजेंसीज के कारनामों की जांच के लिए उच्च न्यायालय के जज की अध्यक्षता में टास्क फोर्स बनाएं तथा इनकी हेराफेरी पर लगाम लगाएं अन्यथा जनता इन्हें बहुत जल्दी सियासत का स्थायी पेंशनर बनाने का फ़ैसला कर चुकी है। Post navigation जमीन कब्जाने का खेल बेनकाब………नगर परिषद रेवाडी को मजबूरन एफआईआर दर्ज करवानी पडी : विद्रोही राज्य में 4508 लाख रुपए से अधिक की 5 बड़ी सीवरेज एवं पेयजल परियोजनाएं स्वीकृत- डा. बनवारी लाल