·        इससे इन्स्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा और छोटे व्यापारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा – दीपेन्द्र हुड्डा

·        सरकार व्यापारी वर्ग को शक की निगाह से न देखे – दीपेन्द्र हुड्डा

·        सर्वे के नाम पर न हो व्यापारियों का उत्पीड़न – दीपेन्द्र हुड्डा

चंडीगढ़, 19 मई। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा में जीएसटी सर्वे के नाम पर विभाग के अधिकारियों द्वारा सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों, दुकानों आदि पर जाकर जांच किये जाने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार जीएसटी सर्वे की आड़ में भ्रष्टाचार की एक और दुकान खोल रही है। इससे इन्स्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा और छोटे व्यापारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने पूरी कवायद को गैर-जरूरी बताते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में पिछले कई दिनों  GST अधिकारियों द्वारा कारोबारियों, दुकानों पर जाकर जांच की खबरें जोरों पर हैं। सर्वे के दौरान दस्तावेजों की जाँच में गलती पकड़े जाने पर भारी-भरकम जुर्माना व सजा की इन खबरों से व्यापारी वर्ग में भय का वातावरण है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि जीएसटी सर्वे व्यापारियों और छोटे दुकानदारों को परेशान करने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का नया सरकारी हथकंडा है। उन्होंने मांग करी कि व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर सर्वे के नाम पर व्यापारियों का उत्पीड़न न हो।  

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि व्यापारियों ने उनसे जीएसटी सर्वे के नाम पर छोटी-छोटी गलती पकड़ कर अवैध धन उगाही किये जाने की भी शिकायत की है। इससे पैसा सरकारी खजाने में कम और अधिकारी व सरकार में बैठे लोगों की जेब में ज्यादा जाएगा। पहले से ही परेशान व्यापारियों को सरकार और परेशान क्यों कर रही है। दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि व्यापारी हमेशा सरकार की नीतियों को स्वीकार करता है और ईमानदारी से काम करने की कोशिश करता है ऐसे में उसे संदेह की निगाह से देखना ठीक नहीं है। कराधान विभाग में प्रत्येक पंजीकृत व्यापारी का पूरा रिकार्ड रहता है इसलिए हर दुकान, व्यापारिक प्रतिष्ठान पर जाकर सर्वे करना और उन्हें परेशान करना गलत है।

उन्होंने आगे कहा सरकार की इन्हीं गलत नीतियों के चलते अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई, उद्योग-धंधे तबाह हो गये, जिसका सीधा खामियाजा आम गरीब को महंगाई के रूप में और युवाओं को रिकार्ड बेरोजगारी के रूप में झेलना पड़ रहा है।

नोटबंदी, जल्दबाजी में लागू की गई दोषपूर्ण जीएसटी से पैदा हुई मंदी, महंगाई और बेरोजगारी की चोट ने करोड़ों लोगों को गरीबी के कुचक्र में फंसा दिया।

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