कांग्रेस अब राजस्‍थान, मध्‍यप्रदेश और छत्‍तीसगढ़ चुनाव में भी अपनाएगी मुफ्त उपहार और कर्नाटक की जीत वाला फंडा
भाजपा और आरएसएस को भी समझ जाना होगा कि स्थानीय नेतृत्व- मुद्दों को दरकिनार कर चुनाव नहीं जीते जाते
भाजपा को संगठन के बजाय मोदी को तरजीह देना महंगा पड़ रहा है 
बेरोजगारी – महंगाई के आगे ‘बजरंगबली’ काम ना आए

अशोक कुमार कौशिक 

दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र किले कर्नाटक को कांग्रेस ने भेद दिया है। अब कर्नाटक से भारतीय जनता पार्टी की विदाई हो चुकी है। लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले दक्षिण भारत में मिली ये जीत कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। चंद महीनों में हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक दूसरा राज्य है, जहां की सत्ता कांग्रेस ने भाजपा से छीनी है। दोनों ही राज्यों में समान कारक यह रहा कि गुटबाजी के लिए बदनाम कांग्रेस एकजुट होकर मैदान में उतरी और स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा। 

भाजपा और आरएसएस को भी समझ आ गया होगा कि स्थानीय नेतृत्व को दरकिनार कर राज्य के चुनाव नहीं जीते जा सकते। दूसरा देश में पार्टी के बजाय एक व्यक्ति नरेंद्र मोदी पर केंद्रित होना लगातार नुकसानदायक होता जा रहा है। इसी साल उत्तर भारत के तीन और दक्षिण भारत के एक राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। उसके छह महीने के अंदर ही अगले लोकसभा चुनाव भी होंगे।

कर्नाटक विधानसाभा चुनाव में 135 सीटों पर पर प्रचंड जीत हासिल करने के बाद अब कांग्रेस पार्टी इस साल होने वाले अन्‍य राज्‍यों के चुनावों में किला फतेह करने के मूड में आ चुकी है। कांग्रेस पार्टी अब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव जीत कर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में दमदार एंट्री करने के मूड में है। हरियाणा में भी भाजपा और जननायक जनता पार्टी के नेता लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव करने की बात दोहरा रहे हैं।

कर्नाटक के बाद इन तीन राज्‍यों में होने वाले हैं चुनाव

कर्नाटक में जैसे भाजपा ने कांग्रेस से सत्‍ता छीनी थी उसी तरह मध्‍य प्रदेश में भी कांग्रेस ने सत्‍ता गवां दी थी। इस साल नवंबर-दिसंबर में राजस्थान और छत्तीसगढ़ जहां चुनाव होने हैं वहां कांग्रेस सत्‍ता में हैं लेकिन 2018 में जीते गए मध्य प्रदेश को फिर से हासिल करने की कोशिश करने का एक मुश्किल काम है।

तीनों चुनावी राज्‍यों में कांग्रेस दोहराएगी कर्नाटक पैटर्न

ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व ने 2024 के आम चुनावों से पहले इन तीन राज्‍यों में होने वाले चुनाव ‘कर्नाटक पैटर्न’ को दोहराने का फैसला किया है।

Back to Basics’ के विजन की ओर वापसी कर रही

कर्नाटक में फतेह हासिल करने के बाद ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ‘बैक टू बेसिक्स’ के विजन की ओर वापसी कर रही है। कर्नाटक में फतेह हासिल करने के बाद कांग्रेस ने सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी ने सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे, रणदीप सिंह सुरजेवाला और अन्य के साथ फोटो शेयर नही की। 

आगामी चुनावी में भी कांग्रेस बांटेगी उपहार और देंगी मुफ्त गारंटी

कर्नाटक में कांग्रेस ने स्थानीय रणनीति, सकारात्मक अभियान, मुफ्त उपहार, टिकटों का जल्द वितरण और कांग्रेस की विचारधारा पर जोर दिया जिसे वो मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के लिए कांग्रेस के चुनाव में भी रिपीट करेगी।

कर्नाटक में अपने विजन से नहीं भटकी कांग्रेस

कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी ने स्‍थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा, भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पर हिंदू विरोधी बताते हुए भटकाने की कोशिश करती रही लेकिन कांग्रेस स्‍थानीय मुद्दें हो या भ्रष्‍टाचार का मुद्दा दोनों पर डटी रही। वहीं उसने चुनाव प्रचार हो या उससे पहले सकारात्‍मक अभियान चलाकर जनता से कांग्रेस को जोड़ा।

इन्‍हीं वजहोंं से मिली प्रचंड जीत

वो चाहे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा हो या चुनावी रैली। कांग्रेस अडानी जैसे राष्‍ट्रीय मुद्दें को छोड़कर आम जनता से जुड़े मुद्दें उठाती रही। जिससे प्रदेश का वोटर जो कांग्रेस को अ‍हमियत देना बंद कर दिया था उसने कांग्रेस को तवज्‍जों दी। वहीं मुफ्त उपहार हो या मुफ्त की गारंटी योजना ने कर्नाटक चुनाव में खूब कमाल किया और कांग्रेस को जमकर वोट किया। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने बजरंग दल पर प्रतिबंध की बात को लेकर बजरंगबली से जोड़ दिया जिसे आम जनता ने नकार दिया।

इन तीन राज्यों पर कांग्रेस की नजर

वैसे, ये पहली बार नहीं है कि कांग्रेस ऐसी स्थिति में फंसी हो. ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है इन सबके चक्कर में कांग्रेस के हाथों से कई बार सत्ता फिसल भी चुकी है. बहरहाल, चुनावी नतीजों के बाद सबसे ज्यादा राहत कांग्रेस के लिए इसलिए भी है, क्योंकि इस साल के आखिर में तीन अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें से 2 में उसके हाथों में सत्ता है, तो तीसरी में सत्ता से उसे बेदखल होना पड़ा था.

राजस्थान-छत्तीसगढ़ चुनौतीपूर्ण

जी हां, कांग्रेस की नजर कर्नाटक के तुरंत बाद अब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ राजस्थान पर टिक गई है। मध्य प्रदेश में सत्ता गवां चुकी कांग्रेस राजस्थान में दोराहे पर खड़ी है। छत्तीसगढ़ में जरूर वो चैन की सांस लेती दिख रही थी, लेकिन बीच-बीच में बगावत वहां भी हो रही थी। ठीक उसी तरह के हालात छत्तीसगढ़ राजस्थान में भी हैं, जैसे कर्नाटक में। राजस्थान में सचिन पायलट खुली बगावत पर उतर आए हैं। हर रोज सरकार को अल्टमेटम में दे रहे हैं। हालांकि वो पार्टी हाई कमान के खिलाफ कुछ नहीं बोलते, लेकिन उन्हें उप-मुख्यमंत्री पद भी गवां देने का दुख सा दिखता है। कहां वो मुख्यमंत्री बनने की राह पर थे, कहां हाईकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बना दिया करीब 5 साल बीत भी गए हैं।

मध्‍यप्रदेश में शुरू हुई चुनावी कवायद

बता दें मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एआईसीसी पर्यवेक्षकों – कुलदीप राठौर, अर्जुन मोधवाडिया, सुभाष चोपड़ा और प्रदीप टम्टा नजर आए। एमपीसीसी प्रमुख कमलनाथ और एआईसीसी महासचिव जय प्रकाश अग्रवाल के साथ एक बैठक हुई और, पार्टी के नेताओं ने जल्द से जल्द एक चुनावी घोषणापत्र तैयार करने और युवाओं (50 वर्ष से कम आयु) के लिए टिकटों को अधिकतम करने का प्रयास करने का फैसला किया है।

क्या मध्य प्रदेश में वापसी कर पाएगी कांग्रेस?

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़, राजस्थान मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बहुमत मिला था। छत्तीसगढ़ में तमाम विवादों के बावजूद भूपेश बघेल मोर्चा थामे हुए हैं, लेकिन अशोक गहलोत की कुर्सी कई बार डोल चुकी है। वहीं, सिंधिया के बागी होने से कांग्रेस के हाथ से मध्य प्रदेश निकल गया था। ऐसे में सिंधिया फैक्टर के बाहर होने के बाद भी मध्य प्रदेश कांग्रेस में अब भी कम से कम 3 ध्रुव बने हुए हैं। हालांकि कांग्रेस कई बार मुद्दों को सुलझा भी लेती है, लेकिन कई बार पीछे भी रह जाती है। लेकिन कर्नाटक चुनाव में मिली जीत उसके लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है, ये बात कोई झुठला नहीं सकता। ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि वो इन तीन राज्यों में फिर से सत्ता हासिल कर लेगी, क्योंकि कर्नाटक में उसे उम्मीद से ज्यादा बड़ी सफलता हाथ लगी है।

कर्नाटक में मिली जीत के बाद वीडियो शेयर दिया ये संकेत

बता दें कांग्रेस ने 2021 में अपने उदयपुर मंथन सत्र में 50 साल से कम उम्र के लोगों को 50 फीसदी टिकट देने का वादा किया था। कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस का एक छोटा वीडियो भी पार्टी ने शेयर किया है जिसमें बजरंग बली शैली में बने एक चरित्र को भगवान राम को सूचित करते हुए दिखाया गया है कि कर्नाटक में काम पूरा हो गया है। मास्टर को अपने सबसे उत्साही भक्त कमलनाथ की मदद करने के लिए कहते हुए सुना जा सकता है, जो वर्तमान में MPCC प्रमुख और कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं।

संयोग की बात ये है मध्‍यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ एक हनुमान भक्त हैं। उन्होंने अपने छिंदवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र में हनुमान की 101 फीट ऊंची प्रतिमा बनवाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिसने उन्हें दस बार संसद और विधानसभा के सदस्य के रूप में चुना है। 

*कांग्रेस ने कर्नाटक जीता, अब नजरें …..

*राजस्थान, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ काफी अहम

*लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल की तरफ होंगे ये चुनाव

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