दुनिया को बचाने के लिये मोहब्बत को जिंदा रखना बहुत जरूरी : लीलाधर मंडलोई

-कमलेश भारतीय

इस दुनिया को बचाने के लिये मोहब्बत को जिंदा रखना बहुत जरूरी है । नहीं तो न घर बचेगा और, न ही समाज और न ही यह दुनिया बचेगी ! यह कहना था प्रसिद्ध कवि व भारतीय ज्ञानपीठ के पूर्व निदेशक लीलाधर मंडलोई का । वे चर्चित रचनाकार रेणु हुसैन के काव्य संग्रह ‘घर की औरतें और चांद’ के विमोचन समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे । विमोचन समारोह साहित्य अकादमी के सभागार में आयोजित किया गया । कविता संग्रह राधाकृष्ण प्रकाशन से आया है । श्री मंडलोई ने यह भी कहा कि भाषाओं से मोहब्बत भी मोहब्बत बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं ! उन्होंने रेणु हुसैन को खूबसूरत किताब के प्रकाशन पर बधाई देते कहा कि इन कविताओं के केंद्र में मोहब्बत है । अगर हमने धरती को बचाना है तो सिर्फ और सिर्फ प्रेम और करूणा ही इसे बचा सकते हैं । युद्ध के माहौल में भी ज्यादा से ज्यादा जरूरत प्रेम की है । पुरुष कमाता है जबकि स्त्री घर बनाती है क्योंकि वह घर से प्रेम करती है ! रेणु हुसैन की कवितायें एक परी के टूटते , छिनते हुए पंख हैं !

विमोचन समारोह के मुख्यातिथि व साहित्य ‘अमृत पत्रिका’ के संपादक लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि रेणु हुसैन की प्रतिभा व लेखन निरंतर निखरती जा रही है , नये नये आयाम जुड़ते जा रहे हैं । वे चेतना और संवेदना को विस्तार दे रही हैं । यह प्रेम ही है जो जीवन , दर्शन व समाज को जोड़ता है । प्रसिद्ध रचनाकार अनिल जोशी ने कहा कि इन कविताओं में शीर्षक कविता की तरह घर, औरतें और चांद ही केंद्र में हैं । घर एक संकल्पना है और औरतों की खुशबू घर कॅ बनाती है । प्रकृति से तादात्म्य बनाती दिखती हैं रेणु हुसैन की कवितायें ! प्रकृति के प्रति इन कविताओं में आत्मीयता है और यही प्रेम मुक्ति की ओर ले जाता है !

रचनाकार सुमन केशरी ने इस संग्रह की कविताओं पर विचार व्यक्त करते कहा कि उदास करती हैं रेणु हुसैन की कवितायें ! इनमें कुछ खो देने का दुख है और बीते समय की खुशबू ढूंढने की कोशिश है । ये गहरे में नास्टेलजिया की कवितायें हैं ।

शुरू में गजलकार नरेश शांडिल्य ने कहा कि प्रेम पर लिखना बहुत मुश्किल है । प्रेम को कविता में व्यक्त करना बहुत मुश्किल है । स्त्री सपना बुनती है और सपना टूट जाता है । स्त्री हार नहीं मानती , घर को और मजबूती से थाम लेती है । सभी वरिष्ठ रचनाकारों ने काव्य संग्रह का विमोचन किया और इनमें रेणु हुसैन की मां चंद्रावती शर्मा भी भूखा तौर पर शामिल रहीं ।

संदीप अवस्थी , कमलेश भारतीय(हिसार) , सागर स्यालकोटी(लुधियाना) ने भी रेणु हुसैन के नये काव्य संग्रह पर अपनी बात रखी और शुभकामनायें दीं । संचालन प्रसिद्ध कवयित्री ममता किरण ने किया । रेणु हुसैन प्रारम्भ में अपनी रचना प्रकिया , अपनी चिंताओं पर बात रखने के बाद कुछ चुनिंदा और प्यारी सी कविताओं का पाठ किया जिन्हें खूब सराहा गया ।

यह आयोजन जश्न ए हिंद की ओर से डाॅ मृदुला टंडन की ओर से किया गया । समारोह में देवेंद्र गोयल मांझी, रजनी डिसोडिया , रजनी अनुरागी , पूनम तुषामड, अरूण कुमार , तालिश रे , विम्मी करण सूद और शकील अहमद(गजल गायक) , आशमा कौल, रचना निर्मल , फातिमा हुसैन , कंचन वर्मा , राकेश मलिक , सोनिया मलिक , रश्मि , नीलम भारती , राजेश शर्मा , राकेश शारदा , विपिन चौधरी , सुनयना श्रीवास्तव, रमेश प्रजापति रचनाकार मौजूद

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