कभी अपनी गिरेबां में क्यों नहीं झांकते ‘श्रीमान’ !

बजरंग बली ने कर्नाटक में भाजपा को दिलाई शनि की पीड़ा
मैं अजेय हूं, मैं बहुत आश्वस्त हूं… हां, मैं आज अजेय हूं।
खत्म हो रहा मोदी तिलिस्म, गुजराती जोड़ी पतन की ओर

अशोक कुमार कौशिक

चुनी गई सरकार के मंत्री शायद आचार्य कणिक के इस सिद्धांत को अपनाते हैं, जो ज्ञान उन्होंने धृतराष्ट्र को दिया था। आचार्य कणिक (धृतराष्ट्र के कूटनीतिक मंत्री) स्पष्ट रूप से कहते हैं कि जिनके द्वारा राज्य छीने जाने का कोई भी संकट हो, उन्हें निश्चित रूप से शत्रु समझा जाए और ऐसे लोगों को कभी भी जीवित नहीं छोड़ा जाए। एक दूसरी महत्वपूर्ण बात, वह यह भी कहते हैं कि चतुर राजा वही है, जो देने की बात तो करे, लेकिन दे नहीं। जितना संभव हो, टालता रहे। आचार्य कणिक की मंत्रणा थी कि पांडवों को राज्य देने की बात तो की जाए, किंतु उन्हें दिया न जाए तथा जितनी जल्दी संभव हो, पांडवों का वध कर दिया जाए। अक्षरशः सत्य, इसी तरह आज के कुछ राजनीतिक दल के नेता शायद आचार्य कणिक की धृतराष्ट्र को दिए गए इस मंत्रणा को आत्मसात करके सत्ता में आते ही उस पर अमल करना शुरू कर देते हैं।

जवानों की शहादत को वोट बैंक में तब्दील करने में लगे हैं देश के नेता

यह ठीक है कि सरकार जनता को अपनी उपलब्धियां खूब महिमामंडित करके बताए, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटनाओं पर भी राजनीतिक रोटियां सेंकने लगे तो इसे क्या कहा जा सकता है। पुलवामा में जवानों की शहादत को वोट बैंक में तब्दील करना कोई भारत के राजनीतिज्ञों से सीख सकता है। भारत के लिए केंद्र में मजबूत सरकार को जरूरी बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में वोट मांगते हुए युवाओं से कहा कि बालाकोट की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद भारत द्वारा हवाई हमले से आतंकियों में डर पैदा हो गया है और पाकिस्तान में सत्तारूढ़ लोगों को बुरे सपने आ रहे हैं।

प्रधानमंत्री एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधा और कहा कि हवाई हमलों के बाद पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी थी, लेकिन स्थानीय दोनों पार्टियां दुखी थीं। स्पष्ट रूप से उनका इशारा डॉ. फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती परिवार के लिए था। पहली बार मतदान करने वाले युवाओं का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि आप अपना पहला वोट उन बहादुर जवानों को समर्पित कर सकते हैं, जिन्होंने देश के लिए जान गंवा दी। आप गरीबों को घर दिलाने के लिए, गरीबों को मुफ्त इलाज दिलाने के लिए, खेतों में पानी पहुंचाने के लिए वोट दे सकते हैं, तो उनका आशय साफ था कि शहादत पाए सैनिकों के लिए क्यों नहीं?

भाजपा समर्थकों के साथ चल रहे ‘बजरंग दल’ विवाद के बीच बेंगलुरु में गुरुवार, 4 मई, 2023 को एक मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करती हुईं केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और अन्य लोग। (पीटीआई फोटो)

उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव में लोगों को केवल सांसद या प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि मजबूत भारत के लिए मजबूत सरकार चुननी है। देश के फायदे के लिए केवल मजबूत सरकार कड़े फैसले ले सकती है। मोदी ने कहा था कि पांच वर्ष पहले ऐसा वक्त था, जब पाकिस्तान के आतंकी हम पर हमला करते थे और पाकिस्तान हमें धमकता था। हमारे बहादुर जवान कार्रवाई के लिए अनुमति मांगते थे, लेकिन सरकार तब डरी रहती थी। 

पता नहीं किस मजबूत सरकार के लिए प्रधानमंत्री अपील कर रहे थे? प्रधानमंत्री ने कर्नाटक में कांग्रेस के चुनावी घोषणा-पत्र में बजरंग दल पर लगाम लगाने के लिए कटाक्ष करते हुए और बजरंग दल को बजरंगबली हनुमान से जोड़कर मतदाताओं को भावनात्मक रूप से अदभुत वाकपटुता का परिचय देते हुए आम मतदाताओं को जोड़ने का प्रयास किया। प्रधानमंत्री ने कहा, पार्टी ने पहले भगवान राम को बंद कर दिया था और अब वह बजरंग बली का नारा लगाने वालों को बंद करना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी दौरे पिछले सप्ताह कर्नाटक में अपनी तीनों जनसभाओं के दौरान ‘जय बजरंग बली’ के नारे लगाए। उनके इस कदम को कांग्रेस के उस वादे की काट के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें उसने अपने चुनावी घोषणापत्र में दक्षिणपंथी संगठन बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया है।

‘भारत माता की जय’ के साथ-साथ मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत और अंत में दक्षिण कन्नड़ जिले के मुल्की, उत्तर कन्नड़ के अंकोला और बेलगावी जिले के बेलहोंगल में ‘जय बजरंग बली’ का नारा बुलंद किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 10 मई को मतदान केंद्र पर आप क्या करेंगे? क्या आप गालीबाजों को सजा देंगे? जब आप पोलिंग बूथ में बटन दबाएंगे तो जय बजरंगबली बोलकर सजा दें। प्रधानमंत्री के इस भाषण की आलोचना करते हुए एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पीएम मोदी ने कर्नाटक के लोगों से कहा कि वोट डालते वक्त जय बजरगंबली कहें, लेकिन अगर मैं यहां खड़ा होकर आपसे कहूं कि वोट डालते वक्त ‘अल्लाह हू अकबर’ कहिए तो मीडिया मेरी आलोचना करने लगेगा।

पीएम कर्नाटक में वोट मांगने के लिए ‘जय बजरंग बली’ के नारे इस्तेमाल किए

शिवसेना उद्धव गुट के नेता उद्धव ठाकरे ने पिछले सप्ताह कहा कि उनके पिता बाल ठाकरे को धर्म के नाम पर वोट मांगने के कारण मताधिकार से वंचित कर दिया गया था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक में वोट मांगने के लिए ‘जय बजरंग बली’ के नारे का इस्तेमाल कर रहे हैं। उद्धव ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हो सकता है कि चुनाव आयोग के प्रावधान अब बदल गए हों।’ मोदी ने पिछले सप्ताह कर्नाटक के लोगों से अपील की थी कि कांग्रेस को ‘दंडित’ करने के लिए वे अपना वोट डालते समय ‘जय बजरंग बली’ बोलें।

भाजपा नेताओं ने बजरंग दल पर कांग्रेस द्वारा प्रतिबंध लगाने के अपने चुनावी घोषणापत्र के वादे को लेकर विपक्षी दल पर हमला तेज कर दिया है। ज्ञात हो कि बाल ठाकरे को नब्बे के दशक के अंत में एक सार्वजनिक रैली में ‘धर्म के नाम पर वोट’ मांगकर भ्रष्ट आचरण में लिप्त पाए जाने के बाद छह साल के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। उद्धव ने कहा, ‘अगर मोदी जय बजरंग बली कह रहे हैं, तो मैं कर्नाटक में मराठी भाषी लोगों से भी ‘जय भवानी’, ‘जय शिवाजी’ का नारा लगाने और वोट देने की अपील कर रहा हूं।’

बंगलुरू से बहुभाषीय वरिष्ठ पत्रकार वेनुगोपालन का विशेषण है कि कांग्रेस ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारकर अपनी जीती हुई बाजी को दोराहे पर खड़ा कर लिया है । उनका कहना था कि बजरंग दल पर रोक लगाने की बात अभी नहीं होनी चाहिए थी , भले ही सत्ता में आने के बाद कांग्रेस उस पर रोक लगा देती , उसके लंपट कार्यकर्ताओं को बंद करा देती, लेकिन अपनी घोषणा पत्र में इसका उल्लेख करना भाजपा को इस मुद्दे को भगवा रंग में रंगने का अवसर मिल गया है।

अब प्रधानमंत्री ही अपने चुनाव प्रचार में इसे बजरंगबली से जोड़कर एक भ्रम आम लोगों के मन में पैदा कर रहे हैं । यह ठीक है कि चुनाव के पहले से ही एक मनोवैज्ञानिक असर राजनीतिज्ञों पर पड़ता है, जिसके कारण वे अपने पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर देते हैं। तरह तरह के अपने प्रयासों के बल पर लोगों को अपने पक्ष में करने का हर संभव कोशिश करते हैं और उन पर किस बात का और किसकी बात का क्या असर पड़ेगा, इसको समझने के लिए हर संभव प्रयास करते है।

अब तो यहां तक होने लगा है कि यदि आप उनके विचारों से सहमत नहीं हैं, तो आपको प्रलोभित करके धनबल से अपनी ओर किया जाएगा और यदि आप फिर भी सहमत नहीं हुए तो फिर आप पर शक्ति बल का प्रयोग किया जाएगा। कुल मिलाकर उद्देश्य मात्र जीत होता है उसके लिए उसे कुछ भी क्यों न करना पड़े । और, यही तो अब हो रहा है कि आपको देश के नाम पर भावुक किया जाता है, आपको धर्म के नाम पर भावुक किया जाता है कि आप भावना में बहकर उनके पक्ष में अपना मतदान करें। वर्ष 2019 के चुनाव में स्वयं प्रधानमंत्री ने शहीदों के नाम पर आपको भावुक किया और अब कांग्रेस की एक भूल को अपने पक्ष में भुनाकर धर्म के नाम पर अपने पक्ष में आपको भावुक किया जा रहा है।

यह ठीक है कि अब राजनीति और धर्म का घालमेल किया जा रहा है या यह कहा जा सकता है कि अब धर्म और राजनीति में कोई फर्क नेताओं ने नहीं रहने दिया है। अब यह बात अलग नहीं रही कि राजनीति अलग है और धर्म अलग है, इसलिए राजनीति के बीच धर्म को डालकर सच को भूल जाने के लिए बाध्य किया जा रहा है। इसी क्रम में आपसे तरह तरह के वायदे किए जाएंगे, जमीन पर लेटकर आपको सम्मान दिया जाएगा और हो सकता है कि यह भी कहा जाए कि हमारे पक्ष में जीत दिला दीजिए, हम आपको सरकार में आते ही चांद की सैर करा देंगे। लेकिन हां, इस बात को ध्यान में रखिए कि सब राजनीतिज्ञ आचार्य कणिक को जानते हैं और उनके फार्मूले को याद रखते हैं कि वादा तो करो सब कुछ देने की, लेकिन दो कुछ नहीं और जितना संभव हो, टालते रहो। जनता स्वयं भूल जाएगी और फिर अगले चुनाव में अगली बात और वादे होते रहेंगे।

You May Have Missed

error: Content is protected !!