-कमलेश भारतीय दिल्ली के जंतर-मंतर पर महिला पहलवानों पर कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह द्वारा कथित तौर पर किये गये यौन शोषण के खिलाफ इनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरना लगातार चल रहा है । एक दूसरे पर तीरों पर तीर चल रहे हैं । जहां दो महिला पहलवानों ने पुलिस को बयान दर्ज करवाते बृजभूषण शरण की अश्लील हरकतों की जानकारी दी है , वहीं बृजबूषण बहुत भी ओछे जवाब देते कह रहे हैं कि मैं क्या शिलाजीत की रोटी खाता था जो मेरे ऊपर इस तरह के इल्जाम लगाये जा रहे हैं । यानी पूरी तरह बेशर्मी से जवाब । ये एक सांसद की भाषा है ? सबसे दुखद बात यह है कि अभी तक केंद्र सरकार या खेलमंत्री इस संवेदनशील मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे और यह मुद्दा धीरे धीरे किसान आंदोलन जैसा बड़ा बनता दिख रहा है । खापों ने दिल्ली की ओर कूच शुरू कर दिया है , जहां तक कि पंजाब से भी महिलायें धरने में शामिल होने के लिये निकल पड़ी हैं । बिल्कुल किसान आंदोलन की राह पर ! वैसे ही चंदा भी आने लगा है । बजरंग पूनिया ने एक बात कही है कि मेरी मां ने कहा है कि बेटा ! बात देश की बेटियों की इज्जत की है, अब पीछे नहीं हटना ! सच , मां कहती है बेटा हमारा बड़ा काम करेगा ! अब या तो रेसलिग रहेगी या फिर वो ही रहेंगे ! सीधी सी बात कि करियर दांव पर लगा दिये इन पहलवानों ने ! इनके तो इसका कोई फल मिले न मिले लेकिन आने वाले पहलवानों को जरूर राहत मिल जायेगी । यह संकेत निकलते हैं । साक्षी मलिक के पति सत्यव्रत कादयान कहते है कि अब हमारे बड़े बुजुर्ग जैसा कहेंगे , वैसा ही करेगे यानी कमान अब किसान आंदोलन चलाने वालों के हाथ में आती लग रही है । पूरे देश में इस मुद्दा को लेकर केंडल मार्च निकालने का आह्वान भी किया गया है । इस तरह यह आंदोलन बढ़ता जा रहा है । हालांकि हरियाणा के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि दिल्ली के धरने से हमारा कोई लेना देना नहीं फिर अनिल विज और दुष्यंत चौटाला समर्थन क्यों दे रहे हैं ? और खेल मंत्री संदीप सिंह जो पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं करवा रहे , उससे तो कुछ लेना देना होगा कि नहीं ? महिला कोच को तो न्याय दे दीजिए । दूसरी ओर कुश्ती संघ ने तीन जिलों के सचिवों को सस्पेंड कर दिया है । इनमें झज्जर , नूंह और हिसार के जिला सचिव शामिल हैं । इस तरह दोनों तरफ है आग बराबर लगी हुई । जंतर-मंतर से क्या जादू होता है ? इसी का इंतज़ार है । सभी विरोधी दल भी अपना अपना जोर लगा रहे हैं । दिल्ली की महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी महिला पहलवानों के हक में अपनी आवाज मिलाई है । यह सिलसिला आगे से आगे बढ़ता जा रहा है । सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए ! भाजपा को अपने बेटी बचाओ के नारे के सम्मान के लिये भी आगे आना चाहिये ! दुष्यंत कुमार के शब्दों में : यहां तो सिर्फ गूंगे और बहरे लोग बसते हैंखुदे जाने यहां पर किस तरह जलसा हुआ होगा !यह जलसा नहीं है , बेटियों की इज्जत की बात है !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075 Post navigation परिपक्वता के साथ चीज़ों को देख-समझ और लिख सकूं , यही इच्छा : डाॅ पूनम खनगवाल हिसार दौरे पर पहुंचे आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अनुराग ढांडा