धर्मपाल वर्मा

चंडीगढ़ – ताजा हालातों से लगता है कि हरियाणा में भाजपा भी कांग्रेस की राह पर चल पड़ी है। संगठन के मामले में किए जा रहे प्रयोगों से तो कुछ ऐसा ही लगता है।जिस तरह कोंग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का वर्चस्व लगातार बढ़ता जा रहा है ऐसी ही चेष्टा भाजपा मे प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ करते नजर आ रहे हैं। लगता है वह भी अपने ही स्टाइल में राजनीति करने के मूड में है। श्री धनखड़ की रहनुमाई में संगठन में जिस तरह से महत्वपूर्ण पदों पर जाट नेताओं को समायोजित किया जा रहा है और क्षेत्रवादी भावनाओं को तरजीह दी जा रही है उसे देखते हुए जानकारों ने‌ यह कहना शुरू कर दिया है कि क्या भविष्य में भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक गतिविधियां चंडीगढ गुरुग्राम रोहतक की बजाए चरखी दादरी से संचालित होने लगेंगी। आज भाजपा के तीन प्रदेश अध्यक्ष चरखी दादरी के हैं।

पार्टी ने चरखी दादरी क्षेत्र के एक दो नहीं पूरे 3 प्रदेश अध्यक्ष बना दिए हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ बेशक आजकल गुरुग्राम में रह रहे हैं और बादली जिला झज्जर से चुनाव लड़ रहे हैं परंतु मूल रूप से वे चरखी दादरी से ताल्लुक रखते हैं ।अपना पहला चुनाव भी चरखी दादरी से ही लड़ चुके हैं। चरखी दादरी अपेक्षित रिस्पांस नहीं मिला तो वे 2014 में चुनाव लड़ने बादली आ गए। हम कह सकते हैं कि हरियाणा प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ चरखी दादरी के हैं उनका पैतृक गांव ढाकला चरखी दादरी क्षेत्र में ही है।

उनके अलावा भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष संयोजक सुखविंदर मांढी भी चरखी दादरी जिले में बाढड़ा से ताल्लुक रखते हैं और इसी क्षेत्र से 2014 में विधायक भी रह चुके हैं। अब ओमप्रकाश धनखड़ ने सुनीता दांगी को महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है । वे भी चरखी दादरी से ताल्लुक रखती हैं और एक प्राइवेट स्कूल में नौकरी करती है।

अमूमन राजनीतिक दल पदों के समायोजन के समय जाति और क्षेत्र के प्रतिनिधित्व के नाम पर अलग-अलग क्षेत्रों के नेताओं को अलग-अलग पदों पर नियुक्त करने की कोशिश इसलिए करते हैं कि इससे बैलेंस बन जाता है । राजनीति में किसी एक क्षेत्र का किसी एक जाति का असंगत प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता। लेकिन आजकल भाजपा में स्थिति बदली नजर आ रही है।

महिला मोर्चा की निवर्तमान अध्यक्ष सुमित्रा चौहान जिनका ताल्लुक सोनीपत जिले से है, की जगह चरखी दादरी की सुनीता दांगी को अध्यक्ष बनाये जाने के पार्टी में एक अंदरूनी ऐसी सुगबुगाहट देखी जा रही है जो भविष्य में खतरनाक साबित हो सकती है और पार्टी में गुटबाजी को उजागर कर सकती है। यहां यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष के बदले जाने के पीछे एक कारण यह भी है कि जब भी प्रदेश में पार्टी की टिकटों के बंटवारे का मौका होता है तो महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी बैठक में शामिल होती है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन्हीं कारणों से पार्टी में दो पावर सेंटर आमने सामने हो सकते हैं। मतलब एक्शन पर रिएक्शन के आसार पैदा हो गए हैं।

इस नए समायोजन के बाद जानकारों ने यह कहना शुरू कर दिया है कि यह संभव है कि प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ श्रीमती दांगी या अपने पुत्र आदित्य धनखड़ को चरखी दादरी से चुनाव लड़ाने की योजना पर भी काम कर रहे हो सकते हैं। यह स्थिति तब है जब इस समय चरखी दादरी में भाजपा का सिटिंग एमएलए नहीं है।

यहां से निर्दलीय सोमवीर सांगवान विधायक हैं और राजनीतिक हलकों में यह चर्चा आम है कि गठबंधन हुआ तो भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता चरखी दादरी की सीट जेजेपी के लिए छोड़ सकते हैं और जेजेपी भी चरखी दादरी से पूर्व विधायक जयदीप फोगाट को भावी उम्मीदवार के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि ओमप्रकाश धनखड़ व्यक्तिगत तौर पर जे जे पी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के विरुद्ध है। ऐसे में वे चरखी दादरी में अपना हस्तक्षेप और दखल बनाए रखने की योजना के तहत काम करते प्रतीत हो रहे हैं।‌ मतलब एक तीर से कई शिकार करने की योजना पर लगे हुए हैं। यह अलग बात है कि चरखी दादरी से ओमप्रकाश धनखड़ खुद चुनाव लड़ कर देख चुके हैं और यहां सफलता नहीं मिली तो उन्होंने बादली को नये चुनाव क्षेत्र के रूप में चुना। 2014 के चुनाव में वे बादली से विधायक बने परंतु कैबिनेट मिनिस्टर रहते हुए 2019 में चुनाव हार गए।

परंतु हो सकता है वह अब भी अपने गृह क्षेत्र को मजबूत करने की नई योजना पर काम कर रहे हो। इस बात पर भारतीय जनता पार्टी, राजनीतिक पर्यवेक्षक, मीडिया ही नहीं हरियाणा की जनता की नजर ओमप्रकाश धनखड़ और महिला मोर्चा की नई प्रदेश अध्यक्ष की परफॉर्मेंस पर लगी रहेंगी। जानकार अब यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि भाजपा में जो कुछ हो रहा है उसे सब देख रहे हैं यहां यह कहावत प्रचलित हो रही है कि, ऊंट की चोरी कोडे कोडे चलकर नहीं हुआ करती।

हरियाणा में विशेष तौर पर भाजपा का स्वाभाविक मतदाता इस बात से हैरान है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उस परिस्थिति में भी संगठन में जाटों को बड़ी संख्या में समायोजित करने में लगे हुए हैं जब आमतौर पर जाट भाजपा को वोट नहीं दे रहा है। ऐसे में पेट वाले को छोड़कर गोद वाले की आस करना कितना सार्थक होगा वह देखा जाना बाकी है।

जैसे आज भाजपा के सांसद रामचंद्र जांगड़ा सीधा आरोप लगा रहे हैं कि पार्टी ने 2019 में टिकटों का गलत बंटवारा किया। वैसे ही संभव है कि भविष्य में यह सुनने को भी मिले कि पार्टी के नेताओं ने संगठन के मामले में उन लोगों की उपेक्षा की जो पार्टी के पक्षधर थे। आज स्थिति यह है कि पार्टी ने जींद सोनीपत, झज्जर, रोहतक, मतलब दा देशवाली जाट बेल्ट में जिलों में सारे जिलाध्यक्ष जाट बना रखे हैं। खास बात यह है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा इन्हीं अक्षरों में सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं। लोग कहते हैं कि जाट पार्टी नहीं देखते नेता देखते हैं और उन्होंने एक तरह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पीछे लामबंद होने का संकेत दे दिया है। हालात ऐसे लग रहे हैं कि जाट भाजपा को वोट देंगे नहीं और संगठन में जाटों को अहमियत देने के नाम पर गैर जाट मतदाता भाजपा से दूरी बना लेंगे।

रोहतक में अजय बंसल गैर जाट के रूप में इस क्षेत्र के अकेले जिला अध्यक्ष थे पिछले दिनों उन्हें भी बदल दिया और उनकी जगह रणबीर ढाका के रूप में एक और जाट जाट नेता की नियुक्ति कर दी गई ।ऐसे ही पहले सोनीपत में मोहनलाल बडोली गैर जाट ब्राह्मण जिलाध्यक्ष थे उनकी जगह तीरथ राणा को अध्यक्ष बना दिया गया था। मजे की बात यह भी है कि ओमप्रकाश धनखड़ के अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश के बहुत से पदाधिकारी वह लोग बनाए गए जो चुनाव हार गए थे। अब लोग यह सवाल करने लगे हैं कि श्री धनखड़ जिस तरह से संगठन के समायोजन में जाट नेताओं को अहमियत दे रहे हैं वैसे ही टिकटों के बंटवारे के समय भी देंगे या नहीं। वैसे उनका कार्यकाल चुनाव से पहले इसी वर्ष समाप्त हो रहा है ।यह भी एक सवाल है कि पार्टी उन्हें आगे काम करने का मौका देगी या फिर बदलाव होगा। ओमप्रकाश धनखड़ के लिए अब सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह अपना अगला विधानसभा चुनाव बादली से ही लड़ेंगे या कहीं और से और उन्हें अगले चुनाव में कामयाबी मिलेगी या नहीं। राजनीति में किसी सदन का सदस्य होना कितना जरूरी है यह उन लोगों को अच्छे से पता है जो पहले विधायक सांसद रहे परंतु फिर चुनाव नहीं जीत पाए।

यहां एक चर्चा फिर एक बार शुरू हो गई है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल अगला चुनाव गुरुग्राम से लड़ सकते हैं ऐसा हुआ तो ओमप्रकाश धनखड़ बादली छोड़कर कथित तौर पर बादशाहपुर से चुनाव लड़ने की जद्दोजहद कर सकते हैं लेकिन हालात यह बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र और उनके ओएसडी जवाहर यादव ने हल्के में कुछ इस अंदाज से अपना जनसंपर्क शुरू कर दिया है मानो उन्हें हरी झंडी मिल गई है। वैसे पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश प्रभारी ने झज्जर में साफ कर दिया था कि धनखड़ बादली से ही चुनाव लड़ेंगे।

लब्बोलुआब यह है कि हरियाणा के भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ पार्टी में बहुत कुछ अपने ढंग से करने की कोशिश में जरूर नजर आ रहे हैं परंतु उन्हें इसमें कामयाबी कितनी मिलेगी यह वक्त बताएगा।

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