भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। वर्तमान में पूरे प्रदेश में या कहें देश में मोदी के मन की बात के 100वें एपिसोड की ही चर्चा है और यूं कहें कि हरियाणा में सारी सरकार और सारा भाजपा संगठन जनता को मन की बात सुनवाने के लिए सुनवाने के लिए लगा हुआ है।

आज ही प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने चंडीगढ़ में प्रेस वार्ता की, जिसमें उन्होंने बताया कि हरियाणा में 9630 स्थानों पर मोदी के मन की बात सुनी जाएगी। लोगों को आमंत्रित करने के लिए 13 लाख कार्ड भी बनवाए हैं और 9 लाख लोगों को आमंत्रित करने का लक्ष्य रखा है। समझ नहीं आया कि 9 लाख लोगों को आमंत्रित करना है और 13 लाख कार्ड बनवाए हैं तो 4 लाख कार्ड का क्या करेंगे?

रामचरित मानस के रचित होने के पीछे सच्चाई है या किदवंती हम इस पर नहीं जाएंगे लेकिन यह अवश्य है कि जनता इसे सच्चाई मानती है। कहा जाता है कि तुलसीदास जी अपनी पत्नी रत्नावली से बहुत अधिक प्रेम करते थे। वह भी परमविदूषी थी। एक बार वह अपने मायके गई और रात में ही तुलसीदास जी नदी पार कर उसके पास पहुंच गए तो उनकी पत्नी रत्नावली ने कहा कि 

‘‘हाड़ मांस को देह मम, तापर जितनी प्रीति।

तिसु आधो जो राम प्रति, अवसि मिटिहि भवभीति।।’’

अर्थात जितना प्यार आप हाड़-मांस की इस देह से करते हैं, इससे आधा भी यदि प्रभु राम से करें तो आप भवसागर से पार हो जाएंगे और यह बात तुलसीदास जी के मन को इतना आंदोलित कर बैठी कि उन्होंने रामचरित मानस की रचना कर डाली।

इसी पर विचार आया कि सत्ता और भाजपा संगठन का कर्मक्षेत्र जनता की सेवा करना और जनता के मन की बात सुन उनके दुख-दर्द दूर करना है। और यह लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात सुनाने में लगे हुए हैं। इस पर मन में विचार आया कि जितना प्यार, ध्यान, शक्ति ये नरेंद्र मोदी की भक्ति में लगाते हैं, उससे आधा भी यदि जनता के मन की बात सुन उनका दुख-दर्द दूर करने में लगाएं तो शायद इन्हें सत्ता से कोई हटा भी ना पाए।

अब इसे ऐसे देखा जाए कि आज प्र्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने बताया कि हमारा लक्ष्य 9 लाख लोगों को मोदी के मन की बात सुनवाने का है और हरियाणा की आबादी 2 करोड़ से अधिक है। ऐसे में 9 लाख तो कुल आबादी का 4-5 प्रतिशत ही हुआ तो क्या 4-5 प्रतिशत से सत्ता हासिल हो जाएगी?

दूसरी बात, कुछ भाजपाईयों से, कुछ जनता से, कुछ देखा, कुछ अनुमान लगाया, उससे यह बात निकलकर सामने आई कि वह सब व्यक्ति जो मोदी के मन की बात सुनने इनके तय स्थानों पर जाएंगे, वे सब भाजपाई ही होंगे और वे भाजपाई तो पहले ही मोदी के अनुयायी हैं तो उससे क्या लाभ मिलेगा?

तीसरी बात कि आज हाइटेक युग है। लगभग हर व्यक्ति के हाथ में स्मार्ट फोन है और लगभग हर व्यक्ति के घर में टेलीविजन भी है। ऐसे में जो मोदी के मन की बात सुनना चाहे, वह अपने घर पर या फिर अपने कार्यालय में कार्य करते हुए सुन सकता है। ऐसे में इन कार्यकर्ताओं को इस प्रकार मोदी के मन की बात सुनवाने के पीछे कहीं यह अंदेशा तो नहीं कि वर्तमान में मोदी की लोकप्रियता घट रही है और जिसे बढ़ाने के लिए या कायम रखने के लिए इस प्रकार की आवश्यता पड़ रही है? या फिर लक्ष्य मोदी की नजरों में अपना सम्मान बढ़ाने का भी हो सकता है।

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