पूरे दक्षिणी हरियाणा व मेवात की मंडिया खरीद फसलों का उठान न होने से सरसों व गेंहू से अटी पडी है : विद्रोही

सरसों बेचने वाले किसानों को तो फडो पर सरसों रखने का स्थान तक नही मिल रहा। किसानों की सरसों मंडी के बाहर सडकों पर खड़े ट्रैक्टरों में ही खरीदी जा रही है : विद्रोही
किसी किसान की सरसों गुणवत्ता मापदंडों के नाम पर छोड दी जाती है और जिनकी खरीदी जाती है, उनकी भी 25 क्विंटल से ज्यादा सरसों एकबार में नही खरीदी जा रही है : विद्रोही

28 अप्रैल 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा-जजपा सरकार के लाख दावों के बाद भी दक्षिणी हरियाणा व मेवात के किसानों को अनाज मंडियों में सरसों फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रूपये प्रति क्विंटल भाव पर सरकारी खरीद एजेंसियों को बेचने में भारी कठिनाई आ रही है। विद्रोही ने कहा कि पूरे दक्षिणी हरियाणा व मेवात की मंडिया खरीद फसलों का उठान न होने से सरसों व गेंहू से अटी पडी है। सरसों बेचने वाले किसानों को तो फडो पर सरसों रखने का स्थान तक नही मिल रहा। किसानों की सरसों मंडी के बाहर सडकों पर खड़े ट्रैक्टरों में ही खरीदी जा रही है। दो-दो दिन तक सडकों पर ट्रैक्टरों के लाईनों पर खड़े होने पर भी किसानों की सरसों एमएसपी पर खरीदी नही जा रही। किसी किसान की सरसों गुणवत्ता मापदंडों के नाम पर छोड दी जाती है और जिनकी खरीदी जाती है, उनकी भी 25 क्विंटल से ज्यादा सरसों एकबार में नही खरीदी जा रही है। गांवों में एक परिवार के भाई अलग-अलग होते हुए भी एकसाथ खेती करते है और इक्कठे ही फसल बाजार में बेचते है। एकबार में सरसों की 25 क्विंटल सीमा होने से एक किसान परिवार को दो-दो बार मंडी में सरसों बेचने के लिए आना पड़ता है।

विद्रोही ने कहा कि किसानों को टोकन देने व सरसों की गुणवत्ता जांच करने के लिए खरीद एजेंसियों के पास न तो पर्याप्त कर्मचारी है और न ही मंडियों में सरसों व गेंहू रखने का स्थान है। ऐसी स्थिति में किसान अपनी फसले एमएसपी पर कैसे बेचे, यही आपने आप में बडी समस्या है। ऊपर से मौसम विभगा ने फिर भविष्यवाणी की है कि हिमालय क्षेत्र में आने वाले दस दिनों में बारिश होती रहेगी। मौसम विभाग के इस बदलाव में पूरा हरियाणा आने वाले 5 से 10 दिनों तक बेमौसम की बारिश की आंशका से जूझेगा। बारिश होने से मंडियों में खरीदा पडा व किसान का बिकने के लिए आई सरसों-गेंहू की खुले में पडा लाखों टन फसल भीगकर बर्बाद होने का डर किसान को अलग सता रहा है। यदि सरसों व गेंहू बेचने आये किसानों की सरसों व गेंहू फिर भीग गई, तब किसानों को अपनी फसले बेचने में और समस्या होगी।

विद्रोही ने मांग की कि मंडियों में किसान की सरसों व गेंहू फसले एमएसपी पर खरीदने की पर्याप्त व्यवस्था के साथ यह तय हो कि मंडियों में खुले में पडी फसले बरसात से फिर बर्बाद न हो। वहीं खरीदी फसलों का उठान तत्काल किया जाये। किसानों की एक समय में 25 क्विंटल तक सरसों खरीदने की कैप हटाई जाये, वहीं विद्रोही ने मांग की कि 30 जून तक दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल व मेवात क्षेत्र में गेंहू व सरसों की एमएसपी पर सरकारी खरीद जारी रहे, यह भाजपा सरकार सुनिश्चित करेे ताकि किसान को अपनी फसले एमएसपी पर बेचने का पर्याप्त अवसर मिल सके।

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