मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर किसानों की मांग पर विचार करने का आश्वासन देने की बजाय किसानों की मांग आवाज को काटकर उच्चे स्वर में कहते सुने जा रहे है कि किसी भी हालत में बिजली 8 घंटे से ज्यादा नही मिलेगी : विद्रोही
सवाल उठता है जब मुख्यमंत्री आम लोगों, किसानों की बात भी धैर्य से सुनकर उसका शांति से जवाब देने को तैयार नही है तो गांवों में जाकर कथित जनसम्पर्क अभियान के तहत जनसंवाद करने की नौटंकी का औचित्य ही क्या है? विद्रोही

25 अप्रैल 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि पलवल जिले के जनसम्पर्क दौरान 8 घंटे से ज्यादा नलकूपों को बिजली नही देने का मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का जो वीडियो आजकल वायरल हो रहा है, वह बताता है कि जहां खट्टर जी मानसिक रूप से घोर किसान विरोधी है, वहीं अपने को स्वयंसेवक कहने का दमगज्जा मारने वाले मुख्यमंत्री सत्ता अहंकार में मदमस्त हो गए है। विद्रोही ने कहा कि पलवल की एक ग्रामीण चौपाल में किसान खेती के लिए नलकूपों को 8 घंटे बिजली प्रतिदिन देने की बजाय 12 घंटे बिजली देने की मांग कर रहे है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर किसानों की मांग पर विचार करने का आश्वासन देने की बजाय किसानों की मांग आवाज को काटकर उच्चे स्वर में कहते सुने जा रहे है कि किसी भी हालत में बिजली 8 घंटे से ज्यादा नही मिलेगी। यदि किसानों को खेती के लिए ज्यादा बिजली चाहिए तो नलकूप ज्यादा चलाने का कोई अन्य व्यवस्था स्वयं करे। खट्टर जी किसानों से इस संदर्भ में वाद-विवाद करते हुए बार-बार कहते है कि ज्यादा बिजली नही मिलेगी, नही मिलेगी, नही मिलेगी। 

विद्रोही ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह आचरण घोर किसान विरोधी मानसिकता को तो दर्शाता ही है, साथ में यह भी बताता है कि लगभग साढ़े 8 साल से प्रदेश का मुख्यमंत्री बने रहने के चलते वे अपने को हरियाणा का शहशांह मान बैठे है। एक लोकतांत्रिक मुख्यमंत्री की तरह विनम्र आचरण करने की बजाय वे किसानों की ज्यादा बिजली देने की मांग पर एक स्वेच्छाधारी, अहंकारी, तानाशाह जैसा व्यवहार करते नजर आते है। सवाल उठता है जब मुख्यमंत्री आम लोगों, किसानों की बात भी धैर्य से सुनकर उसका शांति से जवाब देने को तैयार नही है तो गांवों में जाकर कथित जनसम्पर्क अभियान के तहत जनसंवाद करने की नौटंकी का औचित्य ही क्या है? विद्रोही ने कहा कि जब मुख्यमंत्री को गांवो में जाकर धैर्य व शांति से ग्रामीणों की बात सुनकर लोगों को संतुष्ट करके उनकी मांगों का समाधान करने की बजाय सत्ता अहंकार से अपने को शंहशाह की तरह प्रस्तुत करना है तो गांवों में जाकर टैक्सपेयर के धन को फंूककर आमजनों से जनसंवाद करने व शिकायते सुनने की नौटंकी करके प्रदेश के ग्रामीणों को क्यों ठग रहे है?

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