-कमलेश भारतीय

राहुल गांधी की याचिका सूरत कोर्ट में खारिज हो गयी । यदि खारिज न होती तो इनकी लोकसभा सदस्यता बचने की राह प्रशस्त हो सकती थी । अभी हाईकोर्ट जायेंगे लेकिन एक बात साफ है कि राहुल गांधी की राजनीति में बहुत बड़ा बदलाव आयेगा , यदि यह सजा चलती रही । फिलहाल सरकारी बंगले को खाली करने में लगे हैं और सामान मां सोनिया गांधी के बंगले पर पहुंचा दिया गया है । फिर वे अपनी मां के साथ रहने लगेंगे ।

यह सब कानून की प्रकिया से हुआ है । ऐसा भाजपा नेताओं का कहना है । खासतौर पर इसके प्रवक्ता डाॅ संबित पात्रा का , जो यह मानकर चल रहे हैं कि यह फैसला गांधी परिवार खासतौर पर राहुल गांधी के अहंकार पर तमाचा है । अदालत का फैसला यह भी साबित करता है कि कानून सभी के लिये एक समान है । कानून किसी के दबाब में झुकता नहीं ! यह स्पष्ट हो गया कि इस देश मे संविधान का राज है , किसी परिवार का राज नहीं ! साबित पात्रा अभी सलाह दे रहे हैं राहुल को कि ओबीसी से माफी मांग लो । मैंने जो किया वह गलत था , मुझे यह नहीं करना चाहिये था ।

फिर मल्लिकार्जुन ने क्यों कहा कि जब सूरत कोर्ट के जज बदले गये थे , हमें तभी आशंका हो गयी थी कि कुछ गलत होने वाला है । अब बताइये संबित पात्रा कि संविधान तब कहां होता है जब सरकारें गिराई जा रही होती हैं ? जब विधायक व सांसदों की खरीद फरोख्त की मंडी खुलेआम लग रही होती है ? तब आप कहाँ होते हैं ? राहुल गांधी के घर का राज तो है नहीं सन् 2014 से ! घर का होता तो कोर्ट का फैसला कुछ और होता ! अडानी पर सवाल दर सवाल पूछने , संसद ठप्प रहने का एक ही उपाय खोज निकाला गया कि राहुल गांधी के लिए संसद के द्वार बंद कर दिये जायें ! वह भी आठ साल के लिये । मल्लिकार्जुन ने यह बात इसीलिये कही कि विपक्ष को जबरन चुप करवाया जा रहा है जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिये शुभ संकेत नहीं । इसके लिये ईडी , सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग भी किया जा रहा है ।

मनीष सिसोदिया के बाद अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी नम्बर लग गया है । अभी पहली पहली मुलाकात यानी पेशी हुई है । चुप चुप खड़े हो , जरूर कोई बात है ! आगे आगे देखिये होता है क्या ! यह सब संविधान के राज में हो रहा है । संविधान और अमृत महोत्सव इवेंट बना दिये गये हैं । सिर्फ औपचारिकता ! सिर्फ रस्म अदायगी ! क्या कभी कैमरे के सामने इस तरह किसी को शूट किया गया ? जैसे माफिया डाॅन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को सरेआम गोली मार दी गयी । इससे पहले कभी इतने अच्छे दिन न देखे थे क्राइम के । माफिया को खत्म करना अच्छी बात है । कानून का राज होना चाहिए और इनका अंत भी कानून के हाथों होना चाहिए । अतीक व अशरफ पर हमले के दो दिन पहले अतीक के बेटे असद को एनकाउंटर में मार गिराया गया था । यह धारावाहिक अब आगे कहां तक जायेगा ? अगली कड़ी में अतीक की पत्नी शाइस्ता की कौन सी कड़ी लिखी जा रही है ? मीडिया तो यहां तक कह रहा है कि अतीक ने खुद किसी को पुलिस बैन में से उतरते ही इशारा किया कि मुझ पर हमला करो ! कमाल की पटकथा ! सब अतीक पर ही थोप दो ।

राहुल गांधी की राजनीति इस फैसले के बार क्या करवट लेगी ? कांग्रेस की ओर से पैरवी कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी कह रहे हैं कि यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है । गलत कानूनी आधार पर जो दो निर्णय आये हैं , उनको चुनौती दी जायेगी । यदि कोई समझता है कि कि राहुल की आवाज रुकेगी या झुकेगी वो न राहुल गांधी को जानते हैं और न ही कांग्रेस को समझते हैं !

सियासत और शतरंज की चालें
हम क्या जानें भैया !
जो जानते हैं , उन्हें मुबारक !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075

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