आध्यात्मिक विरासत को अनुभव में उतारते हैं कम : आचार्य रूपचंद्र

-कमलेश भारतीय

हमारे पास व्याप्त आध्यात्मिक विरासत है लेकिन हम इसे अनुभव में कम ही उतारते हैं । यह कहना मानव मंदिर मिशन के संस्थापक आचार्य रूपचंद्र का जो कल सायं एक सप्ताह के प्रवास के लिये हिसार पधारे हैं । प्रेभनगर स्थित मानव मंदिर मे पधारने पर उनका भव्य स्वागत् किया गया । आजकल वे दिल्ली स्थित मानव मंदिर में रहते हैं जबकि यहीं से मानव मंदिर मिशन शुरू किया था । आचार्य रूपचंद्र ने कहा कि विज्ञान हमें बाहर से जोड़ता है तो आध्यात्म हमें अंदर से जोड़ने में सक्षम है । उनके अनुसार अध्यात्म से हमें शांति का अनुभव होता है ।

आचार्य रूपचंद्र ने कहा कि किसी ने सवाल किया कि भगवान् के दर्शन कैसे हों ? इसके जवाब में यह कहा जा सकता है कि भगवान् हमारे अंदर ही विराजमान हैं । जैसे कुशल कारीगर पत्थर का अनावश्यक भाग हटा कर उसमें से खूबसूरत सी मूर्ति बना देता है । ऐसे ही हम भी अनावश्यक विचारों को हटाकर अपने अंदर भगवान् के दर्शन कर सकते हैं । प्रभु की प्रतिमा बना सकते हैं ।

प्रारम्भ में विभा व रश्मिता ने गुरूदेव पधारे मधुर गीत गाकर आचार्य का स्वागत् किया । नगर की पूर्व मेयर शकुंतला राजलीवाल ने भी उनके स्वागत् में भजन प्रस्तुत किया । पतराम राजलीवाल ने दुशाला ओढ़ाकर व ब्रह्मानंद ने पुष्पार्पित कर स्वागत् किया । संचालन कमलेश भारतीय ने किया ।

आचार्य रूपचंद्र के साथ ही दिल्ली से आये योगी अरूण ने मानव मंदिर मिशन के बारे में और इसके सामाजिक कार्यों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी । कल सुबह छह से वे योगा कक्षा शुरू करेंगे जबकि आचार्य रूपचंद शाम को आठ बजे प्रतिदिन सत्संग करेंगे । स्वागत् समारोह में नगर के गणमान्य लोग मौजूद थे । साध्वी कनकलता भी दिल्ली से आचार्य के साथ पधारी हैं ।

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