मुख्यमंत्री मनोहर लाल करेंगे सम्मेलन का उद्घाटन

मुख्यमंत्री के विज़न के अनुरूप जल प्रबंधन के लिए राज्य सरकार थ्री-आर सिद्धांत यानी रिड्यूस, रीसाइकिल और रीयूज पर लगातार कर रही काम – मुख्य सचिव

मुख्य सचिव ने अधिकारियों को 20 अप्रैल तक अपने-अपने विभागों की जल कार्य योजना तैयार कर प्रस्तुत करने के दिए निर्देश

चंडीगढ़, 11 अप्रैल- हरियाणा सरकार ने 26-27 अप्रैल को दो दिवसीय जल सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल करेंगे। जल सम्मेलन का उद्देश्य जल संसाधनों के सतत प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता को बढ़ावा देना, साझेदारी बनाना और सहयोगी प्रयासों को बढ़ावा देना है, जो सामाजिक-आर्थिक विकास और नागरिकों की भलाई के लिए आवश्यक है।

मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने यह जानकारी आज यहां सिंचाई एवं जल संसाधन, कृषि एवं किसान कल्याण, ऊर्जा, वित्त, उद्योग, वन एवं मत्स्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।

मुख्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के विज़न के अनुरूप जल प्रबंधन के लिए राज्य सरकार थ्री-आर सिद्धांत यानी रिड्यूस, रीसाइकिल और रीयूज पर लगातार काम कर रही है। उन्होंने अधिकारियों को 20 अप्रैल 2023 तक अपने-अपने विभागों की जल कार्य योजना तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

श्री कौशल ने कहा कि मुख्यमंत्री के दृष्टिकोण के अनुसार, यह जल सम्मेलन नीति निर्माताओं को विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ जुड़ने, चुनौतियों की पहचान करने और पानी से संबंधित मुद्दों के प्रभावी ढंग से निवारण के लिए नीतियां और रणनीति तैयार करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।

ट्रीटेड वाटर के पुन: उपयोग पर देना होगा बल

मुख्य सचिव ने कहा कि ट्रीटेड वाटर के पुन: उपयोग को सुनिश्चित करने पर बल देते हुए कहा कि समय की मांग है कि तेजी से बढ़ रहे नगरपालिका उपचारित अनुपयोग पानी को एक संभावित जल संसाधन के रूप में मानते हुए विशेष रूप से गैर-पीने योग्य उद्देश्यों के लिए प्रभावी उपयोग में लाया जा सकता है।

बैठक में मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) श्री देवेन्द्र सिंह ने विभिन्न विभागों द्वारा निर्धारित जल संरक्षण योजनाओं के विभिन्न लक्ष्यों से अवगत कराया।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा बागवानी विभाग ने 3.46 लाख एकड़ में अपनाए जाने वाले फसल विविधीकरण (मेरा पानी-मेरी विरासत) का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अलावा, कम से कम एक लाख एकड़ में जलभराव वाले क्षेत्र का सुधार और एग्रो-हाइड्रो- क्लाइमेट जोन के अनुरूप फसल पैटर्न में बदलाव का लक्ष्य भी निर्धारित किया है।

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग और माइक्रो इरिगेशन कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (मिकाडा) ने 2000 ग्रामीण तालाबों के कायाकल्प और सिंचाई में इसके उपयोग का लक्ष्य निर्धारित किया है। 25 प्रतिशत पानी वर्षा के दौरान इन संरचनाओं में मोड़ा जाएगा, बाढ़ के पानी का पुन: उपयोग, गन्ना, आलू और कपास में शत प्रतिशत सूक्ष्म सिंचाई को अपनाना और बाढ़ के पानी को जमा करने की क्षमता को 5000 क्यूसेक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने गैर-पीने योग्य प्रयोजनों के लिए ट्रीटेड वेस्ट वाटर का उपयोग करने के लिए हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम को संपदाओं और कपड़ा समूहों और 1000 के एल डी से अधिक वाली सभी औद्योगिक इकाइयों में उपचारित अपशिष्ट जल के शत प्रतिशत पुन: उपयोग का लक्ष्य निर्धारित किया है।

नगर एवं ग्राम आयोजना और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) ने छत पर वर्षा जल संचयन प्रणालियों की निगरानी और रखरखाव तथा वर्षा के जल अपवाह को रोकने के लिए भंडारण संरचनाओं का निर्माण, पार्कों, बगीचों, मैदानों आदि में अपशिष्ट जल का शत प्रतिशत पुन: उपयोग और ग्रुप हाउसिंग कॉलोनियों में अगले दो वर्षों में माइक्रो एसटीपी और दो पाइपलाइन बिछाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने निर्माण गतिविधियों, रूफटॉप वर्षा जल संचयन प्रणालियों की निगरानी और रखरखाव में उपचारित अपशिष्ट जल का शत-प्रतिशत पुन: उपयोग तथा राज्य में सभी एसटीपी को अपग्रेड करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

बिजली निगमों ने थर्मल पावर प्लांट्स में उपचारित अपशिष्ट जल के शत प्रतिशत पुन: उपयोग का लक्ष्य निर्धारित किया है।  जबकि हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सभी क्षेत्रों के लिए ट्रीटेड वेस्ट वाटर पैरामीटर अधिसूचित करेगा। इसके अलावा, औद्योगिक इकाई द्वारा अवैध रूप से भूजल निकासी के मामले में सीटीओ रिन्यूअल नहीं करेगा। विकास एवं पंचायत विभाग और हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण ने अगले दो वर्षों के भीतर 18000 तालाबों के कायाकल्प का प्रस्ताव दिया है। मत्स्य विभाग खारे पानी वाले क्षेत्रों में 100 मत्स्य टैंक विकसित करेगा।

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