आवेदकों के लिए देरी शब्द को हटाने करने के लिए कृतसंकल्प-सचिव हितेंद्र कुमार

चण्डीगढ़, 6 अप्रैल- हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने संपत्ति कर रजिस्टर में मालिक व कब्जाधारी के नाम में परिवर्तन करने की सेवा लेने वाले आवेदकों के 152 मामलों में देरी करने के लिए नगर निगम, फरीदाबाद के छह क्षेत्रीय कराधान अधिकारियों पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

आरटीएस सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि संपत्ति कर रजिस्टर में नाम परिवर्तन करना नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण सेवा है। अंत्योदय सरल रिपोर्ट की समीक्षा के बाद 150 से अधिक मामले सेवा का अधिकार की समय सीमा के तहत लंबित पाए गए।  

मामला आयोग के संज्ञान में आने के बाद आयुक्त नगर निगम फरीदाबाद को नोटिस देकर देरी के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया। आयुक्त से प्राप्त रिपोर्ट में अवगत करवाया गया कि 6 अलग-अलग क्षेत्रीय काराधान अधिकारियों को 152 मामले आवंटित किए गए थे जिन्होंने देरी के संबंध में अपना व्यक्तिगत स्पष्टीकरण दिया।

स्पष्टीकरण का अवलोकन करने पर आयोग इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि क्षेत्रीय कराधान अधिकारियों ने अपने कार्य में ढिलाई बरती और इसमें केवल दोषारोपण के सिवाय स्थिति भी स्पष्ट नहीं की गई है।   

सचिव ने बताया किया कि आयोग ने क्षेत्रीय कराधान अधिकारियों को समय-सीमा के अलावा मामलों के निपटान के लिए अतिरिक्त एक महीने की समय अवधि को भी माफ कर दिया, तब भी कई मामले ऐसे पाए गए जिनमें और भी देरी की गई है और सुनवाई के दौरान आवेदकों का कीमती समय भी बर्बाद किया गया। 

आयोग ने मामले का निपटान करते हुए अधिसूचित सेवा के वितरण में एक महीने से अधिक की देरी के लिए प्रत्येक नामित अधिकारी पर हर मामले में 500 रुपये और कुल 50,000 रुपये की राशि का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया। 

आरटीएस सचिव श्री हितेन्द्र कुमार ने कहा कि आयोग सरकारी अधिसूचित सेवाओं की मांग करने वाले आवेदकों के लिए देरी शब्द को हटाने करने के लक्ष्य को पाने के लिए साथ कड़ी मेहनत कर रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा समय-समय पर की गई कड़ी कार्रवाई से जनता का सकारात्मक सहयोग मिल रहा है और आरटीएस व्यवस्था में विश्वास मजबूत हो रहा है।

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