-कमलेश भारतीय -ऐ भाई साहब, जरा हमार चिट्ठिया लिख देवें ,,,-हां , लाओ , कहो , क्या लिखूं ? -लिखें कि अबकि दीवाली पे भी घर नाहिं आ पाएंगे ।-हूं । आगे बोलो ।-आगे लिखें कि हमार तबीयत कछु ठीक नाहिं रहत । इहां का पौन पानी सूट नाहिं किया ।-बाबू साहब । इसे काट देवें ।-क्यों ?-जोरू पढि के उदास होइ जावेगी। और क्या लिखूं ? दीवाली त्यौहार की बाबत रुपिया पैसे का बंदोबस्त करि मनीआर्डर भेज दिया है । बच्चों को मिठाई पटाखे ले देना और साडी पुरानी से ही काम चलाना । नयी साडी के लिए जुगत करि रह्या हूं ।-हूं ।-काम धंधा मिल जाता है । थोडा बहुत लोगन से पहिचान बढ गयी है । बड़के को इदर ई बुला लूंगा । दोनों काम पे लग गये तो तुम सबको ले आऊंगा । दूसरों के खेतों में मजूरी से बेपत होने का डर रहता है ।अखबार सुनि के भय उपजता है । इहां चार घरों का चौका बर्तन नजरों के सामने तो होगा । नाहिं लिखना बाबूजी । अच्छा नाहिं लगत है ।-क्यों ?-जोरू ने क्या सुख भोगा ? और तुमने ? ऐसे ई कट जाएगी जिंदगानी हमार । लिख दें सब राजी खुशी । थोडा लिखा बहुत समझना । सबको राम राम । सबका अपना मटरू। पढने वाले को सलाम बोलना । Post navigation कल तलवंडी राणा धरने को समर्थन देने पहुंचेंगे किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत जान के दुश्मन बनते आवारा कुत्ते