भाजपा सरकार में उनके जनप्रतिनिधियों की वास्तविक राजनीतिक हैसियत क्या है : विद्रोही

संघी हिन्दुत्व की मनुवादी सोच व पिछडे, दलित, आदिवासी वर्ग के बीच वैचारिक, सैंद्धांतिक लडाई वर्षो से जारी है : विद्रोही

26 मार्च 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने पिछडे वर्ग के जागरूक लोगों विशेषकर युवाओं से आग्रह किया कि वे एक बात गांठ बांध ले कि संघी हिन्दुत्व की मनुवादी सोच ही पिछडे, दलित, आदिवासी, कमेरे वर्ग की सबसे बडी विरोधी है व इन्हे वर्षो तक दबाकर-कुचलकर शोषण करने के लिए जवाबदेह है। विद्रोही ने कहा कि संघी हिन्दुत्व की मनुवादी सोच व पिछडे, दलित, आदिवासी वर्ग के बीच वैचारिक, सैंद्धांतिक लडाई वर्षो से जारी है। पिछडे, दलित वर्ग के पुरखे व समाज सुधारकों ने वर्षो तक लडाई लडकर मनुवादी व्यवस्था व सोच के खिलाफ कमेरे वर्ग में जागरूकता पैदा करके ओबीसी व दलित समाज को मनुवादी सोच के कुचक्र से बाहर निकाला है। मनुवादी सोच की व्यवस्था से बाहर निकालने पर ही आज पिछडे, दलित, आदिवासियों को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व राजनीतिक क्षेत्र में समान रूप से आगे बढने व सत्ता-प्रशासन में भागीदारी मिली है। देश की आजादी के बाद हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू व संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की अगुवाई में पिछडे, दलितों व आदिवासियों को संविधान में जो संवैद्यानिक अधिकार दिए है, इसी के चलते आज उक्त समाज के लोग हर क्षेत्र में आगे बढ रहे है। 

विद्रोही ने आरोप लगाया कि जब से मनुवादी सोच के संघीयों के हाथ में मई 2014 से मोदी नेतृत्व में देश की बागडोर आई है, तब से बड़े सुनियोजित ढंग से एक तरफ पिछडे, दलित, आदिवासियों को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इन वर्गो को संघी हिन्दुत्व की चासनी पिलाकर उनका धर्म के नाम पर भावनात्मक शोषण करके धीरे-धीरे फिर से मनुवादी व्यवस्था के कुचक्र में फंसाकर उच्च वर्ग का पिछलग्गू बनाने का षडयंत्र रचा जा रहा है। आज भाजपा सरकारों में पिछडे, दलितों, आदिवासियों को भावनात्मक रूप से सजावटी मंत्री पद, सांसद, विधायक तो बनाया जा रहा है, लेेकिन इन वर्गो के जितने भी मंत्री, सांसद, विधायक है, वे केवल नागपुर की संघी कठपुतलियां मात्र है जिन्हे संघी नेता मनमाने ढंग से नचाते है।

विद्रोही ने पिछडे, दलित वर्ग के पढ़े-लिखे युवाओं से आग्रह किया कि अपने-अपने क्षेत्र में भाजपा-संघ के मंत्रीयों, सासंदों, विधायकों की सरकार में कितनी चलती है, इसका व्यापक अध्ययन करे और उस अध्ययन से उन्हे स्वयं पता चल जायेगा कि भाजपा सरकार में उनके जनप्रतिनिधियों की वास्तविक राजनीतिक हैसियत क्या है। देशभक्ति व राष्ट्रवाद की चासनी पिलाकर संघी पिछडे, दलित, आदिवासी वर्ग को भावनात्मक रूप से ठग रहे है पर उन्हे सत्ता-प्रशासन में सम्मानजनक भागीदारी ताकत नही देते जिनके वे अधिकारी है। विद्रोही ने कहा कि व्यापारी वर्ग के मोदी सरनेम को नकली ओबीसी बनाकर ऐसे पेश किया जा रहा है कि मानो वे पिछडेे वर्ग से सम्बन्धित प्रधानमंत्री है। मोदीजी की जाति के सभी लोग व्यापार करते है, उनमें कोई भी कमेरे वर्ग के पिछडे भाई की तरह श्रम का कार्य नही करते। पिछडे वर्ग के लोग संघीयों के असली चाल-चरित्र समझकर संघी हिन्दुत्व के कुचक्र के जाल में फंसकर नही निकलेंगे तो वे अपनी पीढियों के पैरो पर स्वयं कुल्हाडी मारकर अपने उन पुरखों की लडाई को बर्बाद कर देगे जिन्होंने मनुवादी व्यवस्था व सोच से बाहर निकालकर समानता व इज्जत से जीने का अधिकार दिया था। 

Previous post

मोदाणी सिर्फ एक चुस्त मुहावरा नहीं, राजसत्ता और पूंजी के बीच जादू की झप्पी का एक नया मॉडल है

Next post

सीएम के कार्यक्रम में भाजपा पदाधिकारियों ने की हूटिंग, कार्यकर्ताओं की सुनवाई न होने पर जताया विरोध

You May Have Missed

error: Content is protected !!