–कमलेश भारतीय -लाइए बाबू जी । पांच हजार रुपये दीजिए ।-किसलिए ? -यह ऊपर की फीस है रजिस्ट्री करवाने की । यदि यह अदा न की गयी तो रजिस्ट्री पर कोई न कोई आब्जेक्शन लग जायेगा और मामला फंसा रहेगा । दरअसल मैं प्रॉपर्टी डीलर के साथ अपने प्लाॅट की रजिस्ट्री करवाने गया था तहसील दफ्तर । इससे पहले प्रॉपर्टी डीलर नीचे के बाबुओं को सौ सौ रुपये देने को कहता रहा और मैं देता गया । पर अब एकसाथ पांच हजार ? दिल धक्क् से रह गया । आखिर मैंने फैसला किया । -अब आप ये कागज़ मुझे दो । मैं जाता हूं तहसीलदार के पास ।-बाबू जी । काम बिगड़ जायेगा । -कोई बात नहीं । बहुत हो गया और आपने बहुत खुश कर लिया बाबुओं को । अब लाओ कागज़ मैं देखता हूं ।प्रॉपर्टी डीलर ने कागज़ कांपते हाथों से मुझे सौंप दिये । मैंने अपना कार्ड भेजा और बुलावा आ गया साहब का । -बताइए क्या काम है ?-यह मेरी रजिस्ट्री है । प्रॉपर्टी डीलर पांच हजार देने को कह रहा है । क्या ये देने ही पड़ेंगे? साहब ने मेरा विजिटिंग कार्ड देखा और पत्रकार पढ़ते ही चौंके और मेरा काम धाम पूछा और चाय भी मंगवाई । चाय की चुस्कियों के बीच कागज़ के बिल्कुल टाॅप पर हरे पेन से निशान लगा मानो ग्रीन सिग्नल दे दिया और कागज़ लौटाते हुए कहा -किसी को कुछ देने की जरूरत नहीं । जाइए अपनी रजिस्ट्री करवाइए । मैं प्रॉपर्टी डीलर के साथ अगली विंडो पर पहुंचा । वहां एक सुंदर सलोनी महिला विराजमान थी । उसने ग्रीन सिग्नल देखते ही ज़ोर से अपना माथा पीटा और बोली -आज साहब को पता नहीं क्या हो गया है? यह दूसरी रजिस्ट्री है जो मुफ्त में की जा रही है ।मैं हैरान था उस सुंदरी के इतने बड़े दुख को जानकर ,, Post navigation मुख्यमंत्री से मिलेगी रोड संघर्ष समिति, स्थायी रोड को जल्द बनाने की उठाएगी मांग जीवन की खुशहाली और अखंड सुहाग का पर्व ‘गणगौर’