चंडीगढ़, 22 मार्च। विधानसभा सत्र के दौरान तारंकित प्रश्न सख्ंया पर बोलते हुए विधायक नीरज शर्मा ने सदन में कहा कि सदन में आकंडे ही गलत दिए जा रहे है क्योकि ईएसआई के आंकडे अनुसार हरियाणा में लगभग 26 लाख कर्मचारी है सरकार ने जवाब दिया कि 21 लाख कर्मचारी है। विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि प्रस्तुत आकंडो अनुसार 40 प्रतिशत कर्मचारी ठेके पर है, जबकि धरातल पर ऐसा नही है। विधायक नीरज शर्मा का कहना है कि प्राप्त जानकारी के अनुसार 1987 के बाद किसी भी उद्योग में कोई भी पद जो स्थाई प्रवृत्ति का हो प्रतिबंधित नहीं किया गया है जबकि आधुनिक मशीनों के आने के बाद नए-नए काम और पद सृजित हुए हैं। इसीलिए राज्य में पक्के पदों पर भी ठेकेदार के मजदूर को रखा जा रहा है। कोई भी जॉब प्रतिबंधित हेतु तय करना किसी अदालत के अधिकार क्षेत्र के बाहर का है जैसा कि बहुत सारे जजमेंट इस पर ऊपरी अदालतों के हैं। कोई भी उद्योगपति अगर अपने यहां ठेके पर मजदूर रखना रखना चाहता है तो सबसे पहले इस कानून की धारा 10 के अनुसार उसे श्रम विभाग से अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है। बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी उद्योग अपने यहां ठेका का मजदूर नहीं रख सकता। रजिस्ट्रेशन के लिए उद्योगपति को ठेका मजदूरों की संख्या घोषित करनी होती है कि वह अपने यहां कितने ठेके पर मजदूर रखेगा और किन किन पदों पर रखेगा। इसके साथ ही जो ठेकेदार होगा उसको श्रम विभाग से लाइसेंस लेना होता है कि वह है इतनी संख्या में और इन इन पदों पर ठेका मजदूर रखेगा जो उद्योगों को आपूर्ति करेगा। अगर दोनों ऐसा नहीं करते हैं तो ढेका कानूनी छल है और एक छलावा है। ऐसा मजदूर के शोषण के लिए किया गया है फिर कानून दखल देकर उन तमाम मजदूरों को पक्का कर देता है। विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि हरियाणा में स्टेट एडवाइजरी कॉन्ट्रैक्ट लेबर बोर्ड 2017 में बना था। यह खेद की बात है कि इसकी सिर्फ दो मीटिंग 2018 और 2020 में हुई और कानून के अनुसार यह बोर्ड अपने आप मर गया। इसलिए जरूरी है कि या तो इसी बोर्ड को पुनः अधिसूचित कर आगे बढ़ाया जाए या फिर नया बोर्ड गठित किया जाए। विधायक नीरज शर्मा ने सरकार से मांग की कॉन्ट्रैक्ट लेबर बोर्ड का जल्द से जल्द गठन किया जाए और कर्मचारियों के हितो की रक्षा की जांए। Post navigation भारतीय विचारधारा दुनिया की सबसे उत्तम विचारधारा: ओम प्रकाश धनखड़ भगत सिंह थे असाधारण युवा क्रांतिकारी….वे सिर्फ शहीद नहीं है, उन्होंने एक नए भारत का ही नहीं एक नई दुनिया का ख़्वाब देखा था