गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज : निगम क्षेत्र के गांव नाथूपुर में सोमवार को भारी पुलिस बल के बीच हाईकोर्ट के डर से
बरसाती नाले पर अवैध रूप से बने मकानों को ध्वस्त किया गया। जिसमें नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर सहित तीन एसीपी भारी पुलिस बल के साथ मोर्चे पर डटे रहे। निगम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नाथूपुर गांव के पूर्व सरपंच त्रिलोक चंद ने बरसाती नाले पर ग्रामीणों द्वारा बनाए गए अवैध रूप से मकानों को तोड़ने के लिए माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। जिस पर निगम अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। निराश होकर पूर्व सरपंच ने वर्ष 2018 में नगर निगम के खिलाफ अवमानना का केस दायर हाई कोर्ट में किया था। इसी बीच कोविड-19 के चलते केशव की सही ढंग से सुनवाई ना होने के कारण मामला लटका रहा। जब केस की रेगुलर सुनाई गई तो निगम भाई बैठे लापरवाह अधिकारियों की नींद खुली और उन्होंने आनन-फानन में कोर्ट में जवाब दाखिल करने से पहले ही तोड़फोड़ की कार्रवाई को अंजाम देना मुनासिब समझा। इसी के चलते पिछले वीरवार से ही निगम क्षेत्र गांव नाथूपुर में धड़ाधड़ अवैध कब्जा धारियों पर निगम का पीला पंजा चल रहा है।

शुक्रवार को कुछ भूमाफिया ने निगम अधिकारी और पुलिस बल पर हाथापाई और तू तड़ाक भी हुई थी जिस पर पुलिस ने एक पूर्व पार्षद सही काफी अन्य लोगों पर मुकदमा भी दर्ज किया था। इसी क्रम के चलते सोमवार को भी निगम के एडिशनल कमिश्नर अमरदीप की अगुवई में एसीपी विकास कौशिक, डॉ कविता व संजीव बल्हारा सहित काफी संख्या में पुलिस बल के साथ नाथूपुर गांव के तोता चौक पर बने कई मंजिलें अवैध मकानों को धराशाई किया गया। वही किसी भी अनहोनी से बचने के लिए भारी पुलिस बल मौके पर कटारा वही अपने मकानों को तोड़ने से बचाने के लिए महिलाएं पुरुषों ने मकानों के अंदर से छुटपुट विरोध भी किया। लेकिन पुलिस बल ने लगातार माइक से चेतावनी देकर लोगों को समझाया कि हमें अपना काम शांति पूर्व करने दो वरना हमें मजबूरी में कानूनी कार्रवाई करनी पड़ेगी।

सोमवार को तोड़फोड़ कार्रवाई में जहां बड़ी मशीन पोकलेन दी थी वही जेसीबी मशीन भी निगम अधिकारी साथ लेकर आए थे। पूरा नाथूपुर गांव पुलिस छावनी में तब्दील हुआ नजर आया। यहां तक की जितने भी महिला और पुरुष पुलिसकर्मी मौके पर तैनात थे सभी ने बुलेट प्रूफ जैकेट तक भी सुरक्षा के लिए पहनी हुई थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इनमें कुछ मकान तो इस तरह के है जो सरकार ने 100-100 गज के हरिजन लोगों को अलाट किए थे, लेकिन उन्होंने फर्जी जी पी के आधार पर दबंगों को बेच दिए थे। तोड़फोड़ दस्ते का भी महिला और बच्चों ने जमकर विरोध किया यहां तक भी कुछ महिलाएं और बच्चे मकान से बाहर भी नहीं निकले और अपने मकानों की छत पर चढ़कर निगम अधिकारियों को धमकी देते रहे कि अगर हमारे मकान को तोड़ा गया तो हम ऊपर से कूदकर अपनी जान दे देंगे। जिनको पुलिस ने बड़ी ही सूझबूझ से समझा-बुझाकर शांत किया।

क्या कहते हैं पूर्व सरपंच त्रिलोक चंद

जब इस बारे में पूर्व सरपंच त्रिलोक सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि निकम्मे बैठे भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारी केवल राजनीतिक दबाव के चलते नागरिकों की शिकायतों पर कार्रवाई करने की बजाय वोटों की राजनीति को राजनीतिक दबाव के कारण फाइलों को दबाकर रखते हैं। बरसाती नाले की जमीन पर हुए अवैध कब्जे को लेकर काफी समय से संघर्ष कर रहे हैं जबकि निगम अधिकारी के खिलाफ अवमानना का केस भी दायर किया हुआ है। फिर भी नहीं करो अधिकारी भेदभाव की नीति अपना रहे हैं। जिन खसरा नंबरों का उन्होंने हवाला बताया कि जहां पर नाला बना हुआ है उसको ना तोड़कर अन्य जगह पर तोड़फोड़ की कार्रवाई कर वाहवाही लूटने में लगे हुए हैं। उनका इस बारे में भी रोष था कि निगम अधिकारियों ने पहले तो यह मकान बनने ही क्यों दिए थे। उन्होंने जनहित में अवैध कब्जे हटवाने के लिए लाखों रुपए भी खर्च कर दिए हैं।

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