साइबर अपराध से बचाव के लिए जानकारी व सतर्कता अत्यंत आवश्यक : आईजी श्री राकेश कुमार आर्य

रोहतक, 17 मार्च 2023 – आम लोगों को ऑनलाइन साइबर क्राइम से बचाव व सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए रोहतक रेंज पुलिस द्वारा चलाया जा रहा जागरूकता अभियान लगातार जारी है। पुलिस महानिरीक्षक रोहतक रेंज, रोहतक श्री राकेश कुमार आर्य के दिशा निर्देश अनुसार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के तहत आमजन को साइबर अपराध/ ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी से बचाव व सजग करने के साथ-साथ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए जा रहे हैं। साइबर जागरूकता अभियान के तहत रोहतक रेंज के अंतर्गत चारों जिलों रोहतक, झज्जर, भिवानी व चरखी दादरी पुलिस द्वारा स्थानीय स्तर पर आम लोगों को ऑनलाइन धोखाधड़ी/ठगी के तौर तरीकों की जानकारी देते हुए उनसे बचने व सावधान रहने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जालसाज व्यक्ति लोगों से ठगी करने की नियत से अलग-अलग तरह के तरीके अपनाते रहते हैं। जालसाज शातिर व्यक्ति द्वारा ठगी की नियत से किसी आम व्यक्ति को किसी तरह के लालच का झांसा देते हुए रुपए ऐंठने के लिए लिंक क्लिक या क्यूआर कोड स्कैन करवा कर रुपये अपने खाते में लेने की लुभावनी बातें की जाती है। किंतु जैसे ही किसी व्यक्ति के द्वारा इसे स्कैन या क्लिक किया जाता है, उसके खाते में पैसे आने की बजाय निकल जाते हैं। क्योंकि यह पैसा प्राप्ति का क्यूआर कोड/लिंक होता है।

उन्होंने बताया कि जालसाज व्यक्ति किसी दुकानदार या व्यापारी को कॉल करके पैसों के भुगतान के लिए गूगल पे या फोन पे के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर की मांग करता है। किसी तरह के ऑनलाइन अपराध से अनजान व्यक्ति अपना पंजीकृत मोबाइल नंबर साझा कर देता है। क्यूआर कोड को जालसाज अपराधी द्वारा पैसा रिफंड या कैशबैक इत्यादि लिखकर इस प्रकार पेश किया जाता है, जिससे कि कोई व्यक्ति उसकी बातों पर भरोसा कर सके। जबकि वास्तव में यह लिंक/क्यूआर कोड पैसे निकालने के लिए होता है। सीधा-सादा व्यक्ति बैंक खाते के साथ पंजीकृत फोन नंबर पर आए मैसेज पर ध्यान नहीं देता। निकासी लिंक या क्यूआर कोड को स्कैन करते ही पैसा प्राप्त करने की बजाय उसके खाते से किसी अन्य खाते में ट्रांसफर हो जाता है।

उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम/ऑनलाइन धोखाधड़ी या ठगी से बचने के लिए कुछ सावधानियां रखी जानी अति आवश्यक हैं। साइबर क्राइम अथवा किसी भी प्रकार की ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी से बचने के लिए यह जरूरी है कि किसी भी अज्ञात नंबर से प्राप्त किसी भी प्रकार के लिंक या क्यूआर कोड पर क्लिक या स्कैन ना किया जाए। फर्जी ऐप फोन के डेटा तक पहुंचने और धोखाधड़ी की गतिविधियों को अंजाम देने में सक्षम होते हैं। लालच में आकर आम लोग इन ऐप्स को डाउनलोड कर लेते हैं। इस तरह के लिंक को ओपन करते ही उपभोक्ता का मोबाइल शातिर ठग हैक कर लेते हैं और ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं। पैसे की प्राप्ति के लिए कभी भी एम पिन या यूपीआई पिन दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होती। फोन पर बैंक कर्मी या पेटीएम अधिकारी बनकर जालसाज व्यक्ति द्वारा बैंक अकाउंट बंद होने, डेबिट या क्रेडिट कार्ड बंद होने अथवा अकाउंट की के.वाई.सी. करने के नाम पर लोगों से बैंक डिटेल्स मांगी जाती हैं। फोन पर जब कॉल करने वाला इस प्रकार की बात करता है तो तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए। किसी भी तरह की अपनी व्यक्तिगत व बैक से सबंधित जानकारी या पासवर्ड सांझा ना किया जाए।

उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम अथवा ऑनलाइन ठगी / धोखाधड़ी की घटना होने पर सबसे पहले तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें। इसके पश्चात संबंधित बैंक को उसकी असली वेबसाइट के माध्यम से या ईमेल के माध्यम से सूचित करें। सभी बैंकों के ऐप में भी शिकायत करने की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। पेटीएम या फोनपे जैसे ऐप से ठगी या धोखाधड़ी होने पर उनकी वेबसाइट या ऐप से बतायें। सरकार द्वारा भी साइबर धोखाधड़ी को लेकर ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए लोगों की सुविधा के लिए एक हैल्पलाइन नम्बर 1930 उपलब्ध करवाया गया है। ठगी का शिकार होने पर इस नम्बर पर संपर्क किया जा सकता है अथवा cybercrime.gov.in पोर्टल पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। इसके अलावा साइबर क्राइम थाना या अपने नजदीकी पुलिस थाना में भी पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। ठगी का शिकार हुए व्यक्तियों के लिए विशेष ध्यान रखने योग्य बात यह कि घटना के बाद जितने कम समय में 1930 पर शिकायत दर्ज कराई जाएगी, ऑनलाइन धोखाधड़ी से ठगे गए पैसे वापिस होने की संभावना उतनी ही अधिक हो जाती है।

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