यदि मुख्यमंत्री को आंदोलनरत सरपंचों की मांगों पर प्रैसवार्ता करके एकतरफा घोषणा करनी थी तो सरपंचों से उनकी बैठके, वार्ता की नौटंकी क्या मीडिया फोटो इवेंट थी? विद्रोही हरियाणा के सरपंच मुख्यमंत्री की घोषणाओं से संतुष्ट है तो मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की प्रैसवार्ता में एक भी सरपंच उपस्थित क्यों नही था? विद्रोही मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद किसी भी सरपंच ने मुख्यमंत्री की घोषणा का स्वागत क्यों नही किया? विद्रोही 16 मार्च 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से सवाल किया कि यदि हरियाणा के आंदोलनरत नवनिर्वाचित सरपंच सरकार की नीतियों व ग्राम विकास प्रक्रिया की घोषणाओं से संतुष्ट है तो अपनी मांगों को लेकर 17 मार्च शुक्रवार को विधानसभा घेराव क्यों कर रहे है? विद्रोही ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री को आंदोलनरत सरपंचों की मांगों पर प्रैसवार्ता करके एकतरफा घोषणा करनी थी तो सरपंचों से उनकी बैठके, वार्ता की नौटंकी क्या मीडिया फोटो इवेंट थी? यहीं यदि हरियाणा के सरपंच मुख्यमंत्री की घोषणाओं से संतुष्ट है तो मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की प्रैसवार्ता में एक भी सरपंच उपस्थित क्यों नही था? वहीं मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद किसी भी सरपंच ने मुख्यमंत्री की घोषणा का स्वागत क्यों नही किया? प्रदेश के सरपंचों का मुख्यमंत्री की घोषणाओं के बाद ठंडा रवैया बताता है कि मुख्यमंत्री जिस कथित व्यापक सहमति की बात कर रहे है, वह असत्य है और एक ऐसा जुमला है जिसका कोई आधार नही है। विद्रोही ने कहा कि भाजपा खट्टर सरकार के इसी तानाशाहीपूर्ण रवैये के चलते प्रदेश का हर वर्ग सरकार के असंतुष्ट व नाराज है। जब भी प्रदेश के किसी भी वर्ग, संगठन ने भाजपा सरकार के विरूद्ध आंदोलन करके अपनी मांगे रखी है, सरकार ने वार्ता की नौटंकी करके एकतरफा ढंग से अपनी ही बात समझौते के नाम पर थोपी है जिसके कारण कोई भी वर्ग सरकार से संतुष्ट नही है। सरपंचों की मांगों का समाधान करके ग्राम विकास को गति देने की बजाय भाजपा सरकार अपनी ममनानी सोच ग्रामीण व सरपंचों पर थोपना चाहती है जो ग्रामीण विकास व प्रदेश के शांतिपूर्ण माहौल के लिए किसी भीे तरह उचित नही है। विद्रोही ने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता अहंकार व राजहठ के लिए कोई स्थान नही है। लेकिन मुख्यमंत्री तो इतने सत्ता अहंकारी है कि हर मामले में राजहठ का प्रदर्शन करके प्रदेश को तनाव व अराजकता की ओर धकेलने को उतारू है। सरपंचों के असंतोष को खत्म किये बिना सरकार अपना कथित ग्रामीण विकास का ब्लू प्र्रिंट लागू नही कर सकती। विद्रोही ने कहा कि अपनी बात को लोगों पर थोपने व सबको साथ लेकर विकास करना व प्रदेेश हित सोचना अलग-अलग बाते है। सरकार सत्ता अहंकार छोडकर सरपंचों को विश्वास में लेकर ही संतुलित ग्रामीण विकास कर सकती है। सत्ता अहंकार का एकतरफा रवैया सदैव ही विनाशकारी रहा है और आगे भी रहेगा। Post navigation मुख्यमंत्री मनोहर लाल एम डब्ल्यु बी द्वारा करवाये पत्रकारों का 10 -10 लाख का टर्म इंश्योरेंस प्रदान करेंगे चंडीगढ़ प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की अध्यक्षता में ट्राईसिटी कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान को लेकर हुई बैठक