कृषि मंत्री जेपी दलाल ने दावा किया था कि हरियाणा में सरसों एमएसपी पर खरीद अब 28 मार्च की बजाय 15 मार्च से शुरू होगी पर किसी भी मंडी में 15 मार्च से सरसों की सरकारी खरीद करने की सुगबुगाहट तक नही है। विद्रोही
किसान की सरसों मंडियों में 4600 से 5200 रूपये प्रति क्विंटल भाव से खरीदी जा रही है जबकि सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रूपये प्रति क्विंटल है। विद्रोही

13 मार्च 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मांग की कि कृषि मंत्री जेपी दलाल के दावे अनुसार सरकार हरियाणा की विभिन्न मंडियों में सरसों की सरकारी खरीद 5450 रूपये प्रति क्विंटल के भाव से 15 मार्च से शुरू करे। विद्रोही ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक शुरू हो चुकी है व किसान की सरसों मंडियों में 4600 से 5200 रूपये प्रति क्विंटल भाव से खरीदी जा रही है जबकि सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रूपये प्रति क्विंटल है। इस तरह इस समय किसान को सरसों का भाव एमएसपी से 250 से 850 रूपये प्रति क्विंटल कम मिल रहा है जो किसान की लूट है। किसानों की हो रही लूट के मध्यनजर एक कार्यक्रम में कृषि मंत्री जेपी दलाल ने दावा किया था कि हरियाणा में सरसों एमएसपी पर खरीद अब 28 मार्च की बजाय 15 मार्च से शुरू होगी। कृषि मंत्री ने ऐसा दावा तो मीडिया में बयान बहादुर बनकर कर दिया लेकिन पूरे हरियाणा में जमीन पर किसी भी मंडी में 15 मार्च से सरसों की सरकारी खरीद करने की सुगबुगाहट तक नही है। 

विद्रोही ने कहा कि विभिन्न मंडियों में अधिकारी सरकार की पूर्व में घोषित तिथि 28 मार्च से एमएसपी पर सरसों की सरकारी खरीद की तैयारी कर रहे है। मौसम के बदलावके कारण सरसों कटाई पहले शुरू हो चुकी है और जिस तरह मौसम में बदलाव के चलते दिन में गर्मी बढ़ रही है, उससे लगता है कि 20 मार्च तक प्रदेश में लगभग पूरी सरसों की कटाई हो चुकी होगी।

कर्ज बोझ से दबे किसान की आर्थिक स्थिति बहुत पतली है, इसलिए उसे अपने खर्चो के लिए पैसों की जरूरत है जिसके चलते किसान खेतों में सरसों को निकालते ही उसे मंडियों में बेचने को मजबूर है। लेकिन मंडियों में किसान की सरसों एमएसपी से 250 से 850 रूपये प्रति क्विंटल कम भाव में लूटी जा रही है। विद्रोही ने कहा कि भाजपा खट्टर सरकार किसान की सरसों मंडियों में लूटने से बचाने के लिए कृषि मंत्री के 15 मार्च से सरसों की सरकारी खरीद शुरू करने के दावे को जमीन पर उतारकर अपनी कथनी व करनी को एक करे। 

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