Haryana Chief Minister Mr. Manohar Lal addressing Digital Press Conference regarding preparedness to tackle Covid-19 in the State at Chandigarh on March 23, 2020.

पंचायतों में ई-टेंडर प्रक्रिया से कामकाज में आएगी पारदर्शिता

पंचायतों को प्रशासनिक शक्तियां प्रदान कर किया गया सशक्त

ई-टेंडरिंग से पंचायतों में तेजी से होंगे विकास कार्यतय होगी जिम्मेदारी

चण्डीगड़, 4 मार्च – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्रदेश सरकार लगातार सिस्टम में पारदर्शिता की ओर कदम बढ़ा रही है। विभिन्न सेवाओं के पारदर्शी संचालन के बाद अब सरकार ने पंचायतों के जरिए होने वाले कामकाज को पारदर्शी बनाने और विकास कार्यों को गति प्रदान करने के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया शुरू की है। दो लाख तक के विकास कार्य जहॉं बिना टेंडर के होंगे वहीं 2 लाख रुपये से अधिक के विकास कार्य ई-टेंडर के माध्यम से करवाने का प्रावधान किया गया है। इसकी प्रक्रिया भी पूरी तरह सरल कर दी गई है। गॉंव में होने वाले सभी विकास कार्यों के बदले भुगतान ग्राम पंचायत द्वारा ही किया जाएगा।

सरकार द्वारा 2 लाख से 25 लाख रुपये तक की लागत के कामों की ई टेंडर प्रक्रिया को बड़ा आसान बना दिया गया है। कोई भी ठेकेदार ई-टेंडर पोर्टल पर आवेदन कर सकता है। इसमें ठेकेदारों के लिए तकनीकी इवैल्युएशन की जरूरत नहीं होगी। इसके तहत अब तक 600 से अधिक ठेकेदार आवेदन भी कर चुके हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार गांवों में 90 फीसदी काम 25 लाख रुपये तक की लागत के ही होते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो अब गांवों में विकास के 90% कार्य तेज गति से होंगे क्यूंकि इन्हें करवाने की प्रक्रिया को एक महीने में अंजाम दिया जाएगा।

ई-टेंडर प्रक्रिया मुख्यत विकास कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए शुरू की गई है। इसका अर्थ यह नहीं है कि विकास कार्यों में पंचायत की भूमिका कम हो गई है। पंचायत को विकास कार्यों के लिए सभी प्रशासनिक शक्तियां प्रदान करके उन्हें और सशक्त किया गया है। पंचायतों में ई-टेंडरिंग से होने वाले विकास कार्यों की पेमेंट भी पंचायते खुद ही करेंगी। अब पंचायतें अपने फंड की प्रशासनिक स्वीकृति देने का काम स्वयं कर सकती हैं। पहले कार्य करवाने के लिए टेक्निकल अप्रूवल में ही लंबा समय लग जाता था, लेकिन अब टेक्निकल अप्रूवल को तर्कसंगत बनाया गया है ताकि काम जल्दी हों।

ई-टेंडरिंग लागू होने के बाद अब पंचायतों में काम तेजी से होंगे तथा जिम्मेदारी तय होगी। इसके साथ ही पंचायतों के कामकाज में पारदर्शिता आएगी और आम जनता व ग्रामीण पोर्टल पर अपने गांव के विकास कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही सरपंचों को मैनुअल रिकार्ड रखने से भी मुक्ति मिलेगी।

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