एजेंसियों को दिया गया है जिला स्तर पर पुस्तकों की आपूर्ति का कार्यक्रम

चंडीगढ़ , 16 फरवरी- हरियाणा के स्कूल शिक्षा मंत्री श्री कंवरपाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि सरकारी विद्यालयों में आगामी शैक्षणिक सत्र आरंभ होने से पहले पाठ्य पुस्तकों/ कार्य पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।  

श्री कंवरपाल ने आज यहाँ इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के परियोजना अनुमोदन बोर्ड की बैठक में स्कूलों में मुफ्त पाठ्य पुस्तकें मद के तहत 48 करोड़ रुपये की राशि अनुमोदित की गई है जिसके तहत पहली से आठवीं तक के छात्रों को वर्ष 2023-2024 के दौरान पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा भी सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले पहली से आठवीं तक के छात्रों को समग्र शिक्षा के तहत मुफ्त पुस्तकें उपलब्ध  करवाई जाएंगी।  

उन्होंने बताया कि गत दिनों मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई उच्च अधिकार प्राप्त क्रय समिति की बैठक में पाठ्य पुस्तकों/ कार्य पुस्तकों के मुद्रण व आपूर्ति के लिए एजेंसियों की निविदाओं को अंतिम रूप दिया जायेगा।  उन्होंने बताया कि 25  मार्च, 2023  से पहले- पहले एजेंसियों को पुस्तकों आपूर्ति का कार्य पूरा करना होगा।

शिक्षा मंत्री ने बताया कि मैस. कैपिटल बिज़नेस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली को पहली, दूसरी, तीसरी, छठी व आठवीं कक्षा,  मैस. नोवा पब्लिकेशन  प्राइवेट लिमिटेड, फरीदाबाद को चौथी व सातवीं तथा मैस. नोवा पब्लिकेशन, जालंधर को पांचवीं की पुस्तकों के मुद्रण व आपूर्ति के वर्क आर्डर जारी किये हैं। कक्षा चौथी, पांचवीं एवं तीसरी की पाठ्य पुस्तकें नूंह व सिरसा जिलों में जिला स्तर पर पहुँच गई हैं जिनकी आपूर्ति स्कूल स्तर पर 17 फरवरी, 2023 से आरंभ कर दी जाएगी। इसी प्रकार 14 फरवरी से 21 फरवरी, 2023 से नूंह, पलवल, फरीदाबाद व गुरुग्राम, 22 फरवरी से 28 फरवरी, 2023 तक सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद व कैथल, 1 मार्च से 9 मार्च, 2023 तक सोनीपत, पानीपत, करनाल, रोहतक, 10 मार्च से 17 मार्च, 2023 तक कुरुक्षेत्र, पंचकूला, यमुनानगर, अंबाला तथा 18 मार्च से 25 मार्च, 2023 तक भिवानी, चरखी दादरी, झज्जर, महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी जिलों में पुस्तकों की आपूर्ति का कार्यक्रम  तैयार किया गया है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास है कि पाठ्य पुस्तकों व कार्य पुस्तकों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।  

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