-कमलेश भारतीय देश के बड़े उद्योगपति गौतम अडाणी की चर्चा जोरों पर है । अखबार रंगे पड़े हैं अडाणी से । इनके शेयर गिर रहे हैं और इनके साथ ही सरकार की साख भी लगातार गिरती जा रही है । हालांकि सरकार पल्ला झाड़ रही है लेकिन विपक्ष है कि दिन प्रतिदिन हमलावर होता जा रहा है । संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पा रही । राहुल गांधी पूछ रहे हैं कि आखिर 609वें नम्बर वाला उद्योगपति दो नम्बर तक कैसे पहुँचा ? यह कैसा जादू है मितवा ? मोदी पीएम बने तो अमीरी का जादू शुरू हुआ । ये आरोप हैं । दूसरी ओर से जवाब है कि विजय माल्या को किसने भागने दिया ? सवाल लौट कर आते है कि नीरद मोदी को किसने भागने दिया ? हर्षद मेहता कौन था ? कभी उसके नाम पर भी संसद गूंजी थी । ये सवाल जवाब इतना संकेत तो देते हैं कि अलग अलग समय कौन कौन उद्योगपति सरकार के करीब रहकर बड़े बड़े पैसे डकार गये । देश के बैंक चुपचाप देख रहे हैं । देशवासी हैरान परेशान हैं । क्या होगा ? बैंक दीवालिया तो न हो जायेंगे ? शेयर बाजार तो धड़ाम से नीचे आये हैं , कहीं बैंकों पर भी इसका असर देखने को मिले ? राहुल गांधी सवाल कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी , अडाणी कितनी बार आपके साथ विदेश दौरे पर गये ? कितनी बार ऐसा हुआ कि आपके दौरे के बाद अडाणी को ठेका मिला ? अडाणी ने बीस साल में कितना पैसा भाजपा को दिया ? नियम बदलकर अडाणी को छह हवाई अड्डे दिये गये । स्टेट बैंक अडाणी को एक अरब डॉलर का कर्ज क्यों दे देता है ? संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे के नेता का विरोध और अपने नेता के भाषण पर मेज थपथपाते हैं । रविशंकर प्रसाद बचाव में इतना ही कहते हैं कि ये आरोप बेबुनियाद और शर्मनाक हैं ! अब स्वतंत्रता के बाद से ही उद्योगपतियों और सरकार में दबे छिपे संबंध रहे हैं । अब यह खेल खुलेआम हो गया । हिसार के उद्योगपति व स्टीलमैन कहे जाने वाले ओ पी जिंदल पहले राजनिति वालों को चंदा देते रहे और जब अति हो गयी तो खुद चुनाव मैदान मे उतर आये ! ओ पी जिंदल , इनके बेटे नवीन जिंदल और बाद में सावित्री जिंदल सभी राजनीति में सफल रहे । इनके ही बेटे सज्जन जिंदल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निकट हैं । आजकल सीधे सीधे सावित्री जिंदल और नवीन जिंदल राजनीति में सक्रिय नहीं हैं लेकिन राजनीतिक दलों की मदद अब भी कर रहे हैं । यह छोटा सा उदाहरण मात्र है । बहुत से उद्योगपति सरकार से जुड़कर फायदे ले रहे हैं । कोई इनमें से भी छोटी पायदान से बड़ी छलांग लगा सकता है । राजनीति अब काफी खुलने लगी है । बहुत से भेद खुलने लगे हैं । आईटी से प्रचार भी अब आम बात है । एक नहीं अनेक जादू हो रहे हैं ! अडाणी के जादू के खुलने से काफी हंगामा हो रहा है । ये कैसा जादू है मितवा !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075 Post navigation हरियाणवी फिल्म महोत्सव ………. फिर चली बात , बात फिल्मों की अच्छी व पारिवारिक फिल्मों का हिस्सा बनूं यही इच्छा है : हरिओम कौशिक