-कमलेश भारतीय हरियाणा के हिसार में दो दिवसीय हरियाणवी फिल्म महोत्सव गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय में आयोजित किया गया । इसमें हरियाणा भर से कलाकार जुटे और हरियाणवी फिल्मों पर विचार मंथन हुआ । पचास से ऊपर फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई जिसे हाउस फुल में नये रंगकर्मियों ने देखा और सराहा । यह इसका पाॅजिटिव पहलु कहा जा सकता है । अब तक कुरूक्षेत्र और हिसार में फिल्म महोत्सव होते आ रहे हैं । इससे हरियाणवी फिल्मों पर बात चल पड़ी है । सही कहा स्टेज एप के संचालक विनय सिंघल ने कि पहले आप हरियाणवी को अपनाइये तभी फिल्मों का प्रचार प्रसार बढ़ेगा । स्टेज एप का नारा है -हरियाणवी फिल्मों की क्रांति लाना ! स्टेज एप के आने के बाद से अनेक परियोजनाएं सामने आई हैं और हरियाणवी फिल्मों का क्रेज बढ़कर कई गुणा हो गया है । छोरियां छोरों से कम नहीं फिल्म व काॅलेज कांड हरियाणवी सीरीज बनाने वाले राजेश अमरलाल बब्बर ने कहा कि हरियाणवी कलाकारों को जोड़ने का यह प्रयास सराहनीय है । हरियाणवी कलाकारों को एक प्लेटफार्म पर इकट्ठा किया जाना सुखद संकेत है । ऐसे प्रयोग होते रहने चाहिएं । फिर भी इसमें कुछ मनोरंजन भी होना चाहिए था , जिसकी कमी अखरी ! मेरा फिल्म महोत्सव का हरियाणा में पहला अनुभव था । राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म सतरंगी फिल्म के निर्माता निर्देशक संदीप शर्मा ने बातचीत में कहा कि जिन फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई , उनकी स्थिति दयनीय रही । वैसे जितने हरियाणवी फिल्म महोत्सव हों , उतना ही अच्छा है । हां , मास्टर क्लास के लिए कुछ ज्यादा समय तय किया जाना चाहिए था । पुरस्कार प्राप्त फिल्म पगड़ी-द ऑनर के निर्देशक राजीव भाटिया ने भी मास्टर क्लास ली और बेहतर हरियाणवी फिल्में बनाने का आह्वान किया । दो दिन के इस विचार मंथन के बीच हरियाणवी कलाकार गुजवि के खूबसूरत हरे भरे लाॅन में आपस में मिलते , बतियाते नयी नयी योजनाओं की चर्चा करते रहे । यह भी एक शानदार अवसर प्रदान किया फिल्म महोत्सव ने । कुछ कमियां भी रहीं । जैसे सभागार के बाहर कहीं भी पेयजल की व्यवस्था न होना नोटिस किया गया ! फिल्मों के पोस्टर्स न होना । फिर मनोरंजन की कमी का संकेत राजेश ही दे चुके हैं । इसी पुकार फिल्मों की स्क्रीनिंग में कमजोर फिल्मों को शामिल करना ! अच्छी फिल्में दिखाने से अच्छा संकेत जाता । अनेक ऐसी फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई जो विभिन्न विश्वविद्यालयों के मीडिया विभाग द्वारा बनाई गयीं बहुत कच्ची फिल्में थीं । खैर ! हरियाणवी फिल्मों के लिए किये इस प्रयास की बहुत बहुत बधाई ! बात चली और चलती रहनी चाहिए ।आयोजकों को बधाई ।अभी जी भर के देखा नहीं तुझेरखियो न हिसाब में मुलाकात आज की ।-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।-9416047075 Post navigation रोज डे (7 फरवरी) ………. रचनात्मक विचारों के साथ, अपनों को गुलाब दें अडाणी: यह कैसा जादू है मितवा ?