बजट में आयकर छुट बढ़ाकर 5 लाख करे सरकार: पूनिया

सार्वजनिक परिवहन सेवा विस्तार के लिए विशेष बजट का प्रावधान करें

चंडीगढ़, 30 जनवरी। आल इंडिया रोड़ ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फैडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महासचिव सरबत सिंह पूनिया ने केन्द्र सरकार से वर्ष 2023-24 के बजट में करमुक्त आय की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने व सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र के विस्तार के लिए विशेष बजट के प्रावधान करने की मांग की। उन्होंने कहा सरकारी परिवहन सेवा के विस्तार से जहां जनता को बेहतर व सुरक्षित परिवहन सेवा मिलेगी, वहीं पर लाखों बेरोजगार युवाओं को स्थाई रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे। उन्होंने मांग की एक फरवरी को केंद्र सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले बजट में कर्मचारियों व आम जनता को टैक्स में छूट देकर यदि पूंजीपतियों पर अतिरिक्त टैक्स लगाकर राजस्व एकत्रित किया जाता है, तो इस पैसे को रोजगार सृजन, सार्वजनिक क्षेत्र व नियमित रोजगार के विस्तार, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, बिजली, पीने का पानी व जनकल्याण में ज्यादा खर्च किया जा सकता है।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरबत सिंह पूनिया ने सरकार से मांग की करमुक्त आय की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जाए। मानक कटौती की राशि 50 हजार से बढ़ाकर 1लाख रुपए की जाए। महंगाई भत्ते सहित सभी भत्तों को कर योग्य न माना जाए। क्योंकि ये भत्ते किसी विशेष खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए दिए जाते हैं। पुरानी पेंशन योजना को बहाल करते हुए पीएफआरडीए को समाप्त किया जाए। पीएफआरडीए के कर्मचारियों व नियोक्ता द्वारा काटी गई राशि ब्याज सहित लौटाई जाए। निजीकरण, ठेका भर्ती, अग्निपथ, सार्वजनिक संस्थाओं की संपत्ति लीज पर देना आदि बंद किया जाए। इसके विपरीत घरेलू माँग बढ़ाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को सुदृढ किया जाए। श्री पूनिया ने कहा रसोई गैस, डीजल, पैट्रोल आदि की कीमतें कच्चे तेल के दामों के अनुपात में घटाई जाएं। अप्रत्यक्ष करों में कमी की जाए ताकि आम उपभोक्ता को राहत मिल सके। राजस्व प्रबंधन और जरूरी खर्च चलाने के लिए बड़े पूंजीपतियों पर पाँच से दस फीसदी तक प्रत्यक्ष कर लगाए जाएं। इस धन को शिक्षा, स्वास्थ्य, जनकल्याण, ढांचागत सुविधाएं और रोजगार विकसित करने पर खर्च किया जाए। प्राथमिक उत्पादकों – कृषि, दूध, मछली, पशुपालन आदि को प्रोत्साहन दिया जाए। सरकार द्वारा अतिरिक्त खर्च करने से औद्योगिक विकास को गति मिलेगी, घरेलू माँग बढ़ेगी और विकास के लिए निर्यात निर्भरता कम होगी।

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