कर्नल राम सिंह ने राव बीरेंद्र सिंह की सत्ता को दी थी चुनौती
रेजांगला शौर्य समिति ने 11वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए 

अशोक कुमार कौशिक 

 रेवाड़ी। यूं तो दिवंगत राव राजा बीरेंद्र सिंह अहीरवाल में तूती बोलती थी, पर एक समय ऐसा भी आया जब उन्हीं के रिश्तेदार ने मैदान में आकर उनको जबरदस्त चुनौती ही नही दी अपितु राजनीतिक मैदान में हार का सामना करवाया ‌। यह रिश्तेदार कोई और नहीं कड़क मिजाजी कर्नल राम सिंह थे।

रेवाड़ी जिले के कोसली विधानसभा के गांव शहादत नगर,नया गांव में 9 अगस्त 1925 को कर्नल रामसिंह का जन्म हुआ I वह अपनी शिक्षा पूरी करके फौज में चले गये। वहां से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद राजनीति में उतरे I वे अपने सख्त स्वभाव और फौजी उसूलों के लिए जाने जाते थे। वही ही एक मात्र ऐसे नेता भी थे जिन्होंने तीस सालों तक रामपुरा हाउस को अपने वजूद से झंझोंरे रखा I वैसे तो वह राव वीरेंद्र के रिश्तेदार थे पर हमेशा उनसे टकराव ही रहा I उनका राजनीति में पर्दापण 1977 में हुआ, उन्होंने जनता पार्टी की टिकट पर रेवाड़ी विधानसभा चुनाव लड़ा । बुजुर्ग बताते हैं कि चुनाव के दौरान गोलियां भी चली थी I 

1982 के विधानसभा चुनाव में कर्नल रामसिंह ने कांग्रेस की टिकट पर रेवाड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। जिसमें बाई जी को उन्होंने शिकस्त दी। वह हरियाणा सरकार में परिवहन मंत्री बने। राजनीति में उथल-पुथल के कारण, उन्हें 1986 में पंचायती विकास मंत्री भी बना दिया गया I 

1987 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कि टिकट हुकूम चंद कालरा को मिली, टिकट ना मिलने कि स्थिति में कर्नल राम सिंह ने आजाद उम्मीदवार के रूप में रेवाड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। न्याय युद्ध की धमक और चौधरी देवीलाल की हवा के साथ युवा क्रान्तिकारी रघु यादव की राजनीति 

शुरुआत के चलते उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। युवा रघु यादव रामपुरा उसके घोर विरोधी रहे पर वह चौधरी देवीलाल के दो पुत्रों ओमप्रकाश चौटाला और रणजीत सिंह चौटाला  के बीच राजनीतिक महत्वाकांक्षा के बीच सामंजस्य नहीं बैठा पाए। उन्होंने बगावत का बिगूल बजा दिया और नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया। यही वह समय था जब रेवाड़ी की राजनीति में एक और कैप्टन का उदय हुआ। कांग्रेस की टिकट पर कैप्टन अजय यादव ने ऐसी जीत प्राप्त की फिर उन्होंने अपना वर्चस्व आजतक बनाए रखा है।

1989 में केंद्रीय मंत्री मण्डल से राव बीरेंद्र ने बोफोर्स घोटाले के कारण कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और इसके बाद मध्यावर्ती चुनाव में कांग्रेस ने लोकसभा कि टिकट कर्नल रामसिंह को दे दी । राव बीरेंद्र सिंह से लोकसभा चुनाव हार गये,इसके बाद 1991 में लोकसभा चुनाव फिर हुए जिसमें कर्नल राम सिंह ने फिर कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और राव बीरेंद्र सिंह को हराया I तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल से उनके पटरी नहीं बैठी और वह शमशेर सिंह सुरजेवाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ विरोध के सूर अलापने लगे।

1996 में कर्नल राम सिंह भाजपा में शामिल हो गये और अटल बिहारी कि लहर के चलते उन्होने 1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे राव बीरेंद्र सिंह को हराया I 1998 के फिर से मध्यावर्ती चुनाव हुए जिसमें वह राव इंद्रजीत से हार गये I 30 जनवरी 2012 को वह दुनिया को छोड़ चले गये I उन्होने आज ही के दिन 1996 में रेजांगला शौर्य समिति के नाम से संस्था बनाई, जिसे उन्हें याद किया जाता है I लगभग बीस सालों से उनका परिवार राजनीति में खामोश है। उनके उत्तराधिकारी संजय का नाम एक-दो बार चर्चा में तो आया पर फिर से राजनीति में घाक नही जमा सके I 

– रेजांगला शौर्य समिति ने 11वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए 

रेजांगला शौर्य समिति की आम सभा सोमवार 30 जनवरी को प्रातः 11 बजे रेजांगला युद्ध स्मारक पर आयोजित की गई । 

समिति के संस्थापक महासचिव राव नरेश चौहान राष्ट्रपूत ने जानकारी देते हुए बताया कि सभा में समिति के संस्थापक मुख्य संरक्षक कर्नल राव राम सिंह पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। 1996 में दिल्ली से नांगल चौधरी राजस्थान सीमा तक फैले अहीरवाल के लोकसभा महेंद्रगढ़ क्षेत्र में पहली बार कमल का फूल खिलाया। उनकी 11वीं पुण्य तिथि पर स्मरण किया गया ।  साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, आजाद हिंद फौज में गांधी ब्रिगेड के नायक लक्ष्मण सिंह यादव व 30 जनवरी 1970 को ही चंडीगढ़ विवाद पर  रेवाड़ी में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए इलाके के नौजवानों को भी श्रद्धांजलि दी गई ।

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सभा में 15 जनवरी सेना दिवस के अवसर पर समिति द्वारा लिए गए निर्णयों की समीक्षा भी की जाएगी ।

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