साधना, धैर्य, संतोष रूपी गुण धारो, परमात्मा का मार्ग बहुत सुगम है। चरखी दादरी जयवीर फौगाट 21 जनवरी, सत्संग का प्रेमी चातक पक्षी की भांति होता है। सत्संग प्रेमी हर सुख दुख से ऊपर उठ कर लाभ हानि से बेखबर सत्संग करता है क्योंकि वह सत्संग के महत्व को समझता है। सत्संग की तो एक घड़ी भी लाखो तप साधना से ज्यादा कल्याणकारी है। सत्संग परमात्मा मिलन का द्वार है। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाए। गुरु महाराज जी ने कहा कि परमात्मा के जहूर के लिए तन, मन, धन की बाजी लगानी पड़ती है। हुजूर ने कहा कि इंसान पूरा जीवन संग्रह में लगा देता है। कितनी बद दुआ लेता है लेकिन जब इस संसार से विदा होता है तो सब कुछ यहीं रह जाता है। फिर इंसान तड़पता है, पछताता है लेकिन जो लेख वो लिख चुका वो मिटते नहीं हैं। कर्म के लेख केवल सतगुरु सुधार सकते हैं। तन, मन से कर्म अच्छे किया करो क्योंकि आपके कर्मो का लेखा आपके साथ चलता है। सतगुरु महाराज ने कहा कि कई इस गफलत में रहते हैं कि जब हमने किसी का बुरा किया ही नहीं तो फिर हमें किसी सत्संग या सतगुरु की क्या आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कर्म गति आप तय नहीं करते। गुरु जी ने कहा कि हम सामाजिक प्राणी है। हमारा प्रथम अभ्यास सामाजिक जीवन को सुधारने का होना चाहिए। जब बुराइयां हट जाएगी तो अच्छाई भी आराम से टिकेंगी। गुरु महाराज जी ने कहा कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। हर पल अपने आप को चेतावनी देते रहो। अपने बच्चो को हर पल अपनी नजरों में रखो। उन्हे विरासत में धन नहीं संस्कार दो क्योंकि अगर वो संस्कारी बन गया तो धन स्वयं ही कमा लेगा। इस जीवन को वृथा मत खोना क्योंकि यह जन्म लाखो जन्मों के भटकाव के बाद पाया है। हर पल चेत कर भक्ति कमाओ। साधना, धैर्य, संतोष रूपी गुण धारो। उन्होंने कहा कि परमात्मा का मार्ग बहुत सुगम है अगर आप इस सुगम मार्ग पर भी नहीं चल सकते तो दोष आपका ही है और यह बिल्कुल ऐसा है जैसे नाच ना आने पर आंगन को टेढ़ा बताना। Post navigation मौनी अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा और पितरों की शांति के लिए तर्पण करने से मिलता है आलौकिक सुख किसानों ने फसल पर चलाया ट्रैक्टर, मुआवजा नहीं मिलने पर नैना चाैटाला को गांव में नहीं घुसने की दी चेतावनी