वायु गुणवत्ता स्तर जांचने के कम से कम पांच मशीनें ओर लगाई जाए 
आठ साल में नांगल चौधरी क्षेत्र के खेत खेत में खड़े हुए क्रेशर, क्या यही विकास है?
तेजपाल यादव की याचिका पर जिला प्रशासन, हरियाणा सरकार व क्रेशर माफिया के गठजोड़ को मिला मुंहतोड़ जवाब
महेंद्रगढ़ के उपायुक्त व हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव को अगली तारीख पर एनजीटी के समक्ष उपस्थित रहने के दिए सख्त आदेश

भारत सारथी/ कौशिक 

इंजीनियर तेजपाल यादव

नारनौल। इंजीनियर तेजपाल यादव की याचिका पर गत बुधवार, 18 जनवरी को एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली मुख्य खंडपीठ ने हरियाणा के महेंद्रगढ़ व चरखी दादरी जिले के 343 स्टोन क्रेसरों पर ” तेजपाल बनाम हरियाणा राज्य ओए नम्बर 679/2018″ केस में प्रति क्रेशर न्यूनतम 20 लाख रुपए के हिसाब से लगभग 70 करोड़ का जुर्माना ठोका है ।

ज्ञात रहे कि इंजीनियर तेजपाल यादव पिछले 5 वर्ष से महेंद्रगढ़ जिले व विशेष तौर से नांगल चौधरी क्षेत्र में स्टोन क्रेसरों से हो रहे भारी पर्यावरण प्रदूषण व बीमारियों से तिल तिल कर मर रहे लोगों की जान को बचाने के लिए सड़क पर जनसंघर्ष, जनांदोलनों व न्यायालय में कानूनी लड़ाई द्वारा निरंतर संघर्ष कर रहे हैं। विगत में कई तरह के ऐतिहासिक फैसले एनजीटी, सुप्रीम कोर्ट से स्टोन क्रशरों के खिलाफ, जनहित में करवा कर हरियाणा के पर्यावरणीय इतिहास में ऐतिहासिक मिसाल कायम कर चुके हैं।

गौरतलब है कि एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की खंडपीठ ने 15 नवंबर 2021को महेंद्रगढ़ जिले के सभी स्टोन क्रेसरों की उच्च स्तरीय जांच हेतु आईआईटी के एन्वाइरन्मेंट एक्सपर्ट के साथ छह सदस्य विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया था। उसके साथ ही पूरे महेंद्रगढ़ जिले के स्टोन क्रेसरों से प्रभावित गांवों में जो भी व्यक्ति क्रेसरों की उड़ती धूल की वजह से जानलेवा बीमारियों जैसे सिलिकोसिस, टीबी आदि से  ग्रसित हैं। उनके स्वास्थ्य जांच का आदेश हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक को दिया था। महेंद्रगढ़ जिले में स्थित अनेकों  स्टोन क्रेसरों की संख्या, पर्यावरणीय वहन क्षमता, वायु गुणवता स्तर आदि महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गहन छानबीन व जांच के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट 7 अप्रैल 2022 तक एनजीटी को सौंपने के आदेश दिए थे। लेकिन इन तमाम आदेशो के दरकिनार कर पिछले डेढ़ साल से एनजीटी द्वारा गठित एन्वाइरन्मेंट कमेटी, जिला प्रशासन व चंडीगढ़ में बैठे संबंधित उच्च अधिकारी भी, प्रदेश सरकार व यहां के जनप्रतिनिधि के राजनीतिक दबाव की वजह से क्रेशर माफिया के साथ मिलीभगत करके टालमटोल का रवैया अपनाते रहे। एनजीटी को रिपोर्ट सौंपने में आनाकानी का रुख अपनाते हुए, जानबूझकर देरी करते रहे। 

इन सबके बावजूद डेढ़ साल के बाद गत 16 जनवरी  को उपरोक्त कमेटी द्वारा आधी-अधूरी, लोगों के स्वास्थ्य की जमीनी स्तर पर जांच किए बिना वातानुकूलित कमरों में बैठकर रिपोर्ट तैयार कर दी। इंजीनियर के एडवोकेट राज कुमार की मजबूत पैरवी के चलते रिपोर्ट से खफा होकर एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने जिला प्रशासन व पूरी कमेटी को भारी लताड़ लगाते हुए एक बहुत ही सख्त आदेश दिया है।

गत 16 जनवरी को कमेटी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट  में वायु गुणवत्ता स्तर जांचने के लिए लगाई गई मशीनों का हवाला देकर वायु गुणवत्ता स्तर का जिक्र किया गया। जिस पर एनजीटी ने कमेटी पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि जब आपने वायु गुणवत्ता जांचने के लिए जो नियंत्रक लगाए हुए हैं, वह नारनौल के सचिवालय या नांगल चौधरी शहर में लगाए हुए हैं। जिससे कि स्टोन क्रेशर से होने वाले प्रदूषण से प्रभावित लोगों व पर्यावरण का कितना नुकसान हो रहा है, इसका सही आकलन नहीं किया जा सकता। इसी को ध्यान में रखते हुए माननीय एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग

को कड़े आदेश देते हुए कहा कि महेंद्रगढ़ जिले में स्टोन क्रेशर क्षेत्रों के बिल्कुल नजदीक में निरंतर वायु गुणवत्ता स्तर जांचने के कम से कम पांच मशीनें लगाई जाए । एनजीटी ने कहा कि स्टोन क्रेसरों की अधिकता की संख्या के हिसाब से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग, इन मशीनों की संख्या बढ़ा भी सकता है, तभी प्रदूषण के मापने का सही से आकलन किया जा सकता है।

स्टोन क्रेसरों पर लगे करोड़ों के जुर्माने की वसूली को लेकर एनजीटी ने हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग को नोडल एजेंसी बनाया है । साथ ही यह कहा है कि “तेजपाल वर्सेस स्टेट ऑफ हरियाणा” नाम की याचिका के प्रारंभिक वर्ष 2018 से 5 साल पहले तक की क्रेसरों का प्रति वर्षीय हिसाब लगाकर और अधिक जुर्माना वसूला जाएगा।  इसका मतलब यह है कि न्यूनतम प्रति क्रेशर पर 20 लाख रुपए न्यूनतम जुर्माना एनजीटी के आदेश अनुसार है। परंतु अगर हिसाब लगाया जाए तो किसी क्रेशर पर 40 लाख, 50 लाख या यह राशि एक करोड़ तक भी हो सकती है। यानी सन 2013 से लेकर 2023 तक चले विभिन्न  स्टोन क्रेसरों की संचालन अवधि अनुसार बहुत ज्यादा जुर्माना तय होना बाकी है।

इसके साथ ही एनजीटी ने महेंद्रगढ़ जिले के स्टोन क्रशरों की वहन क्षमता, और अत्यधिक खराब हो चुकी। वायु गुणवत्ता स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए कड़ा रुख देते निर्देश दिया है कि महेंद्रगढ़ जिले में स्टोन क्रेसरों की इस कदर संख्या बढ़ना वाकई पर्यावरण व लोगों के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है। 

उन्होंने कहा कि महेंद्रगढ़ जिले में स्टोन क्रेसरों की संख्या लगातार घटनी चाहिए और एनजीटी ने कहा कि दो स्टोन क्रेशर के बीच की न्यूनतम दूरी 500 मीटर पर जोर देते हुए हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग को निर्देश दिए कि किसी भी नए स्टोन क्रशर को महेंद्रगढ़ जिले में एनओसी न जारी किया जाए।

इसके साथ ही एनजीटी ने महेंद्रगढ़ जिले के जिला उपायुक्त, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग, वन विभाग व जिला वन अधिकारी की एक ज्वाइंट कमेटी बनाते हुए निर्देश दिए हैं कि सभी तरह का जुर्माना सिर्फ 1 महीने के अंदर वसूला जाए । यह सुनिश्चित किया जाए कि जो भी नियमों की अवहेलना करने वाले स्टोन क्रेशर अगर और पाए जाते हैं तो उन्हें तत्काल प्रभाव से तुरंत बंद किया जाए।

 एनजीटी ने यह पूरी रिपोर्ट ज्वाइंट कमेटी को 30 अप्रैल 2023 तक सौंपने के लिए कहा है। इसके साथ ही एनजीटी ने महेंद्रगढ़ जिले के जिला उपायुक्त व हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के सबसे बड़े अधिकारी प्रधान सचिव को अगली तारीख 22 मई को एनजीटी के समक्ष उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं।

गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता एवं पर्यावरणविद् इंजीनियर तेजपाल यादव स्टोन क्रेसरों से होते भारी पर्यावरण प्रदूषण व इससे लोगों को हो रही भयंकर जानलेवा बीमारियों के चलते पिछले काफी समय से सड़क, न्यायालय व आंदोलन के मार्फत एक लंबा संघर्ष लड़ने को प्रयासरत है। विगत में एनजीटी से 72 स्टोन क्रेसरों के बंद कराने के आदेश करवा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी जीत हासिल कर चुके हैं।

 उल्लेखनीय है कि 24 जुलाई 2019 को महेंद्रगढ़ जिले के 72 अवैध स्टोन क्रेसरों के तुरंत बंद करवाने के आदेश के खिलाफ में जब क्रेशर संचालकों ने मामले को लंबा लटकाने की मंशा के चलते सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो वहां भी इंजीनियर तेजपाल यादव की तरफ से मजबूत पैरवी के लिए देश के प्रसिद्ध अधिवक्ता प्रशांत भूषण खड़े मिले। उनके मजबूत पैरवी की वजह से वह मामला नवंबर 2020 में ही पर्यावरण के महत्व को देखते हुए वापस देश की पर्यावरणीय अदालत एनजीटी को ट्रांसफर कर दिया गया था। जिस पर एनजीटी ने 3 दिसंबर 2020 को अपने पुराने आदेश को दोहराते हुए फिर से 72 अवैध स्टोन क्रेसरों को बंद करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद काफी क्रेसरों पर पूर्ण रूप से ताला भी लग चुका है और उनके एनओसी रिजेक्ट भी हो चुकी हैं।

एनजीटी के ताजा 18 जनवरी को आये ऐतिहासिक आदेश पर याचिकाकर्ता एवं पर्यावरणविद् इंजीनियर तेजपाल यादव ने बोलते हुए कहा कि माननीय एनजीटी द्वारा हमारे केस में अगली तारीख 22 मई को महेंद्रगढ़ जिले के जिला उपायुक्त व हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव को कोर्ट में तलब करने के लिए मजबूर करना साफ दर्शाता है कि किस कदर स्टोन क्रशर माफिया, जिला प्रशासन, हरियाणा सरकार, सारे पूंजीपति व नांगल चौधरी के जनप्रतिनिधि, स्टोन क्रेशर माफिया को बचाने और इन को लाभ पहुंचाने में कितनी मेहनत से जुटे हुए हैं।

इस मुद्दे पर प्रश्न करते हुए इंजीनियर तेजपाल यादव ने कहा कि क्या नांगल चौधरी के विधायक डॉ अभय सिंह यादव जो हर पल विकास-विकास की बात करते रहते हैं, क्या न्यायपालिका के आदेशों के बारे में भी वो यही कहेंगे कि नांगल चौधरी में विकास हो रहा है। अगर विकास हो रहा होता तो करोड़ों का जुर्माना क्रेसरों के ऊपर नहीं होता।

ये जुर्माना लगाना दर्शाता है कि इलाके की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है और ऐसी स्थिति में विकास की बातें करना हास्यास्पद प्रतीत होता है।

इंजीनियर तेजपाल यादव ने जनहित व पर्यावरण की आवाज उठाते हुए सख्त लहजे में कहा कि पिछले 8 साल में यहां के नेताओं, सरकार, जिला प्रशासन के मार्फत करोड़ों-अरबों के अवैध व बड़े लेन देन से सैकड़ों स्टोन क्रेशर नांगल चौधरी क्षेत्र में खेत खेत में खड़े कर दिए गए। जिनकी वजह से हजारों लोग भयंकर जानलेवा बीमारियों से तिल तिल कर मरने को मजबूर है । क्या यही विकास है ? तो मै पूछना चाहता हूं फिर विनाश किसे कहेंगे?

इंजीनियर तेजपाल यादव ने उच्चस्तरीय कमेटी पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि एनजीटी को गत 16 जनवरी को उच्चस्तरीय कमेटी द्वारा रिपोर्ट सौंपने में कमेटी ने भूल कर दी कि जो रिपोर्ट आप बिना तथ्य के, बिना जमीनी जांच परख के जानबूझकर अपनी तरफ से कुछ भी सौंप रहे हो तो ज्ञात रहे कि इससे पहले भी 3 दिसंबर 2020 के आदेश के बाद और 15 नवंबर 2021 की  एनजीटी की सुनवाई से पहले जांच रिपोर्ट में वायु गुणवत्ता स्तर बहुत ज्यादा अत्यधिक खराब और वहन क्षमता बहुत ही खतरनाक स्थिति में दर्शाई जा चुकी थी। जिस पर एनजीटी ने संज्ञान लिया और उनको लताड़ लगाई। उसी का नतीजा है कि क्रेसरों पर इतना भारी भरकम करोड़ों का जुर्माना एनजीटी द्वारा ठोका गया है।

 इंजीनियर तेजपाल यादव ने इस उपरोक्त आदेश में एनजीटी द्वारा गठित कमेटी, हरियाणा सरकार व जिला प्रशासन को चेतावनी भरे लहजे में यह कहा कि अगर उन्होंने सही रिपोर्ट सौंपने में  कोताही बरती तो इस मामले को लेकर वे कड़ा रूख अख्तियार करेंगे। उन्होने कहा कि विगत में साढ़े चार महीने से देश को जोड़ने निकले विपक्ष के नेता राहुल गांधी व यात्रा में सिविल सोसायटी के संयोजक की भूमिका निभा रहे स्वराज इंडिया के संस्थापक एवं प्रोफेसर योगेंद्र यादव, राहुल गांधी के साथ कदमताल करते हुए इस यात्रा में अहम भूमिका में है। इसी यात्रा के दौरान योगेंद्र यादव के आह्वान पर इंजीनियर तेजपाल यादव, 20 दिसंबर को राहुल गांधी के साथ मुलाकात कर इस प्रदूषण के मामले को रख चुके हैं। अगर रिपोर्ट में आनाकानी बरती गई तो देश के प्रमुख नेता राहुल गांधी के द्वारा इस मुद्दे को मेन स्ट्रीम मीडिया के सामने उठाने का भी प्रयास करेंगे। इंजीनियर तेजपाल यादव ने इस उच्चस्तरीय कमेटी व चंडीगढ़ में बैठे संबंधित सभी उच्च अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रिपोर्ट गलत सौंपी गई तो वे जिस तरह से पूर्व जिला उपायुक्त डॉ गरिमा मित्तल के खिलाफ में आपराधिक मामला दर्ज कराने के लिए प्रयासरत हैं और एक पत्र भी राज्यपाल, हरियाणा के मुख्य सचिव व प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन आने वाले मिनिस्ट्री ऑफ पर्सनल विभाग आदि को उच्च स्तर पर लिख चुके हैं, उसी के तहत भ्रष्ट अधिकारियों को भी नहीं बख्शा जाएगा। उनके खिलाफ भी सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करवाने हेतु आगामी कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

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