मायावती, ठाकरे और बाबा रामदेव के खिलाफ भी खोला था मोर्चा अशोक कुमार कौशिक भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह विवादों के घेरे में हैं। उन पर यौन शोषण जैसे संगीन इल्जाम हैं। हैरानी की बात ये है कि ये इल्जाम लगाने वाला कोई और नहीं बल्कि जो देश का नाम रोशन कर चुके हैं । बृजभूषण सिंह सियासत में वो नाम है, जो अपनी दबंगई और लगातार जीत के लिए जाना जाता है। दरअसल, सांसद बृजभूषण सिंह राजनीति के अखाड़े में भी कई सियासी पहलवानों को पटखनी दे चुके हैं, लेकिन इस बार देश की महिला पहलवानों का दांव उन पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। 11 साल से कुर्सी पर कब्जा लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है । जब बाहुबली बृजभूषण शरण सिंह चर्चा या विवादों में घिरे हों. इससे पहले भी वो मंच पर एक पहलवान को थप्पड़ मरवाने के मामले में घिर चुके हैं । इतना ही नहीं उन्होंने पार्टी लाइन से हटकर राज ठाकरे के खिलाफ भी मोर्चा खोला था। आईए जानते हैं कि बृजभूषण शरण सिंह की कहानी, जो 11 साल से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाए बैठे हैं। कौन हैं बृजभूषण शरण सिंह? सासंद बृजभूषण शरण सिंह पिछले कई साल से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं । वे कैसरगंज लोकसभा सीट से सांसद हैं। 6 बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह को सिर्फ राजनीति ही नहीं बल्कि कुश्ती का भी माहिर खिलाड़ी माना जाता है । बृजभूषण सिंह 2011 से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने हुए हैं। बृजभूषण शरण सिंह यूपी के गोंडा जिले के बिशनोहर गांव के रहने वाले हैं। बचपन और युवावस्था में उन्होंने कुश्ती में खूब हाथ आजमाया। इसके बाद उन्होंने 1980 के दशक में छात्र राजनीति की शुरुआत की। वे 1988 में बीजेपी में शामिल हुए। जब राम मंदिर को लेकर आंदोलन हुआ, तो उनकी उग्र हिंदुत्व की छवि ने उन्हें क्षेत्र में लोकप्रिय बना दिया था। ऐसे लड़े और जीते चुनाव बृजभूषण शरण सिंह पहली बार 1991 में चुनाव लड़े थे. उसके बाद राजनीतिक रूप से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर कैसरगंज सीट से जीत दर्ज की। उसके बाद फिर सपा से भी उनकी राहें अलग हो गईं। 2014 चुनाव से पहले बृजभूषण फिर बीजेपी में शामिल हो गए। 2014 और 2019 में वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े और लोकसभा पहुंचे। विवादित ढांचा गिराए जाने के भी आरोपी बीजेपी सासंद बृजभूषण शरण सिंह अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने के मामले में भी आरोपी बनाए गए थे। लेकिन बाद में कोर्ट ने उनको बरी कर दिया। दरअसल, आडवाणी समेत जिन 40 नेताओं पर आरोप तय किए गए थे बृजभूषण शरण उनमें से एक थे, जिन्हें 2020 में बरी कर दिया गया। बेबाक बयानबाजी, विवादों से नाता बृजभूषण अपने अक्खड़,अलग अंदाज और अपनी बेबाक बयानबाजी के लिए भी जाने जाते हैं । इसी बयानबाजी की वजह से विवादों में भी रहे हैं। पिछले साल जब राज ठाकरे ने अयोध्या के दौरे का ऐलान किया था । उसके बाद बृजभूषण ने पार्टी स्टैंड से अलग राज ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। यहां तक कि अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह ने कहा था कि राज ठाकरे का अयोध्या में स्वागत है, पर बृजभूषण ने ऐलान कर दिया था कि राज ठाकरे को अयोध्या में घुसने नहीं देंगे। हाल ही में बाबा रामदेव के खिलाफ भी बृजभूषण ने मोर्चा खोला था। इसके बाद पतंजलि की ओर से बृजभूषण को नोटिस भी भेजा गया था। चुनाव में मायावती को कह दिया था गुंडी साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले प्रचार में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर बृजभूषण शरण सिंह ने एक रैली में कहा था कि मायावती उत्तरप्रदेश की गुंडी हैं। मायावती ने मुझे चुनाव के बाद जेल भेजने की धमकी दी थी। चुनाव अभियान के दौरान ही बसपा ऑफिस में तोड़फोड़ हुई थी। जिस पर बसपा प्रमुख मायावती ने गोंडा में आयोजित एक रैली में बीजेपी प्रत्याशी बृजभूषण शरण सिंह को गुंडा बताया था और बसपा कार्यालय में हमले के लिए बृजभूषण को जिम्मेदार ठहराया था। मंच पर पहलवान को जड़ा था थप्पड़ रांची में अंडर-15 नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में भाकुसं अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने एक पहलवान को मंच पर थप्पड़ जड़ दिया था। दरअसल, ये प्रतियोगिता अंडर-15 आयु वर्ग के लिए आयोजित किया गया था और जिस युवा पहलवान को थप्पड़ खाना पड़ा, उसकी उम्र ज्यादा थी। युवा पहलवान का संबंध भी यूपी से ही है। जब उम्र वेरिफिकेशन में वो 15 से ज्यादा का निकल गया तो उसे तकनीकी पदाधिकारियों ने डिसक्वालिफाई कर दिया। इसके बाद वह पहलवान अतिथियों के मंच पर यह सोच कर चढ़ गया कि शायद यहां विनती करने से उसका काम बन जाए। हालांकि, मंच पे जाकर वो जिरह करना लगा और बहस बढ़ती ही गई। उसी मंच पे भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी बैठे थे। उन्होंने अपना आपा खोते हुए पहलवान पर हाथ छोड़ दिया। Post navigation कुश्ती महासंघ और पहलवानों के बीच आर-पार का दंगल, बृजभूषण देंगे इस्तीफा या जाएगी कुर्सी? उच्चत्तर शिक्षा विभाग के उदासीन रवैये के विरुद्ध शिक्षकों ने बजाया बिगुल