सेवा का अधिकार आयोग ने एस्टेट मैनेजर, हाउसिंग बोर्ड, रेवाड़ी पर लगाया 25,000 रुपए जुर्माना

सार्वजनिक कार्य के प्रति अपने दृष्टिकोण में ढिलाई बरतने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ आयोग कड़ी कार्रवाई करना जारी रखेगा – सचिव, आरटीएस आयोग

चण्डीगढ़, 19 जनवरी- हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने आवेदक श्री संजय दरगन की संपत्ति के हस्तांतरण के एक आवेदन को खारिज करने के लिए एस्टेट मैनेजर, हाउसिंग बोर्ड, रेवाड़ी पर 25,000  रुपये का जुर्माना लगाया है।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी के कार्यालय ने गलत आधारों के आधार पर जानबूझकर उसके आवेदन को अस्वीकार कर दिया और शिकायतकर्ता के कार्यों को सही ठहराने के लिए प्रतिवादी पर्याप्त कदाचार, मिलीभगत और अधिकार के दुरुपयोग में लिप्त रहा।

इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए आरटीएस सचिव ने कहा कि जैसे ही मामला आयोग के पास पहुंचा आयोग ने मामले पर तत्काल संज्ञान लिया और विस्तृत जांच के लिए कहा।

जांच के दौरान शिकायतकर्ता के पिता ने अपने परिवार के एक सदस्य की मृत्यु के कारण अपनी वसीयत में तीन बार संशोधन किया। अंतिम वसीयत 14 अगस्त, 2019 को की गई थी, जिसमें उसने  अपने मृतक रिश्तेदार के परिवार को बाहर कर दिया था।

उन्होंने बताया कि आवेदक ने सरल आईडी टीपीसीडी/2022/00294 के माध्यम से मृत्यु के मामले में संपत्ति के हस्तांतरण के लिए आवेदन किया था। इसके बाद 30 दिनों के भीतर आपत्तियां आमंत्रित करने की प्रक्रिया के तहत 8 जून, 2022 को समाचार पत्र में एक सार्वजनिक सूचना प्रकाशित की गई थी।

13 जून, 2022 को प्राप्त आपत्ति में 8 अगस्त, 2014 की एक पंजीकृत वसीयत संलग्न थी, जिसमें बोर्ड ने 21 जून, 2022 को एक पत्र जारी कर शिकायतकर्ता को उसके पक्ष में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए कहा। शिकायतकर्ता 11 जुलाई, 2022 को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर सका, इसलिए बोर्ड ने आवेदन को टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया।

विस्तृत जांच में निष्कर्ष निकला कि आवंटी श्री हर भगवान ने तीन पंजीकृत वसीयतें निष्पादित की थीं और अंतिम वसीयत में, उन्होंने पहले की दो पंजीकृत वसीयतों के निष्पादन के तथ्य का उल्लेख किया था, जिसे उन्होंने अपनी अंतिम वसीयत में रद्द कर दिया था। इसलिए, अंतिम पंजीकृत वसीयत  कानूनी रूप से वैध। आयोग ने पाया कि उठाई गई आपत्ति की कोई कानूनी मान्यता नहीं है क्योंकि पूर्व में पंजीकृत वसीयत को विशेष रूप से निरस्त कर दिया गया है।

आयोग ने कड़ी कार्रवाई करते हुए एस्टेट मैनेजर, हाउसिंग बोर्ड, रेवाड़ी पर 25,000  रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि शिकायतकर्ता को 5,000 रुपये का मुआवजा दिया जाए।

Previous post

पुलिस कर्मी अपने व्यवहार में लाएं बदलाव, न्याय दिलवाने में करें उनकी मदद – शहरी स्थानीय निकाय मंत्री

Next post

नवीन जयहिंद की गृहमंत्री अमित शाह को चेतावनी – खिलाड़ियों को न्याय दिला कर ही गोहाना रैली करने आए

You May Have Missed

error: Content is protected !!