भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

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गुरुग्राम। हरियाणा की राजनीति राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के पश्चात अधिक सक्रिय हो गई है। इधर दीपेंद्र हरियाणा जोड़ो यात्रा निकालने की बात कर रहे हैं और इसी प्रकार अभय चौटाला यात्रा निकालने की बात कह रहे हैं। हुड्डा के क्षेत्र जीटी रोड बैल्ट को संभालने अमित शाह आ रहे हैं। तात्पर्य यह है कि हर दल अपने तरकश में छिपे हुए तीर निकालने की तैयारी में लग गए हैं।

वर्तमान में चर्चा है हरियाणा विधानसभा चुनाव की लेकिन जहां हरियाणा के प्रदेश स्तर में भाजपा हो या कांग्रेस उनमें चर्चा है लोकसभा चुनाव की और यह मानना है कि यदि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से सरकार बनाने में सफल हुए तो हरियाणा में भाजपा की राहें बहुत सुगम हो जाएंगी और सरकार बना लेगी। ऐसा ही कुछ सोचना कांग्रेस का भी है कि पहली लड़ाई लोकसभा चुनाव की लड़ेंगे।

हरियाणा सरकार के राजनैतिक समीकरण वर्तमान में कुछ अजीब से हैं। कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपना वर्चस्व जमाए हुए हैं लेकिन उनके साथ अनेक कांग्रेसी नेता नहीं हैं। और इसी प्रकार भाजपा में मनोहर लाल खट्टर अपना वर्चस्व कायम रखे हुए हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृपा से लेकिन अनेक सांसदों से मुख्यमंत्री के संबंध मधुर नजर नहीं आते। ऐसे में पिछले दिनों चर्चा भी चली थी कि मुख्यमंत्री को बदला जाएगा लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से खुद ही उसका खंडन किया तो यह बात आई-गई हो गई।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बारे में माना जाता है कि वह अब उम्र के चौथे पड़ाव में प्रवेश करने वाले हैं और उनका लक्ष्य अपने पुत्र दीपेंद्र हुड्डा को राजनीति में स्थापित करना है। ऐसा अकेले भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ नहीं अपितु चौ. बीरेंद्र सिंह भी अपने पुत्र बिजेंद्र को स्थापित करना चाहते हैं। इसी प्रकार राव इंद्रजीत सिंह अपनी पुत्री आरती राव को स्थापित करना चाहते हैं। इस कड़ी में सांसद रमेश कौशिक और सांसद धर्मबीर का भी नाम लिया जाता है।

खैर छोडि़ए, बात भूपेंद्र सिंह हुड्डा की चल रही थी और वर्तमान भारत जोड़ो यात्रा में दीपेंद्र हुड्डा सबसे अधिक भीड़ जुटाऊ नेता साबित हुए और उनकी खडग़े और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी से नजदीकियां भी दिखाई दीं। ऐसे में कह सकते हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने लक्ष्य प्राप्ति के आश्वस्त हो गए हैं तो संभव है कि वह हरियाणा की कमान दीपेंद्र पर छोड़ खुद संन्यास ले लें किंतु कुछ दिल्ली से प्राप्त सूत्रों के अनुसार यह सुना जा रहा है कि इस वर्ष में जो अनेक राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अनुभव का लाभ उठाया जाए। अत: संभव है कि कांग्रेस हाईकमान उन्हें केंद्रीय राजनीति में प्रयोग करे।

इसी प्रकार मुख्यमंत्री मनोहर लाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत नजदीक हैं और वह मुख्यमंत्री की प्रतिभाओं तथा स्वभाव के बारे में पूरी तरह से परिचित हैं और हरियाणा वह प्रदेश है जिसके बारे में कहा जा सकता है कि गुजरात से अधिक नरेंद्र मोदी की राजनीतिक ऊंचाईयों पर पहुंचने में हरियाणा का हाथ है। याद करें जब वह हरियाणा के प्रभारी थे तो जाकर सीधा गुजरात के मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। और इसी प्रकार जब उन्हें भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया तो उनकी पहली सैनिक रैली रेवाड़ी में 15 सितंबर 2013 को हुई थी। अब आप ही सोचिए कि हरियाणा का महत्व है प्रधानमंत्री के ऊंचाईयों पर पहुंचने में। 

वर्तमान में हरियाणा की स्थिति भाजपा के अनुकूल दिखाई दे नहीं रही। लगभग हर वर्ग किसी न किसी बात के विरूद्ध सरकार के विरूद्ध आवाज उठा रहा है और फिर गलती क्षमा मांगते हुए कहना चाहूंगा कि मुख्यमंत्री को अपने मंत्रीमंडल और सांसदों का भी पूरा सहयोग मिल नहीं रहा है। और भाजपा का जैसा कि पुराना इतिहास बताता है कि चुनाव से एक वर्ष पूर्व वह मुख्यमंत्री बदल सारी एंटीइंकम्बेंसी समाप्त कर सत्ता बनाने में कामयाब रही है। ताजा उदाहरण तो गुजरात का ही है। अत: यह अनुमान लगाए जा रहे हैं कि यह काम हरियाणा में भी हो सकता है और फिर जो स्थिति कांग्रेस के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा की है, शायद उससे अधिक कारगर स्टार कंपेनर की भूमिका मनोहर लाल खट्टर निभा सकते हैं। अत: 2024 के चुनाव की राह प्रशस्त करने के लिए इस वर्ष राज्यों में होने वाले चुनावों में मनोहर लाल खट्टर का प्रयोग किया जा सकता है।

उपरोक्त लिखी सभी बातें भाजपा और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से चर्चा कर और कुछ सूत्रों के अनुसार कही गई हैं। वैसे राजनीति में कहा जाता है कि कभी भी कुछ भी हो सकता है और किसी को भी कोई भी भूमिका मिल सकती है। अत: हमारा अनुमान है कि इन दोनों नेताओं को हम आगामी समय में राष्ट्रीय राजनीति में देखेंगे। 

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