हकृवि में 7 दिवसीय विश्वविद्यालय स्तरीय राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) शिविर का शुभारंभ

हिसार: 7 जनवरी – स्वंयसेवक धर्म, जाति, रंगरूप से उठकर राष्ट्र निर्माण के लिए कार्य करता है। जब कोविड में लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे तब स्वंयसेवकों ने घर से बाहर निकलकर रक्तदान और अन्य सामाजिक कार्यों में अपनी अह्म भूमिका निभाई। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने व्यक्त किए। वे आज विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रमों की श्रृंखला में 7 दिवसीय विश्वविद्यालय स्तरीय राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर का शुभारम्भ के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।

प्रो. काम्बोज ने आह्वान किया कि विश्वविद्यालय अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन को जारी रखते हुए इस वर्ष पूरे देश में सबसे अधिक सक्रिय रहने वाला विश्वविद्यालय बने। एनएसएस गतिविधियों से समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने एनएसएस के माध्यम से मानवता की भलाई के लिए किए जा रहे कार्यों जैसे स्वच्छता अभियान, पौधारोपण, सामाजिक बुराइयों के विरूद्ध जगरुकता अभियान, पर्यावरण सुरक्षा आदि की सराहना की। उन्होंने कहा कि छात्रों को सदैव अपनी सामाजिक जिम्मेदारी रखनी चाहिए और केवल बौद्धिक ज्ञान तक ही सीमित न रखकर राष्ट्र सेवा में समर्पित रहना चाहिए। उन्होंने छात्रों को समाज सेवा के माध्यम से व्यक्तित्व विकास के लिए प्रेरित किया।

उच्च शिक्षा निदेशालय, पंचकूला से आए राज्य एनएसएस अधिकारी डॉ दिनेश शर्मा ने हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की एनएसएस में योगदान की प्रशंसा की तथा राज्य की ओर से हर संभव सहयोग देने का भी आश्वासन दिया। राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) भारत सरकार, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। यह युवा छात्रों को सरकार द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न सामुदायिक सेवा कार्यकलापों और कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है।

छात्र कल्याण निदेशक व कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. अतुल ढींगड़ा ने इस शिविर के महत्व को बताते हुए छात्रों का मनोबल बढ़ाया। समारोह में कार्यक्रम समन्वयक राष्ट्रीय पदक विजेता डॉ भगत सिंह ने सभी अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.के. पाहुजा ने प्रेरक प्रसंग साँझा किए। विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों से कार्यक्रम अधिकारी तथा 200 स्वयंसेवक और स्वयंसेविकाएं भाग ले रहे हैं।। अंत में डॉ चंद्रशेखर डागर ने सभी का धन्यवाद व्यक्त किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेशक, अधिकारी, शिक्षक व गैरशिक्षक कर्मचारी तथा भारी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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