कहा: नववर्ष पर संकल्प उठाओ की पत्थर के देवी देवताओं की बजाए हमारे घरों में बैठे जिंदा देवी देवताओं को पूजोगे। जो अपने मत पर टिकना जानता है सफलता भी उसे ही मिलती है दुनिया और भक्ति की दो नाव की सवारी एक साथ नहीं की जा सकती। नववर्ष के अवसर पर आयोजित सत्संग में लाखो की संख्या में उपस्थित साध संगत के समक्ष फरमाये। चरखी दादरी जयवीर फौगाट, 01 जनवरी, संत तो हर पल को ही नया मानते हैं क्योंकि वो कर्म में विशवास रखते है नववर्ष आपके लिए सारी खुशियां लेकर आये ताकि आप सभी सारी बातों से ऊपर उठ कर भक्ति के प्रति और ज्यादा लग्नशील हों। नववर्ष संदेश भी यही देता है कि जो बीत गया उसे भूल कर आगे बढ़ो। संत तो हर पल को ही नया मानते हैं क्योंकि वो कर्म में विशवास रखते है। संतो का विश्वास भी केवल प्रभु भक्ति में ही है इसीलिए वो अपने अनुभव के आधार पर यह चेताते हैं कि मानव देह में एक एक पल का महत्व है क्योंकि यह देह ही ऐसा अवसर है जब हम इस आवनजान से छुटकारा पा सकते हैं। यह सत्संग वचन परम संत सतगुरु हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने नववर्ष के अवसर पर आयोजित सत्संग में लाखो की संख्या में उपस्थित साध संगत के समक्ष फरमाये। हुजूर ने कहा कि जो अपने मत पर टिकना जानता है सफलता भी उसे ही मिलती है। राधास्वामी मत अपने टिकाव के कारण ही आज इतना फैल गया है कि पत्ते पत्ते से राधस्वामी की आवाज आती है। राधास्वामी मत की खूबी यही है कि इसके सूरत शब्द के योग को आठ साल का बच्चा भी कर सकता है और साठ साल का वृद्ध भी कर सकता है। इस योग में ध्यान भी है, ज्ञान भी है, अभ्यास भी है और कर्म भी है तप भी है सुमिरन भी है, इसमे अद्यात्मिक्ता भी है और सामाजिकता भी। यह मत परोपकार, परमार्थ, दया, प्रेम और प्रतीत पर बल देता है। राधास्वामी मत करनी पर बल देता है। राधास्वामी मत बुद्धि विचार पर ध्यान नहीं देता इसीलिए यह बिना किसी आरोप प्रत्यारोप के बढ़ता ही रहा। गुरु जी ने कहा इसीलिए राधास्वामी मत में हर दिन हर पल नया साल है क्योंकि इस मत से जुड़ा साधक हर पल हर दिन सेवा भावना से ओत प्रौत रहता है। हुजूर ने कहा कि नया साल उन लोगो के लिए तो महत्व रखता है जो उस दिन सत्संकल्प उठा कर अपने जीवन से बुराइयो को खत्म कर अच्छे गुणों को अपनाने को प्रेरित होता है। जिनको अपना आपा सुधारना ही नहीं उनके लिए क्या नया और क्या पुराना। उन्होंने कहा कि अपनी लगन में लगे रहो क्योंकि जो लगे रहते हैं वो एक ना एक दिन अपनी मंजिल को पा जाता है। कोई इंसान बड़ाई से बड़ा नहीं बनता बल्कि इंसान बड़ा तो बड़े काम करने से बनता है। अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन का प्रसंग सुनाते हुए हुजूर ने कहा कि एक बार राष्ट्रपति होते हुए भी उन्होंने मजदूरों के साथ लग कर मजदूरी की थी। उन्होंने कहा कि आपकी पद प्रतिष्ठा यदि आपकी अच्छाई में बाधा बने तो ऐसी प्रतिष्ठा को अविलंब त्याग दो। हुजूर ने कहा कि सब कुछ खो कर पछताने का क्या फायदा। चेतना है तो अभी चेतो। पूर्ण संत की शरणाई लेकर अपनी लगन को दुनियादारी से हटा कर नाम में लगाओ। कर्म करने से पहले विचार करो क्योंकि आप अपने कर्मो से ही अपना कर्मफल बना लेते हो। अपनी सोच को सकारात्मक बनाओ। लगन और सकारात्मक सोच के कारण तो पत्थर भी पानी में तैर गए थे। गुरु जी ने कहा कि सोचो जिस नाम के सहारे पत्थर भी तैर गए तो हम तो इंसान है। गुरु महाराज जी ने कहा कि नववर्ष का यह संकल्प उठाओ कि आप शरीर से भी स्वस्थ रहोगे और मन से भी। उन्होंने कहा कि दोनों सुधारने से ही काम चलेगा। सिर्फ शरीर को कष्ट देने भर से या सिर्फ इसको हष्ट पुष्ट करके हम कुछ हासिल नहीं कर सकते। हासिल होगा मन पर अंकुश डालने से। ये मन सतगुरु को सौंप दो। राधास्वामी मत गुरुमुखी और मनुखता पर जोर देता है। गुरुमुख वो है जो केवल गुरु के वचन पर ही ध्यान धरता है। लेकिन मनमुख केवल अपने मन के वश ही रहता है। हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने कहा कि नाम भक्ति सेवा भक्ति से, सेवा भक्ति प्रेमा भक्ति से और प्रेम भक्ति गुरु भक्ति से उपजती है। बाहरी ज्ञान नहीं अंतर के ज्ञान की खोज करो। जब अंतर का ज्ञान होगा उसके बाद कुछ कहना सुनना नहीं बचता। उन्होंने कहा कि दुनिया और भक्ति की दो नाव की सवारी एक साथ नहीं की जा सकती। एक रस को पाने के लिए दूसरा रस त्यागना ही पड़ेगा। लेकिन एक बात तय है कि जब परमात्मा का वह रस आता है तो दुनिया का यह रस नहीं भाता है। उन्होंने कहा कि अगर लालसाएं वही हैं, विचार और ख्यालात वही हैं, गुरु के होकर भी यदि हमने चतुराई नहीं तजी तो क्या फायदा नए साल का। नया साल तभी सार्थक है जब बदलाव हो और बदलाव भी सकारात्मक हो। हुजूर ने कहा कि यदि दुख के कारण ही हम सुधरे तो मान लो कि हम इंसानी यौनि नहीं बल्कि गधे की यौनि के हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा को याद करने के लिये दुख आने का इंतज़ार क्यों करना। परमात्मा को तो हर पल याद करो ताकि दुख आये ही ना। जीते जी सुखी रहना सीखो और ये सुख अच्छे गुणों के माध्यम से ही आता है। जो गलतियां हो गई सो हो गई। उसका पछतावा करने की बजाए संकल्प उठाओ कि भविष्य में हम ये गलतियां नहीं करेंगे। संकल्प उठाओ की पत्थर के देवी देवताओं की बजाए हमारे घरों में बैठे जिंदा देवी देवताओं को पूजोगे। संकल्प उठाओ कि झूठ कपट को त्याग कर परहित और परोपकार को अपनाएंगे। Post navigation जो समय के साथ कदम मिलाकर नहीं चलता उसे पछताना पड़ता है : कंवर साहेब ओमप्रकाश धनखड़ ने झोझू कलां पहुंचकर सिक्कम हादसे में शहीद अरविंद सांगवान को दी श्रद्धांजलि