चंडीगढ़, 27 दिसम्बर – हरियाणा सरकार ने प्रदेश में 31 दिसम्बर,2022 तक देय सम्पत्ति कर जमा करवाने पर पूरा और 31 जनवरी, 2023 तक देय सम्पत्ति कर जमा करवाने पर 50 प्रतिशत ब्याज माफ की योजना को लागू किया है। सरकार ने नागरिकों के हित में नई प्रापर्टी आईडी बनाने का निर्णय लिया। इस निर्णय के बाद अब तक प्रदेश में सम्पत्तियों की संख्या में 33 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। पूर्व में राज्यभर के हाउस टैक्स के मूल्यांकन की गई प्रॉपर्टियों (सभी छ: कलस्टरों में) की संख्या 32,06,839 थी, जिसका कर निर्धारण 540.56 करोड़ रुपये था तथा वर्तमान में सर्वे की गई सम्पत्तियों का कर निर्धारण 924.11 करोड़ रुपये हो गया है। डॉ. गुप्ता आज यहां चल रहे हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन ध्यानाकर्षण प्रस्तावों के संबंध में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि पालिकाओं की सीमा के भीतर स्थित प्रत्येक प्रापर्टी की पहचान करके शत-प्रतिशत हाउस टैक्स इकठ्ठा करने का प्रयास किया जा रहा है। इस निर्णय से पालिका सीमा के भीतर आने वाली सभी प्रॉपर्टियों की पहचान उनकी नेचर के अनुसार न होकर अपितु प्रॉपर्टी आई0डी0 के अनुसार होगी। डॉ. गुप्ता ने बताया कि पूर्व में राज्यभर में हाउस टैक्स के मूल्यांकन की गई प्रॉपर्टियों (32,06,839) का कर निर्धारण 540.56 करोड़ रुपये था तथा वर्तमान सर्वे की गई सम्पत्तियों का कर निर्धारण 924.11 करोड़ रुपये हो गया है। पूरे राज्य में सम्पत्तियों की संख्या में 33 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। वर्ष 2019 में प्रॉपर्टी सर्वे शुरू किया गया था और यह देखा गया कि मालिक/किरायेदार का नाम, प्रॉपर्टी श्रेणी, उप-श्रेणी आदि समय-समय पर बदल गई है। साथ ही सर्वे के दौरान जो प्लॉट खाली और निर्माणाधीन बताए गए थे, उन प्लॉटों पर पिछले दो-तीन वर्षों में निर्माण भी हो गये। इसके अतिरिक्त, बहुत से निवासियों ने सर्वे करने की अनुमति नहीं दी और कुछ निवासियों ने सर्वेक्षण के दौरान सही जानकारी भी नहीं दी। बंद प्रॉपर्टियों पर कोई मकान नंबर भी अंकित नहीं था तथा खाली प्लॉट पर कोई पहचान चिन्ह नहीं था। ऐसी सभी प्रॉपर्टियों के घर का नंबर सर्वे के दौरान दर्ज करना कभी भी संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, हाउस टैक्स का नोटिस या नो ड्यूज सर्टिफिकेट किसी भी प्रॉपर्टी के लिए मालिकाना अधिकार नहीं देता है। प्रॉपर्टी डाटा में सर्वे के दौरान नागरिकों द्वारा प्रदान किए गए मालिक/किरायेदार के नाम दर्ज किये जाते है। इस मुद्दे पर जांच रखने और किसी भी त्रुटि को दूर करने के लिए विभाग द्वारा एक निश्चित प्रक्रिया अपनाई जाती है। उन्होंने बताया कि नवम्बर, 2022 से 21 दिसम्बर,2022 तक एन0डी0सी0 पोर्टल पर कुल 2,21,691 आपत्तियां प्राप्त हुई हैं जिनमें निरीक्षण के बाद 1,22,232 स्वीकृत एवं 66,368 अस्वीकृत की गई हैं। कुल 33,091 आपत्तियां निपटान हेतु अभी भी शेष हैं जिनमें से 31,544 आपत्तियां पालिका स्तर पर तथा 1,547 आपत्तियां नागरिकों के पास दस्तावेज एवं सूचना देने के फलस्वरूप लम्बित हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा संज्ञान में आया है कि जो आपत्तियां दर्ज की जा रही हैं, वे बड़े पैमाने पर प्रापर्टी के स्टेटस (अर्थात् स्वीकृत/अस्वीकृत) या विकास शुल्क के तहत सूचीबद्ध बकाया राशि के कारण हैं। यह निर्णय लिया गया है कि इस संबंध में नो ड्यूज सर्टिफिकेट पोर्टल पर मौजूद डाटा को निदेशालय एवं संबंधित नगर निकाय द्वारा संयुक्त रूप से ठीक किया जाएगा। किसी भी पालिका द्वारा ‘‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’’ नाम से कोई भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता अपितु शहरी स्थानीय निकाय विभाग ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ’नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ (एन0ओ0सी0) जारी किया जाता है तथा यह राजस्व विभाग के वेब-हेलरिस पोर्टल के साथ विधिवत जुड़ा हुआ है। इस उद्देश्य के लिए शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 96क और हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 की धारा 99क को दिनांक 22 मार्च,2021 को शामिल किया है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि नो ड्यूज सर्टिफिकेट (एन0डी0सी0) पोर्टल से प्राप्त करने के लिए कभी-कभी नागरिकों को संपत्ति कर मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल पर तुरंत आपत्तियों के समाधान की आवश्यकता होती है और प्रतीक्षा करने की स्थिति में नहीं होते हैं जैसा कि उन्होंने सम्पत्ति पंजीकरण के लिए आवेदन किया होता है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, उक्त पोर्टल पर ‘‘तत्काल समाधान’’ का एक नया विकल्प पेश किया गया है। नागरिक 5000 रुपये प्रति संपत्ति का शुल्क देकर उनके संपत्ति डाटा में निम्नलिखित त्रुटियों जैसे कि नाम में परिवर्तन, संपत्ति का पता परिवर्तन, मोबाइल नंबर में परिवर्तन, देय राशि का अपडेशन, संपत्ति के वर्ग को अपडेट करने, श्रेणी/उपयोग में परिवर्तन, स्थिति परिवर्तन, नई संपत्ति आई0डी0 के निर्माण के लिए अनुरोध, इत्यादि के लिये ‘‘तत्काल समाधान’’ विकल्प के लिए आवेदन कर सकते हैं। साथ ही शहरी स्थानीय निकायों की सीमा में समय-समय पर शामिल किये गयेे गांवों के लिए भी प्रापर्टी सर्वे एवं आब्जेक्शन आमंत्रित करने की भी यही प्रक्रिया अपनायी गयी है। गांवों में स्थित प्रापर्टीयों के लिए भी ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम प्रदान किये गये है। उन्होंने कहा कि सर्वे की जानकारी निर्धारित प्रोफार्मा के अनुसार दर्ज की गई है। इसके अतिरिक्त, प्रापर्टी सर्वे का डाटा कभी भी प्रापर्टी के मालिकाना हक का प्रमाण नहीं रहा है। प्रापर्टी सर्वे का डाटा नागरिकों द्वारा प्रदान की गई सूचना के आधार पर ही तैयार किया गया है। लाल डोरा का निर्धारण कॉलोनियों की सीमा, स्वीकृत/अनुमोदित क्षेत्रों, लाल डोरा क्षेत्र आदि को संबंधित पालिका (टाउन प्लानिंग/राजस्व शाखा) द्वारा प्रचलित मानदंडों के अनुसार चिह्नित किया जाता है। डॉ. कमल गुप्ता ने कहा कि सरकार ने सुशासन दिवस (25 दिसम्बर, 2022) को 177 कॉलोनियों को नियमित किया है तथा और अधिक कॉलोनियों को नियमित करने के लिए कार्यवाही की जा रही है। कॉलोनी को नियमित किये जाने से स्वत: ही उन कॉलोनियों में स्थित प्रॉपर्टी अनअप्रूवड से अप्रूवड हो जाएगी। इससे भी नागरिकों के अधिकतम आब्जेक्शन दूर हो जायेंगे। इसके साथ-साथ सरकार यह भी प्रयासरत रहेगी कि भविष्य में अनाधिकृत कॉलोनियाँ ना बन सके। Post navigation पक्की नौकरियों, मेरिट, आरक्षण और भर्ती संस्थाओं को खत्म करना है कौशल रोजगार निगम का मकसद- हुड्डा जून तक दादरी बस डिपो के बेड़े में शामिल होंगी 21 बसें, विधायक नैना चौटाला के सवाल पर परिवहन मंत्री ने दिया जवाब