जमीनी धरातल पर उतरकर जनता की मूलभूत समस्याओं को समझ कर उनका समाधान तलाशे विधायक

पटौदी 24/12/2022 :- ‘ अपनी विधानसभा के 6 में से 4 जिला परिषद सदस्य हारने वाले स्थानीय बीजेपी विधायक की पंचायत समिति चेयरमैन और वॉइस चेयरमैन के चुनाव में आम सहमति बनाने की कोशिशें उस वक्त धराशाही हो गई जब विधायक खेमे का केवल एक पंचायत समिति सदस्य ही चुनावी बैठक में पहुंचा बाकी 24 सदस्यों ने दूरी बनाए रखी। इस दुर्गति पर अब विधायक जी को खुद की भी समीक्षा कर लेनी चाहिए कि क्या कारण है जो उनकी लोकप्रियता का ग्राफ इतनी जल्दी शून्य पर आ गया।’ उक्त बातें हरियाणा कांग्रेस (एससी सैल) सोशल मीडिया की स्टेट कॉर्डिनेटर सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि लोकप्रियता खो रहे बीजेपी विधायक को अब अखबारी बयान बाजी से चर्चा में रहने की बजाए जमीनी धरातल पर उतर कर लोगों की मूलभूत समस्याओं को समझ कर उनका हल निकालना चाहिए।

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि नवनिर्मित मानेसर नगर निगम तथा पटौदी मंडी नगर परिषद का स्थानीय जनता विरोध कर रही है, इनका अस्तित्व तानाशाही तरीके से जनभावनाओं के विपरीत हुआ है, सरकार को चाहिए कि इसके लिए रायशुमारी की जाए इसके बाद ही कोई फैसला जनता की इच्छा के अनुसार लिया जाए। उन्होंने कहा कि जनता की अनदेखी ही आगे भी भाजपा की हार का कारण बनेगी।

वर्मा ने कहा कि आज प्रदेश में सबसे बड़े दो आंदोलन चल रहे हैं और विडंबना देखिए की ये दोनों ही आंदोलन पटौदी विधानसभा में चल रहें हैं। एक 1810 एकड़ के किसानों का आंदोलन मानेसर में तो वहीं अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग को लेकर भी आंदोलन खेड़की टोल पर चल रहा है किंतु इस बीजेपी सरकार की संवेदनहीनता देखिए की इनमें से किसी से भी आंदोलनकारियों से सार्थक संवाद करना भी सरकार जरूरी नहीं समझ रही।

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि विधायक जरावता का अहंकार देखिए की वो जनता द्वारा चुनी गई वार्ड 9 से जिला परिषद चेयरमैन की एकमात्र प्रत्याशी दीपाली चौधरी को भी बीजेपी में शामिल होने के लिए धमका रहे हैं कि वो बीजेपी में शामिल हो जाएं ताकि पूरे 5 साल सरकार से और सीएम साहब से मिल कर काम कर सके। उन्होंने कहा कि इस तरह की परोक्ष धमकी से तथा विधायक द्वारा नोटा के बटन का इस्तेमाल करने की उनकी बातों से भारतीय लोकतंत्र और संविधान का सरेआम मखौल उड़ाया जा रहा है।

वर्मा ने कहा कि हार से उत्पन्न हुई विधायक जी की बौखलाहट को समझा जा सकता है लेकिन उन्हें अधिकारियों और विकास कार्यों की समीक्षा करने के साथ साथ एक बार खुद की भी अब समीक्षा कर लेनी चाहिए।

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