कुवि के मानव संसाधन विकास केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा विभाग द्वारा चार सप्ताह के ऑनलाइन शिक्षक प्रेरण कार्यक्रम का हुआ शुभारम्भ। कुरुक्षेत्र, 20 दिसम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि सभी शिक्षकों का सम्बन्ध भविष्य के राष्ट्र निर्माताओं के साथ होता है, इसलिए हमें युवाओं को सही दिशा और मार्गदर्शन करना चाहिए। वे मंगलवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा विभाग द्वारा चार सप्ताह के ऑनलाइन शिक्षक प्रेरण कार्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। कुवि कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि शिक्षक का कार्य केवल अध्यापन करवाना ही नहीं है बल्कि शिक्षक को विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास एवं पाठ्यक्रम में हो रहे बदलाव में संपूर्ण योगदान देना चाहिए। इस अवसर पर कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में नई शिक्षा नीति की महत्वता के बारे में प्रतिभागियों को अवगत कराया। मानव संसाधन केंद्र की निदेशिका प्रो. मंजूला चौधरी ने कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए केंद्र की ओर से निरंतर ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। प्रो. मंजूला ने अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए मानव संसाधन केंद्र के बारे में अवगत कराया एवं बताया कि नव नियुक्त शिक्षकों को अपने सेवा नियमों, शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नए बदलावों को जानना एवं समझना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक व शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजवीर ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता प्रो. विशाल सूद, कुलसचिव केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों के कौशल को विकसित किया जाता है। उन्होंने कहा कि हमें समय के हिसाब से नई तकनीकों के बारे में अभ्युत्थान करना चाहिए। अनुसंधान को प्रायोजित करने वाली विभिन्न संस्थाओं के बारे में प्रतिभागियों को बताया। शिक्षकों को अपने ज्ञान रूपी प्रकाश से विद्यार्थियों के अंदर छुपी प्रतिभाओं का बाहर निकालना चाहिए। दोपहर बाद के सत्र में प्रो अमित कौतस ने ‘डिजिटल इनीशिएटिव एंड देयर यूज इन फ्लिप्ड लर्निंग’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए बताया कि ई-लर्निंग आजकल बहुत लोकप्रिय हो रही है। लेक्चर, प्रश्न-उत्तर हल करना, किसी विषय पर चर्चा करने से लेकर अन्य कार्य, आदि यहां पर सब कुछ मिलता है। यह सिर्फ छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि अभिभावकों के लिए भी काफी मददगार है, लेकिन यह क्लासरूम सेवाओं से बेहतर नही हो सकता। उन्होंने कहा कि शिक्षक को ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए जिससे विद्यार्थियों सुगमता से अपने विचार शिक्षक के सामने प्रस्तुत कर सके और सांझा कर सके। कमजोर से कमजोर विद्यार्थी भी बहुत कुछ करने की क्षमता रखते हैं। अंतिम सत्र में डॉ मोहिंदर सिंह ने कल के शिक्षक नैतिक, कर्तव्यपरायण और सामान्य मूल्यों की आवश्यकता विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ. आनंद कुमार ने सभी का धन्यवाद व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ. संदीप, डॉ. अंजू बाला, डॉ. मनीष, डॉ. सचिन, डॉ. राज रतन, डॉ. पूजा, डॉ. सचिन, डॉ. सुशील, डॉ. नवप्रीत, डॉ. वीर विकास, डॉ. ऋतु सैनी, डॉ. सुधीर कुमार, डॉ. हरविंदर कौर, डॉ. कविता, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. सुमित, डॉ. आरुषि, डॉ. मोनिका आदि प्रतिभागी मौजूद रहे। Post navigation युवा कौशल विकास से बनेंगे आत्मनिर्भर : प्रो. सोमनाथ सचदेवा एक अनोखी पहल ……….. कापी, पेंसिल और किताब के बिना जरूरतमंद विद्यार्थियों की पढ़ाई न हो प्रभावित