एचएसआईडीसी के लिए जी का जंजाल रेजिडेंशियल पॉलिसी बनाना सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 21 जुलाई 2022 को पारित किए गए आदेश प्रभावित एसीएस आनंद मोहन, एमएलए, सांसद अन्य से भी मिले सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना का केस डालने के लिए मंथनफतह सिंह उजाला मानेसर/पटौदी । कुछ दिन पहले ही प्रमुखता के साथ यह मुद्दा उठाया गया था कि आखिर सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम या फिर हरियाणा सरकार सुप्रीम या फिर एचएसआईडीसी मानेसर सुप्रीम है ? लाख टके का सवाल यह है सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मानेसर क्षेत्र के 27 एकड़ रकबे में रेजिडेंशियल पॉलिसी बनाने के निर्देश एचएसआईडीसी को लगभग 6 माह पहले दिए जा चुके हैं । लेकिन सुप्रीम कोर्ट के यह आदेश कथित रूप से एचएसआईडीसी के द्वारा ठंडे बस्ते के हवाले कर छोड़ दिये गए है। इसी मुद्दे को लेकर शुक्रवार को एक बार फिर से मानेसर क्षेत्र में 27 एकड़ के प्रभावित लोगों में शामिल धरमवीर, पार्षद रत्नेश तिवारी, हरिंदर चेयरमैन, राजेंद्र, रामकिशन, अजीत पार्षद, होशियार सिंह, रामफल फौजी, शेर सिंह पंच, नवीन फौजी, नरेंद्र फौजी, ताराचंद फौजी, विजेंद्र, जय भगवान ठेकेदार ,रोहतास, इंद्रजीत, जगविंदर, श्रीराम फौजी, सुरेंद्र फौजी सुबे सिंह, विनोद ,दुशासन सहित अन्य पटौदी के विधायक सत्य प्रकाश चरावता से मिले और मानेसर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक एचएसआईडीसी को दिए गए निर्देश के अनुसार जल्द से जल्द यहां सुरक्षित रेजिडेंशियल पॉलिसी बनाने के संदर्भ में दूसरी बार मांग पत्र अथवा ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रभावित लोगों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पारित किया जाने के बाद इस मुद्दे को लेकर इंडस्ट्री एसीएस आनंद मोहन, क्षेत्र के सांसद एवं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, अपने ही विधायक सत्यप्रकाश जरावता और एचएसआईडीसी के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 27 एकड़ में रेजिडेंशियल पॉलिसी बनाने की तरफ ध्यान आकर्षित करते आ रहे हैं। लेकिन कहीं भी और किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हो रही । प्रभावितों के आरोपानुसार एचएसआईडीसी के अधिकारियों का कहना है कि सीएम से ही इस मामले में सीधी बात करें, सीएम को करना है, जो भी कुछ करना है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों को भी एक प्रकार से अनदेखा किया जा रहा है । शुक्रवार को पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश चरावता से मुलाकात और 27 एकड़ में सुरक्षित रेजिडेंशियल पॉलिसी बनाने के सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी आदेश पर चर्चा करते हुए अनुरोध किया गया वह क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हैं । एचएसआईडीसी व तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश देकर जल्द से जल्द यहां पर सुरक्षित रेजिडेंशियल पॉलिसी बनवाने का कार्य करें । प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों के मुताबिक संभवत यह पहला ऐसा मामला है , जब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक प्रभावित और पीड़ित नागरिको में एचएसआईडीसी के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश निर्देश के बावजूद जिस प्रकार से पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डालने से रोष बढ़ता जा रहा हैं । इस प्रकार की मानसिकता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का एक बार फिर से संबंधित विभाग और अधिकारियों पर सुप्रीम कोर्ट में ही केस डालने के लिए भी गंभीरता से विचार विमर्श कर रहे हैं । इसी कड़ी में प्रतिनिधि मंडल के द्वारा बताया गया है कि यदि आने वाले समय में जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक मानेसर में 27 एकड़ रकबे में सुरक्षित रेजिडेंशियल पॉलिसी नहीं बनाई गई तो , प्रभावित सभी निवासी और ग्रामीण एचएसआईडीसी के ऑफिस पर धरना प्रदर्शन करने के साथ ही तालाबंदी से भी पीछे हटने वाले नहीं हैं । अब इस प्रकार से देखा जाए तो मानेसर में 27 एकड़ मैं रेजिडेंशियल पॉलिसी का मामला पूरी तरह से राज्य सरकार और एचएसआईडीसी के पाले में ही आ चुका है । प्रभावित ग्रामीणों का साफ-साफ कहना है कि एचएसआईडीसी के ऑफिस पर धरना प्रदर्शन तथा तालाबंदी किए जाने के लिए हरियाणा सरकार जिला शासन-प्रशासन तथा एचएसआईडीसी और इसके तमाम वरिष्ठ अधिकारी ही जिम्मेदार होंगे। विधानसभा में मामला उठाने का आश्वासनइस संदर्भ में शुक्रवार को पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता से मुलाकात करने और 27 एकड़ मानेसर में रेजिडेंशियल पॉलिसी बनाने या फिर बनवाने में अपना सहयोग देने के वास्ते प्रतिनिधि मंडल के द्वारा अनुरोध किया गया । इससे पहले भी प्रतिनिधि मंडल अपना एक मांग पत्र विधायक को सौंप चुका है । प्रभावित लोगों और ग्रामीणों की बात सुनने के बाद पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता ने आश्वासन दिया कि वह इस मुद्दे को हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सदन में उठाकर एचएसआईडीसी सहित हरियाणा सरकार का ध्यान आकर्षित करेंगे। इस प्रतिनिधिमंडल ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते कहा विधानसभा में अनेक मुद्दे उठाए जाते हैं , सरकार के संज्ञान में लाए जाते हैं , लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही दिखाई दे रहे हैं । यह मामला पूरी तरह से अलग है, इसमें सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एचएसआईडीसी को 27 एकड़ में सुरक्षित रेजिडेंशियल पॉलिसी बनाने के निर्देश दिए गए हैं । वैसे जनप्रतिनिधि की इच्छा है , जनता की आवाज कहीं भी उठाए ? लेकिन कथित रूप से यह मुद्दा विधानसभा सत्र उठाने लायक नहीं माना जा सकता । क्योंकि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पारित किए गए हैं। Post navigation प्रदेश में ढांचागत विकास को मनोहर सरकार ने दी रफ्तार: सुधीर सिंगला सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए गुरुग्राम पुलिस की नई पहल