हरियाणा की संस्कृति का इतिहास हजारों साल पुराना : डॉ. महासिंह पूनिया

विरासत हेरिटेज कोर्स के छात्रों ने किया धरोहर का अवलोकन।
हरियाणवी संस्कृति पर आधारित पाठ्यक्रम का हिस्सा है हेरिटेज अवलोकन।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र 10 दिसम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इन्टीग्रेटिड एण्ड ऑनर्स स्टड़ीज के सी.बी.सी.एस. के प्रथम वर्ष के 50 से अधिक हरियाणा के सांस्कृतिक विरासत हॉबी कक्षा के छात्र-छात्राओं ने शनिवार को धरोहर हरियाणा संग्रहालय का अवलोकन कर हरियाणवी संस्कृति के विविध पहलुओं की गहनता से जानकारी हासिल की।

इस अवसर पर आई.आई.एच.एस. के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हरियाणा का सांस्कृतिक इतिहास वैदिक काल से लेकर आज तक हजारों साल की परंपरा को अपने अंदर समेटे हुए है। इसके साक्षात् प्रमाण राखीगढ़ी तथा फरमाणा पुरातात्विक स्थलों से मिल चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरस्वती सभ्यता के माध्यम से हरियाणा की सांस्कृतिक परंपरा सदियों से निरंतर रूप से चली आ रही है। आवश्यकता है हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत को समेटने की। उल्लेखनीय है कि हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत का पाठ्यक्रम आई.आई.एच.एस. सी.बी.सी.एस. के छात्रों के पाठ्यक्रम का हिस्सा है। पाठ्यक्रम में हरियाणा के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक स्थलों का अवलोकन भी अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही पाठयक्रम के माध्यम से हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत एवं इतिहास को युवा पीढ़ी से जोडऩे का प्रयास किया गया है।

डॉ. पूनिया ने बताया कि इस पाठ्यक्रम में पढऩे वाले विद्यार्थियों को हरियाणा की लोक परंपरा, संस्कृति, इतिहास, गीत, लोकगीत, हरियाणवी भाषा, विदेशों में हरियाणवी भाषा का प्रचार-प्रसार तथा हरियाणा की विविधआयामी संस्कृति के सभी स्वरूपों से रूबरू करवाना है। उन्होंने बताया कि सी.बी.सी.एस. के तहत हॉबी कक्षा के छात्रों को हरियाणवी संस्कृति से जुड़ी हुई असाईनमेंट भी प्रदान की गई हैं ताकि युवा हरियाणवी संस्कृति पर सृजनात्मक लेखन के माध्यम से नवीन दृष्टिकोण प्रस्तुत कर सके। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के शोधार्थी श्री नरेश कुमार भी उपस्थित रहे।

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