देश के उत्तरीय क्षेत्र से यह अवार्ड प्राप्त करने वाले एकमात्र एवं पहले वैज्ञानिक बने।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 10 दिसम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर एवं पूर्व अध्यक्ष प्रो.केआर अनेजा को माइकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया 2022 द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। वह देश के उत्तरी भाग से यह लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड पाने वाले पहले और एकमात्र वैज्ञानिक हैं। यह न केवल माइक्रोबायोलॉजी विभाग और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के लोगों के लिए बल्कि पूरे हरियाणा राज्य के लिए बहुत खुशी की बात है।
प्रो. के आर अनेजा को यह सम्मान बिलासपुर, (छत्तीसगढ़) के केंद्रीय विश्वविद्यालय गुरु घासीदास में 28 नवंबर से 30 नवंबर 2022 के बीच प्रगति, संरक्षण और आईपीआर मुद्दे विषय पर आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, मैडम डीन स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज, जीजीवी, माइक्रोलॉजिकल के अध्यक्ष, सचिव और उप सचिवों द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर सैकड़ों प्रसिद्ध माइकोेलॉजिस्ट, शिक्षक, एमएससी पीएचडी छात्र, माइकोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया व सम्मेलन के आयोजन सचिव सहित देश भर से छात्र मौजूद रहे।

गौरतलब है कि प्रो. केआर अनेजा आईसी एफआरई, देहरादून (2020-2025) के विशेषज्ञ समूह के सदस्य और आईसीएआर की अनुसंधान सलाहकार समिति के सदस्य डीडब्ल्यूआर, जबलपुर, मध्य प्रदेश (2022-25) को यह अचीवमेंट अवार्ड ‘सतत भविष्य के लिए फफूंद विविधता’ पर राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिष्ठित माइकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया 2022 लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

माइकोलॉजी में आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड।
माइकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा माइकोलॉजी में आजीवन योगदान के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया जाता है। माइकोलॉजी में कवक जैव विविधता, जैव प्रौद्योगिकी और औषधीय पौधों और सिंथेटिक यौगिकों के माध्यम से मानव रोगों का नियंत्रण है। प्रो. आरके अनेजा ने कई नई कवक प्रजातियों की पहचान की, जिसमें 40 के करीब देश शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सिन्नमुकर्जियोमाइसेस थर्माेफाइल, मिट्टी से पैदा होने वाला थर्माेफिलिक कवक, विज्ञान का एक नया जीनस है। उन्होंने ‘थर्माेफिलिक फंगीः टैक्सोनॉमी एंड बायोग्राफी’ शीर्षक से एक मोनोग्राफ प्रकाशित किया है, जिसमें 42 ज्ञात थर्माेफिलिक फंगस की टैक्सोनोमिक स्थिति का एक महत्वपूर्ण पुनर्मूल्यांकन दिया गया है जो पहचान के लिए एक तैयार गाइड के रूप में काम कर रहा है। प्रो. केआर अनेजा नेे माइकोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी और विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित पुस्तकें लिखी हैं जिसमें इंटरनेशनल (3) और राष्ट्रीय (12) प्रकाशकों द्वारा पुस्तकों और 2 मैनुअल का संपादन उनके द्वारा किया गया है। सूक्ष्म जीव विज्ञान की माइकोलॉजी से संबंधित मैनुअल और पुस्तकों भी शामिल हैं।

प्रो. केआर अनेजा को मिले पुरस्कारों की है लम्बी सूची।
कुवि के माइक्रोबायोलॉजी विभाग से सेवानिवृत्त प्रो. केआर अनेजा को मिलने वाले सम्मान एवं पुरस्कारों की लम्बी सूची है। उन्हें एबर्टे विश्वविद्यालय, डंडी स्कॉटलैंड (1996) में थर्माेफिलिक कवक के प्रोटीन प्रोफाइलिंग पर पोस्टडॉक कार्य के लिए, आईएनएसए – रॉयल सोसाइटी अकादमिक एक्सचेंज फैलोशिप पुरस्कार हेतु, प्लांट साइंसेज सेक्शन का एक निर्वाचित रिकॉर्डर आईएससीए (2008-09 और 2009-10), एमएसआई द्वारा डॉ. ईजे बटलर पुरस्कार (2009), राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार (2009), भारत के सर्वश्रेष्ठ नागरिक पुरस्कार (2010), प्रेसिडेंट माइकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (2013), पंजाबी विश्वविद्यालय में शिक्षक पदों के लिए राज्यपाल/चांसलर द्वारा भी नामित किया गया है।

प्रो. केआर अनेजा को पटियाला (2016-17) के सदस्य आरपीसी, आईसीएफआरई, देहरादून (2019-20,20-21), आईएसडब्ल्यूएस व्याख्यान पुरस्कार (2020); और 2022 भारत गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह एफबीएस, एफपी एसआई, एफआईएमएस, एफएसबी ए और एफएमएसआई जैसी पांच शैक्षणिक संस्थाओं के फेलो भी हैं। ‘फंगल डायवर्सिटी एंड बायोटेक्नोलॉजी’ शीर्षक वाली दो पुस्तकों का तीसरा संस्करण प्रो. के.आर. अनेजा और डॉ. विभा भारद्वाज द्वारा लिखा गया है। उनकी आरए के (यूएई) की, न्यू एज इंटरनेशनल पब्लिशर्स, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित और बीएससी/एमएससी नर्सिंग के लिए माइक्रोबायोलॉजी की पाठ्यपुस्तक का नई दिल्ली को 28 नवंबर, 2022 को इस सम्मेलन के दौरान जीजीवी के कुलपति और रजिस्ट्रार द्वारा विमोचन भी किया गया।

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