मुनिसिपल एरिया से बाहर जो अवैध कॉलोनियां बसी हुई हैं, वे 18 जनवरी 2023 तक नियमित होने के लिए आवेदन कर सकती हैं बची अवैध कॉलोनियांे को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी : उपायुक्त गुरूग्राम, 09 दिसंबर। हरियाणा नगरपालिका क्षेत्र से बाहर नागरिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की कमी वाले क्षेत्रों का प्रबंधन अधिनियम 2021 के तहत गुरूग्राम जिला में मुनिसिपल एरिया से बाहर जो अवैध कॉलोनियां बसी हुई हैं, वे 18 जनवरी 2023 तक नियमित होने के लिए आवेदन कर सकती हैं। यह आवेदन कॉलोनी को विकसित करने वाले डिवलेपर या उनकी रेजीडेंट वैलफेयर एसोसिएशन द्वारा किया जा सकता है। उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि इस निर्धारित तिथि तक जो अवैध कॉलोनियां नियमित होने के लिए आवेदन कर देंगी, उनके अलावा अन्य बची अवैध कॉलोनियांे को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अभी तक गुरूग्राम जिला में 19 अवैध कॉलोनियों के आवेदन प्राप्त हुए हैं। ये आदेश जिला की मुनिसिपल एरिया से बाहर बसी अवैध कॉलोनियों को लेकर गुरूग्राम के उपायुक्त श्री निशांत यादव ने इस कार्य के लिए गठित जिला स्तरीय स्कु्रटनी कमेटी की लघु सचिवालय में आयोजित बैठक में दिए। बैठक में बताया गया कि सरकार ने मुनिसिपल एरिया से बाहर नागरिक सुविधाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर कमी वाले क्षेत्रों में बसी अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के लिए चार श्रेणी बनाई हैं। श्रेणी ए में उन कॉलोनियों को रखा गया है जिनमें निर्मित क्षेत्र 25 प्रतिशत तक है और श्रेणी बी में ऐसी कॉलोनियांे को रखा गया है जिनमें निर्मित क्षेत्र 25 प्रतिशत से अधिक लेकिन 50 प्रतिशत तक है। इसी प्रकार, श्रेणी सी में ऐसी कॉलोनियों को रखा गया है जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक लेकिन 75 प्रतिशत तक निर्मित क्षेत्र है और श्रेणी डी में उन अवैध कॉलोनियों को रखा गया है जिनमें निर्मित क्षेत्र 75 प्रतिशत से ऊपर लगभग 100 प्रतिशत तक है। बैठक में बताया गया कि श्रेणी ए वाली कॉलोनियों में 35 प्रतिशत हिस्सा सड़क, पार्क आदि के लिए रखा जाएगा और कोई भी सड़क 9 मीटर चौड़ाई से कम नहीं होनी चाहिए। उस कॉलोनी को जाने वाली अपरोच रोड़ भी चौड़ाई में कम से कम 9 मीटर की हो और पार्क तथा ओपन स्पेश 5 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए। इसमें कॉमर्शियल भाग भी 4 प्रतिशत तक ही हो सकता है। जिन कॉलोनियों का क्षेत्र 20 ऐकड़ या इससे अधिक है, उनमें 500 वर्ग मीटर जमीन कम्युनिटी बिल्डिंग के लिए रखी जानी चाहिए। इसी प्रकार श्रेणी बी में रखी गई अवैध कॉलोनी के मामले में कोई भी सड़क 6 मीटर से कम चौड़ाई की नहीं होनी चाहिए तथा कॉलोनी को जाने वाली अपरोच रोड़ 9 मीटर चौड़ाई से कम ना हो। पार्कों के अधीन क्षेत्र 3 प्रतिशत से कम नही होना चाहिए तथा कॉमर्शियल की सीमा 4 प्रतिशत तक हो। इनमें भी 20 ऐकड़ या इससे अधिक बड़े क्षेत्र की कॉलोनियों मंे 500 वर्ग मीटर जगह कम्युनिटी बिल्डिंग के लिए होनी चाहिए। श्रेणी सी की कॉलोनियों में भी उपरोक्त शर्ते रहेंगी। श्रेणी डी के तहत पड़ने वाली कॉलोनियों मंे डिवलेपर या आरडब्ल्यूए को यह सुनिश्चित करना होगा कि संबंधित फायर ऑफिसर से एनओसी लिया गया हो। बैठक में बताया गया कि अवैध कॉलोनियों को उपरोक्त श्रेणियों में नियमित करवाने के लिए कलेक्टर रेट का निर्मित क्षेत्र का 5 प्रतिशत और ओपन स्पेस यानि खुले क्षेत्र का 10 प्रतिशत विकास शुल्क भरना पडे़गा। सरकार की हिदायत अनुसार अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति बनाई गई है। डीटीपी को समिति का संयोजक सदस्य मनोनित किया गया है। अन्य सदस्यों में जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी, लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता, जन स्वास्थ्य अभियंत्रिकी विभाग के कार्यकारी अभियंता, जिला फायर ऑफिसर, पंचायती राज विभाग के कार्यकारी अभियंता तथा तहसीलदार को शामिल किया गया है। Post navigation प्रदेश में भाईचारे की मिसाल पेश होगी परशुराम महाकुंभ में : जीएल शर्मा पुराने वकील साथियों के बीच कोर्ट में पहुंचे विधायक सुधीर सिंगला