जेजेपी ने रैली की सफलता के लिए झोकी पूरी ताकत, बुढ़ापा पैंशन बनेगा अब जेजेपी का बड़ा मुद्दा, पैंशन मुद्दा भाजपा के सम्बंधों को भी कर सकता है प्रभावित,
रैली की भीड़ होगी विरोधियों को करारा जबाब, दुष्यंत का क्रेज करेगा रैली को सीधा प्रभावित

ईश्वर धामु

भिवानी में 9 दिसम्बर को होने वाली जननायक जनता पार्टी के स्थापना दिवस पर होने वाली रैली पर एक तरह से पार्टी का राजनैतिक भविष्य टीका हुआ है। क्योकि रैली की सफलता जेजेपी को अर्श पर ले जायेगी। अगर किन्ही हालातों में रैली आपेक्षित कामयाब नहीं हो पती है तो यह जेजेपी के लिए एक बड़ी झटका होगा। क्योकि भिवानी की रैली जेजेपी के लिए 2024 में होने वाले चुनाव की सफलता का प्रवेश द्वार कहा जा सकता है। इसलिए जेजेपी ने अपनी पूरी ताकत झौकी रखी है। उप मुख्यमंत्रर दुष्यंत चौटाला रैली का निमंत्रण देने प्रदेश के दौरे पर हैं। वहीं उनके भाई दिज्विजय चौटाला ने तो भिवानी क्षेत्र में डेरा डाला हुआ है। इनकी विधायक मातश्री नैना सिंह चौटाला भी रैली प्रचार में जूटी हुई है। वहीं जेजेपी के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर अजय चौटाला ने भी अब रैली प्रचार की कमान सम्भाल ली है। यंहा उल्लेखनीय बात यह है कि उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की कार्यकर्ताओं की बैठक  में भीड़ आ रही है। युवाओं में उनका क्रेज अभी बरकरार है। युवा उनकी हर कार्यकर्ता बैठकों में बड़ी संख्या में रहते हैं। दुष्यंत चौटाला का 2019 जैसा क्रेज अब हर कार्यकर्ता बैठकों में दिख रहा है।

जेजेपी ने किसान आंदोलन के दौरान किसानों का विरोध भी झेला है तो उसके अपने विधायक भी नाराज चल रहे हैं। इतना ही नहीं सत्ता में उनकी सहयोगी पार्टी भाजपा के साथ भी मतभेद की चर्चाएं अक्सर सामने आ जाती है। इसमें भी कोई संदेह नहीं कि आज लोकप्रियता का ग्राफ मंख्यमंत्री मनोहर लाल की तुलना में दुष्यंत चौटाला का अपर है। युवाओं में तो उनकी लोकप्रियता जबरदस्त है। ऐसे हालतों में भिवानी रैली की भीड़ जेजेपी का विरोध करने वालों का मुंह बंद करने का भी काम करेगी।

रैली की भीड़ सेे साबित होगा कि कांग्रेस और भाजपा के मुकाबले में जेजेपी कहां खड़ी हुई है?

निश्चित रूप से भिवानी रैली के बाद ही जेजेपी अपनी चुनावी नीति पर काम करेगी। यह भी स्पष्ट है कि जेजेपी भिवानी क्षेत्र को मजबूत करना चाहती है। क्योकि भिवानी का डाक्टर अजय चौटाला के राजनैतिक कैरियर को बुलंदी तक ले जाने में भिवानी क्षेत्र का विशेष योगदान रहा है। उनकी धर्मपत्नी श्रीमती नैना सिंह चौटाला को दूसरी बार विधानसभा में पहुंचाने का काम भी भिवानी क्षेत्र के बाढड़ा हल्के ने किया है। इसीलिए अजय चौटाला का परिवार भिवानी को उनकी कर्मभूमि कह कर पुकारता है। चर्चाकारों का कहना है कि आगामी राजनीति को सुगम बनाने और रैली की भीड़ को प्रभावित करने को जेजेपी ने 5100 रूपए बुढ़ापा पैंशन करने का मुद्दा उठाया है। दिज्विजय चौटाला ने तो यंहा तक कह दिया है कि बुजर्गों की पैंशन 5100 रूपए करने के लिए जो भी कुर्बानी देनी पड़े वें इसयके लिए तैयार हैं। इस कथन से स्पष्ट है कि जेजेपी का अब टारगेट बुढ़ापा पैंशन पर टीकेगा।

दूसरी ओर पैंशन का मुद्दा भाजपा के लिए एक चुनौती भी रहेगा। बताया तो यह गया है कि अगर यह मुद्दा चल पड़ता है तो इस पर प्रादेशिक नेतृत्व फैसला नहीं करेगा। इस संवेदनशील मुद्दों पर भाजपा आलाकमान अंतिम निर्णय लेगी। क्योकि भाजपा भी चाहेगी कि वों अपने स्तर पर इस मुद्दे को 2024 के चुनाव में कैश करे। पर जिस तरह से जेजेपी ने बुढ़ापा पैंशन को एक बड़ा मुद्दा बनाया है, उससे लगता है कि पार्टी इस मुद्दों को चुनाव से पहले ही फैसला करवाना चाहेगी। राजनीति में यह भी सम्भव है कि पैंशन का मुद्दा भाजपा से जेजेपी के अलगाव का कारण भी बन सकता है? अगर ऐसा होता है तो यह भाजपा के लिए बड़ा सैटबैक होगा।

वहीं जेजेपी अपने नेता दुष्यंत चौटाला के सत्ता में बैठ कर किए गए निर्णयों पर भिवानी रैली में जन स्वीकृति की मोहर भी लगवाना चाहते हैं। भिवानी रैली की जेजेपी के लिए महत्ता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि रैली के लिए काम न करने वाले पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं की सूची तैयार की जायेगी। रैली की जिम्मेदारी से बचने वालों को भविष्य में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जायेगी और पार्टी स्तर पर उनकी अनदेखी की जायेगा। रैल में आने वालों पर सीसीटीवी कैमरों की भी पेनी नजरे रहेंगी। ताकि भीड़ लाने का दावा करने वालों की पोल का पता लग सके। जेजेपी के शीर्ष नेताओं की गम्भीरता का पैमाना अब रैली में आने वाली भीड़ होगी।

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